शाहपुर अपहरण मामले में उच्च न्यायालय का दखल, दिए सुरक्षा के निर्देश

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अपहर्ता ने उच्च न्यायालय को बताया सच

जिन्हें तलाश रही थी,अब उनकी ही सुरक्षा करेगी पुलिस

जन पथ टुडे, डिंडोरी, 24 अप्रैल 2022, डिंडोरी जिले के बहुचर्चित और विवादास्पद अपहरण कांड और उससे उपजे राजनीतिक व सांप्रदायिक माहौल को गर्मा देने वाले मामले में अपहर्ता साक्षी साहू की ओर से माननीय उच्च न्यायालय में रिट पिटिशन दायर की गई जिसमें माननीय उच्च न्यायालय ने त्वरित सुनवाई करते हुए मामले की गंभीरता के मद्देनजर आवेदिका साक्षी साहू के उच्च न्यायालय में प्राप्त कथन के आधार पर व्यवस्था देते हुए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन डिंडोरी को उनकी और आसिफ जिस पर अपहरण का आरोप लगाया गया था। पुलिस की अनेकों टीम तलाश कर रही थी, उसकी ही सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। और 7 दिन के अंदर माननीय उच्च न्यायालय में जवाब प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।

उल्लेखनीय है कि 7 अप्रैल 2022 को शाहपुर निवासी साक्षी साहू पिता मिट्ठू लाल साहू के परिजनों के द्वारा शाहपुर के ही आसिफ खान पिता हलीम खान के द्वारा अपहृत किए जाने का आरोप लगाया गया था। जिस पर शहपुरा थाने में अपराध क्रमांक 201 भादंवि की धारा 363, 366 का प्रक्ररण दर्ज़ किया गया था। जिस पर जमकर पहले राजनीति हुई,लव – ज़िहाद की अफवाह फ़ैलाने की कोशिश एक राजनैतिक दल के संरक्षण प्राप्त सांप्रदायिक संगठनों ने खूब बवाल मचाया था। जिसके दवाब में आकर जिला प्रशासन ने बिना किसी जांच पड़ताल साक्ष्य , प्रमाण, बिना गवाह के, बगैर किसी अधिकारिता/ न्यायिक आदेश से जिला प्रशासन ने तानाशाह पूर्ण तरीके से संवैधानिक और कानूनी अधिकारों, दायित्वों की धज्जियां उड़ाते हुए आरोपी के पिता के पक्के मकान को बुलडोजर से जमींदोज कर दिया था। अब माननीय उच्च न्यायालय में साक्षी साहू के बयान से पूरा मामला ही पलट गया है और प्रशासन कठघरे में खड़ा है। इस पूरे प्रकरण में कुछ राजनैतिक लोगों की भी अहम भूमिका रही और उन्होंने मामले को राजनैतिक रंग देते हुए पहले धरना फिर चक्का जाम जैसा गैर-कानूनी कार्य कर प्रशासन के ऊपर इतना दवाब बनाया कि प्रशासन ने हलीम खान के मकान को जबरन गैर कानूनी ढंग से ढहा दिया था। जिसका गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने मुखर विरोध किया था और ज्ञापन सौंपा था साथ ही न्यायप्रिय बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों के द्वारा विरोध जता कर कार्यवाही को अनुचित कहा गया था। अब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश से यह स्पष्ट हो गया है की साक्षी साहू का अपहरण नहीं हुआ था बल्कि वह अपनी इच्छा से आसिफ के साथ घर से गई थी। वह उससे प्रेम करती है और उसने मंदिर में शादी भी कर ली है। स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आवेदन करने की जानकारी भी साक्षी साहू द्वारा माननीय उच्च न्यायालय को दी गई है।

हमारे प्रतिनिधि को चर्चा के दौरान पुलिस द्वारा बनाए गए कथित आरोपी के पिता हलीम खान ने बताया की वे लगातार जिला प्रशासन को पुलिस प्रशासन को यह बताते रहे की आसिफ के द्वारा कोई अपहरण का कार्य नहीं किया गया है। ना ही वह अपराधिक प्रवृत्ति का लड़का है और ना ही उसके खिलाफ कहीं, किसी भी थाने में कोई अपराधिक प्रकरण दर्ज है। लेकिन राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक गुंडागर्दी के चलते मुझे शहपुरा पुलिस के द्वारा 4 दिनों तक बंधक बनाकर रखा गया और लगातार उत्पीड़ित कर मुझसे यह कहने वाले का प्रयास प्रशासन कराता रहा की आसिफ ने अपहरण किया है और मैंने उसका सहयोग किया है। किंतु मुझे न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था और आज मेरी आस्था और बढ़ गई है न्याय की जीत हुई है और अब मैं मकान ढहने के जिम्मेदार अफसर अधिकारी और नेताओं के खिलाफ माननीय न्यायालय में न्यायिक व्यवस्था की, कानून की संविधान की धज्जियां उड़ाने वाले लोगों के विरुद्ध परिवाद प्रस्तुत कर याचिका लगा कर उनके विरुद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज करने, उन्हें सजा दिलाने और साथ ही क्षतिपूर्ति पाने के लिए मुकदमा दायर करूंगा। मुझे विश्वास है अंत में न्याय की जीत होगी और सत्ता तथा अधिकार का दुरुपयोग करने वाले राजनेता और अधिकारी कर्मचारी सलाखों के पीछे जल्द नजर आएंगे। इस पूरे मामले में आगे पुलिस को नव युगल को न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए सुरक्षा देना है। वहीं पुलिस द्वारा जिन लोगों द्वारा मामले में गलत जानकारी देकर मामले को संगीन बनाए जाने और सामाजिक माहौल को बिगाड़े जाने का प्रयास किया गया उनके विरूद्ध भी कार्यवाही की जाना की जरूरत है।

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