बाघिन की मौत पर अभी भी विभागीय जिम्मेदारी तय नहीं
वन विभाग की कार्यवाही पर उठ रहे सवाल
ग्रामीण को आरोपी बनाने से भी आक्रोश
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 3 जनवरी 2022, वन परिक्षेत्र डिंडोरी के कक्ष क्रमांक 200 में हुई वयस्क बाघिन की मौत के मामले में लापरवाह वन अधिकारियों के विरुद्ध अभी तक कार्रवाही को अंजाम नही दिया जा सका है। इतना ही पूरे मामले पर दोषी अमले को चिन्हित भी नही किया गया है। हालांकि वन विभाग ने एक ग्रामीण को कथित तौर पर बाघिन की मौत का जिम्मेदार ठहराया है और मामला दर्ज कर जेल अभिरक्षा में भेज दिया है। केवल शक की बुनियाद पर ग्रामीण पर प्रकरण कायम करने और अभी तक विभागीय अमले के विरुद्ध कार्रवाई नही होने से वन विभाग की कवायद सवालों के घेरे में है। आठ दिन बीत जाने के बाबजूद बाघिन की मौत के पीछे किसकी लापरवाही रही, इसकी जिम्मेदारी अब तक तय नहीं हो पाई है। नियमानुसार आला अधिकारियों को फौरन ही वीट गार्ड से लेकर रेंजर तक को मैदानी Posting से हटा देना चाहिए था। जिससे विभागीय जांच प्रक्रिया प्रभावित नही हो।लेकिन मामले को रफा दफा करने और अधीनस्थों को पाक साफ साबित करने की मंशा के तहत वरिष्ट अधिकारी इस पर अमल करने से कतरा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक पूरे मामले में जहरखुरानी की पुष्टि से अधिकारियों में खलबली भी मची हुई है। बाघिन की मौत पर जारी जांच की कमान स्थानीय अधिकारी के हांथो में होने पर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्र बतलाते हैं कि बाघिन की मौत के लिए गठित जांच कमेटी में स्थानीय अधिकारियों को ही शामिल किया गया है। जबकि निष्पक्ष जांच हेतु अन्य जगह के अधिकारियों से या स्वतंत्र एजेंसी से जांच करानी चाहिए। गौरतलब है कि पिछले सोमवार टिकरी पिपरी और सारसताल गांव के बीच रोड किनारे एक बाघिन का शव बरामद किया गया था। बाघिन की मौत थाइमेट नामक कीटनाशक से होने की पुष्टि के बाद वन दस्ते ने जहरखुरानी के शक में गुरुवार को विद्यानंद पिता भगवानी गौंड 35 साल निवासी ग्वारीटोला सारसताल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। कथित तौर पर बताया गया था कि विद्यानंद के कब्जे से Thimet नामक कीटनाशक बरामद किया गया है। पूछताछ के दौरान विद्यानंद ने आरोपो को खारिज किया था। बाबजूद इसके वन अधिकारियों ने मामला पंजीबद्ध कर चरवाहे विद्यानंद को आरोपी ठहरा दिया। इस बाबद मीडिया से दूरी बनाना भी पूरी कवायद पर संदेह पैदा कर रहा है। जिले के लिए काला अध्याय साबित हुई बाघिन की दुखद मौत के मामले और एक ग्रामीण के विरुद्ध कार्रवाई को गलत करार देते हुये इलाके में सक्रिय सामाजिक और राजनैतिक दलों ने निष्पक्ष जांच की अपील है। वही लापरवाह अधिकारियों के विरुद्ध भी प्रकरण कायम करने की मांग जोर पकड़ रही है।
विदित होवे डिंडोरी वन परिक्षेत्र में TIGER MOVMENT की पुख्ता जानकारी अधिकारियों को थी। पिछले 2 माह पूर्व हुई अखिल भारतीय बाघ आकलन के तहत की गई बाघ गणना (TIGER Census) में भी उक्त बाघिन के डिंडोरी रेंज में चहलकदमी दर्ज की गई थी। बाबजूद इसके रेंज के अमले ने बाघिन की सुरक्षा को अहमियत नही दी। बाघिन की उपस्थिति के इतर अधिकारी अपने अवकाश को प्राथमिकता देते रहे। इसी के मद्देनजर अधिकारियों पर कार्रवाई की दरकार है।