जंगलों की सुरक्षा छोड़ OFFICE और बंगलों की बेगारी कर रहे वनरक्षक
प्रभावित हो रही वन सुरक्षा व्यवस्था
स्थाई कर्मचारियों से ले रहे घरेलू कार्य
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 5 जनवरी 2022, जंगल और जंगली जीवो की निगरानी के लिए जंगलों में तैनात वन रक्षकों से कार्यालय और अधिकारियों के बंगलों में बेगारी कराई जा रही है। इसके साथ ही स्थाई और अस्थाई कर्मियों से अधिकारी घरेलू काम ले रहे हैं। जबकि इनको जंगल और जानवरों की सुरक्षा हेतु मैदान में पदस्थ किया जाना चाहिए। लेकिन वन सुरक्षा व्यवस्था को हाशिए पर रख अधिकारी बड़ी संख्या में वन रक्षकों से कार्यालयीन कार्य संपादित करा रहे हैं। जो वन अधिनियम का खुला उल्लंघन है।ताज्जुब की बात यह है कि प्रशिक्षित वन रक्षकों को भी ऑफिस में अटैच किया गया है। जिसके चलते जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो चुकी है। इसका उदाहरण जंगलो में संरक्षित वन्यजीवों के शिकार और अवैध जंगल कटाई के रूप में देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि सामान्य वन मंडल अंतर्गत डिंडोरी, गाड़ासरई और शहपुरा सब डिवीजन के तहत 10 वन परिक्षेत्र में कुल 180 वन कक्ष स्थापित हैं। जिनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लगभग 2 सैकड़ा वनरक्षक और 100 से अधिक स्थाई कर्मचारियों के कंधों पर है। जिन्हें शासन ने जंगलों और जानवरों की हिफाज़त हेतु भर्ती किया है। लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों की सांठगांठ और मेहरबानी के चलते प्रशिक्षित अमला वन मंडल कार्यालय सहित रेंज OFFICE में कागजी कामकाज कर रहा है।नियम विरुद्ध चल रहे इस कार्य के चलते जंगलों की गस्त दम तोड चुकी है। वनों की निगरानी ना होने का फायदा शिकारी और जंगल कटाई करने वालों को मिल रहा है।
मैदानी हकीकत यह है कि अधिकारी भी जंगलों की गस्त नहीं करते हैं। हालत यह है कि वन चौकी में रोजनामचा भी नहीं भरा जाता है। इसकी बानगी सारसताल वन चौकी है, जहां पिछले दिनों बाघिन के शिकार का मामला सामने आया था। वन चौकी से महज कुछ दूरी पर जहरखुरानी का शिकार हुई बाघिन की मौत की वजह भी जंगल गस्त में लापरवाही के तौर पर देखी जा सकती है। सारसताल सहित अन्य वन चौकियों के भी ऐसे ही हाल हैं।जहाँ मैदानी अमले की कमी की वजह से ताला लटका रहता है। सीधे तौर पर बोला जाए तो वन रक्षको और स्थाई कर्मियों से कार्यालय और बंगलों की बेगारी कराने की जगह, इनको जंगलों की निगरानी में तैनात करना चाहिए। जिससे जिले में जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।