समस्याओं से जूझता वन ग्राम धुरकुटा
पद्मश्री के लिए नामांकित अर्जुन सिंह का गांव अब भी ताक रहा है विकास की राह
नेटवर्क की समस्या से परेशान रहवासी
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 5 जनवरी 2022, जिले के अधिकतर वनग्राम विद्युत आपूर्ति, जल संकट, आवागमन के साधन, संचार साधनों की कमी जैसी कई समस्याओं से आज भी जूझ रहे है। कहने सुनने में भले आसान लगती हो ये बात किन्तु जब उनसे लोगों को रोज सामना करता पड़ता है तो वे बड़ा संकट महसूस करते है और इनसे प्रभावित भी होते है।
केंद्र सरकार द्वारा विगत दिनों पद्मश्री के लिए नामांकित किए गए अर्जुन सिंह धुर्वे ग्राम धुटकुटा में ही निवास करते है। यहां के लोगों की माने तो सबसे बड़ी समस्या नेटवर्क की है आज भी इस वनग्राम में संचार सुविधाएं नहीं पहुंच पा रही है। पिछले तीन वर्षो से कोरोना के चलते बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन करवाई जा रही है और क्षेत्र में नेटवर्क की समस्या होने से बच्चे शिक्षण कार्य में लगातार पिछड़ते जा रहे है। वहीं दूर जंगलों के बीच बसे इस गांव के लोग कही बाहर होते है तो न तो घर वाले उनसे संपर्क कर पाते है न वे अपने घर वालों को कोई जानकारी दे पाते है। बताया जाता है कि छत्तीसगढ़ बीएसएनएल का नेटवर्क कुछ हद तक गांव के कुछ क्षेत्रों में मिलता है। किसी को मोबाइल से सम्पर्क करने के लिए गांव के बाहर जंगल में जा कर पेड़ और कुछ खतरनाक पत्थरों पर चढ़कर नेटवर्क तलाशना पड़ता है जहां तक हर समय हर व्यक्ति का पहुंचना संभव नहीं है।
विद्युत व्यवस्था और सड़क तो गांव तक पहुंच चुकी है किन्तु बताया जाता है कि लाईट कभी भी गुल हो जाती है और यहां बिजली गई तो आने का नाम नहीं लेती। इसी तरह विकासखंड मुख्यालय समनापुर और बजाग से लगभग 40 किमी की दूरी पर स्थित धुरकुटा से बजाग, समनापुर और डिंडोरी तक पहुंचना आम आदमी के लिए आज भी बहुत कठिन है। सुबह एक बस बजाग और एक समनापुर की ओर जाती है इसके बाद दिनभर कोई भी बस उपलब्ध नहीं है। जिससे सामान्य गरीब आदमी जा सके ऐसी ही समस्या गांव वापस आने वालों को होती है। निजी साधन या फिर टुकड़े टुकड़े में टैक्सियों से लोगों जिले तक आने जाने में बहुत समय और किराया चुकाना पड़ता है। जबकि इस दूर जंगल में बसे गांव के बच्चों को पढ़ाई के लिए और लोगों को हर काम के लिए गांव से बाहर रोज जाना ही होता है। परिवहन विभाग द्वारा जारी किए जाने वाले परमिटों में इस पर ध्यान दिया जावे तो व्यवस्था कुछ बेहतर हो सकती है। जिससे धुरकुटा के साथ साथ आसपास के दर्जनों गांव के रहने वालो को आवागमन की ठीक ठीक व्यवस्थाएं उपलब्ध हो सकती है।
पानी को लेकर अब भी लोग हेंड पम्प पर निर्भर है जिनके खराब होने पर ग्रामीणों की पानी के लिए भटकना पड़ता है। नल जल योजना या जल जीवन मिशन से गांव को जोड़ने और पानी उपलब्ध कराए जाने की मांग ग्रामीणों द्वारा जिला प्रशासन से की जा रही है। साथ ही ग्राम धुरकुटा के ग्रामीण सबसे पहले गांव में नेटवर्क उपलब्ध करवाने की मांग जिला प्रशासन से कर रहे है ताकि वे संचार साधनों के माध्यम से देश दुनियां से जुड़े रह सके।