धान खरीद – व्रिकय करने वाले व्यापारियों के यहां तहसीलदार व अन्य ने की कार्यवाही

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धान खरीदी के नाम पर जिले में बड़ा घोटाला

13 -14 रुपए किलो खरीद कर 19 रुपए प्रति किलो की कीमत पर सरकार को खपाई जाती है धान

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 6 जनवरी 2021, शहपुरा कलेक्टर डिण्डौरी रत्नाकर झा और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व शहपुरा काजल जावला के निर्देशानुसार तहसीलदार शहपुरा ने सामूहिक रूप से टीम बनाकर ग्राम बिछिया में धान खरीद विक्रय करने वालो के यहां कार्यवाही की गई।

कार्यवाही में तीन दुकान अमर किराना, चौकसे ब्रदर्स , महेन्द्र कुमार राजकुमार फर्म में जांच की जिसमेें दो दुकानो में धान का स्टाक मिला, साथ ही किसी भी दुकान में आफलाईन व आनलाईन अभिलेख का संधारण नहीं पाया गया। जिसके बाद आगामी आदेश तक स्टाक में रखी धान को बेचना व खरीदना प्रतिबंधित किया गया।

उक्त कार्यवाही में बताया गया कि किसानों से बिचैलियो के द्वारा कम कीमत में धान खरीद कर सहकारी समितियो में किन्हीं अन्य किसानों के नाम से उंचे दाम में धान को बेचा जा रहा है। ऐसी शिकायत मिलने के बाद उक्त कार्यवाही की गई और ये कार्यवाही लगातार जारी रहेगी। साथ ही अग्रिम कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन कलेक्टर डिण्डौरी को भेजा जावेगा।

पूरे जिले में माफियाओं का काला कारोबार जारी

जिले के जिन किसानों का पंजीयन नहीं है या फिर जो छोटे किसान अधियार बतौर खेती करते है उनकी धान माफिया सस्ते में खरीदकर उपार्जन केन्द्रों में पदस्थ जिम्मेदार लोगों से साठ गांठ करके सरकारी कीमत पर बेच देते है, यह गोरखधंधा पूरे जिले में जारी है। जिस पर अब तक किसी भी विकासखंड में कोई भी कार्यवाही किए जाने की जानकारी नहीं मिली है। पहली बार इस तरह का मामला शहपुरा ब्लॉक में उजागर हो रहा है। जबकि डिंडोरी, समनापुर, अमरपुर, बजाग में इन माफियाओं के साथ साथ गल्ला व किराना व्यापारियों के पास की धान भी सरकारी कीमत पर उपार्जन केन्द्रों की मिलीभगत से बेच कर सरकार को जमकर चूना लगाया जा रहा है। इस पूरे मामले में राजस्व अमले पर भी कार्यवाही जरूरी है जो खाली खेतों में फर्जी तरीके से फसल बता कर किसानों का धान की बिक्री हेतु पंजीयन कराने में मदद करता है। ऐसे किसान भी फर्जीवाड़े में शामिल है, जिनके खातों में इस तरह का फर्जी भुगतान किया जाता है। जिला प्रशासन को जिले में होने वाले इस बड़े घोटाले के खुलासे हेतु विस्तृत जांच कर दोषियों पर कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि सरकार को लगने वाली भारी भरकम चोट को रोका जा सके। गौरतलब है कि बाजार में 13 से 14 रुपए किलो की दर से धान की खरीदी की जाती है और उपार्जन केंद्रों पर इसे 19 रुपए की दर से खपा दिया जाता है। इस तरह जिले में सरकारी योजना को पतीला लगाते हुए एक बड़ा घोटाला अंजाम दिया जा रहा है।

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