दहशत के साए में हो रही नौनिहालों की शिक्षा, जर्जर भवन में बैठने को मजबूर छात्र – छात्राएं

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, 23 फरवरी 2022,- (प्रकाश मिश्रा) शाला भवनों को सर्वसुविधा युक्त बनाने तथा नौनिहालों को बेहतर भविष्य के निर्माण में लाखों रुपए खर्च करने की कवायद कामयाब होते नहीं दिख रही है। बड़ी बड़ी बिल्डिंगों का निर्माण कर शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को समुचित माहौल शिक्षा के लिए प्रदान करने का प्रयास प्रदेश सरकार कर रही है। किंतु पूरे सिस्टम में भ्रष्टाचार के चलते गुणवत्ताहीन भवनों का निर्माण कराया जा रहा है। जिसके कारण लाखों रुपए की लागत से बनने वाले भवन कुछ ही समय में दम तोड़ देते हैं और इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी को उठाना पड़ता है।

ताजा मामला अमरपुर जनपद प्राथमिक एवं माध्यमिक शाला बिलगांव का है जहां कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्र और छात्राओं को प्रतिदिन डर के साए में बैठकर शिक्षा प्राप्त करना पड़ रहा है। दरअसल बिलगांव प्राथमिक माध्यमिक शाला का भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। जिसके कारण आए दिन सीलिंग और दीवाल से प्लास्टर के टुकड़े गिरते रहते हैं।

मंगलवार को भी ऐसा ही हादसा हुआ जब विद्यालय भवन के तीनों कमरों में छत का प्लास्टर बड़ी मात्रा में भरभरा कर गिर गया।गनीमत यह रही कि कुछ मिनट पहले ही छोटे-छोटे बच्चे इन कमरों से निकालकर बाहर मैदान में गए हुए थे। यदि छात्रों की कक्षा चलने के दौरान यह हादसा होता तो निश्चित तौर पर कई छात्र-छात्राएं इसमें घायल हो जाते।

विभागीय अधिकारियों को भी है जानकारी

स्कूल भवन की जर्जर स्थिति की जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी है। विद्यालय के उच्च श्रेणी शिक्षक एवं प्रभारी प्रधान पाठक ने हमारे प्रतिनिधि को बताया कि इसके पूर्व भी कई बार छत का मलबा गिर चुका है। किंतु आज की घटना के बाद बच्चों में और स्टाफ में भी दहशत का माहौल है। एक साथ तीनों कमरों में प्लास्टर का बड़ा हिस्सा भरभरा कर गिर गया। वही विभाग के उपयंत्री मुकुल पटेल से जब टेलीफोन पर मामले की जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि भवन के मरम्मत के लिए एस्टीमेट बनाकर दिया गया है। शीघ्र स्वीकृति प्राप्त होने पर मरम्मत कार्य कराया जाएगा।

सवाल यह है कि जब विभाग के उच्च अधिकारियों को भवन के जर्जर होने की जानकारी पहले से थी तब उस पर अवतरित कार्यवाही क्यों नहीं की गई। क्या विभाग और उनके आला अधिकारी किसी हादसे का इंतजार कर रहे हैं।

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