राज्यसभा का चुनाव कार्यक्रम जारी; मध्य प्रदेश की 3 सीटों का फैसला 26 मार्च को

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डिंडोरी – जनपथ टुडे, 25.02.2020

मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों में एक पर कांग्रेस और दो सीटों पर भाजपा का कब्जा है

भोपाल – मध्य प्रदेश में राज्यसभा की तीन सीटों पर चुनाव के लिए 6 मार्च को अधिसूचना जारी होगी। इसके साथ ही नामांकन पत्र दाखिल करने का कार्य भी शुरू हो जाएगा। चुनाव आयोग की ओर से मंगलवार को जारी कार्यक्रम के मुताबिक, 26 मार्च को राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होंगे। इसमें मध्य प्रदेश की तीन सीटें भी शामिल हैं। इसी दिन तीनों सीटों के लिए नए सांसद चुने जाएंगे। चुनाव कार्यक्रम के अनुसार, 6 मार्च को अधिसूचना जारी होगी। 13 मार्च तक नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे और 16 मार्च को इनकी जांच होगी। 18 मार्च तक प्रत्याशी नाम वापस ले सकते हैं। चुनाव के लिए मतदान 26 मार्च को होगा और इसी दिन मतों की गिनती होगी। पूरी चुनाव प्रक्रिया 30 मार्च तक पूरी कर ली जाएगी।

मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाने की मांग कर रही है

मध्यप्रदेश से 3 राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया का कार्यकाल 9 अप्रैल को पूरा हो रहा है। इस वजह से खाली होने वाली तीन सीटों के लिए निर्वाचन कराया जा रहा है। 230 सदस्यीय विधानसभा में वर्तमान में विधायकों की संख्या के आधार पर माना जा रहा है कि इन तीन में से दो सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर भाजपा प्रत्याशी जीत सकता है। राज्य में सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और मुख्य विपक्षी दल भाजपा की ओर से राज्यसभा जाने के इच्छुक दावेदार सक्रिय हो गए हैं। मध्यप्रदेश से राज्यसभा की कुल 11 सीट हैं।

मप्र में खाली होंगी 3 सीटें

अप्रैल में मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। इनमें से फिलहाल 2 भाजपा और एक कांग्रेस के पास है, लेकिन प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही राज्यसभा सीटों का समीकरण भी बदल गया है। अब कांग्रेस के खाते में दो और भाजपा के खाते में एक सीट जाना तय माना जा रहा है।
विधानसभा की जो सीटें खाली हो रही हैं उनमें कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह, भाजपा के राज्यसभा सांसद प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया के नाम शामिल हैं। सीटों के गणित के लिहाज से दोनों पार्टियों के पास बहुमत के आधार पर एक-एक सीट जाना तय है लेकिन तीसरी सीट को लेकर पेंच फंस सकता है। अगर निर्वाचन निर्विरोध नहीं हुआ तो वोटिंग की नौबत आ सकती है। सियासी समीकरण की बात करें तो एक सदस्य के लिए 58 विधायकों का वोट जरूरी होता है। दो सीटों में एक भाजपा और दूसरी कांग्रेस को मिलेगी, तीसरी सीट के लिए कांग्रेस के 56 और बीजेपी के पास 50 विधायक होंगे। ऐसे में कांग्रेस को दो वोट ज्यादा जुटाने होंगे, वहीं भाजपा को 8 वोट की जरूरत होगी।

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