
समिति को पैसा नहीं देने के कारण नहीं बनाया गया “फडमुंशी”
वनोपज समिती पर रिश्वत लेने का आरोप
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 26 अप्रैल 2022, जिले में बेरोजगार घूम रहे युवक भ्रटाचार और घूसखोरी से पीड़ित है। साल में कुछ माह के लिए मिलने वाला रोजगार भी उन्हें कथित रिश्वतखोरों के कारण आसानी से नहीं मिल पाता। बताया जाता है कि तेंदूपत्ता फड़ मुंशी, उपार्जन केन्द्रों पर अस्थाई तौर पर कार्य करने वालों से भी समिति और उनके कर्ताधर्ता अवैध रूप से राशि वसूलते है और कुछ रुपयों की इस अस्थाई नौकरी के कीमत चुकाने वाले ये लोग फिर इसकी वसूली आमजन और हितग्राहियों से करते है। जिससे सभी प्रभावित होते है किन्तु इस तरह की अव्यवस्थाएं जिले में तेजी से पनप रही है और जिला प्रशासन द्वारा कभी कोई कार्यवाही नहीं की गई है। जिससे बेरोजगार भटकने की मजबुर है। ऐसा ही एक मामला जनसुनवाई में पहुंचा जिस पर जिला कलेक्टर से तत्काल सक्षम कार्यवाही की अपेक्षा है।
शहपुरा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बस्तरा निवासी पवित्र कुमार विश्वकर्मा पिता गोविन्द प्रसाद विश्वकर्मा ने अपने आवेदन में बताया है कि वह तेंदूपत्ता सीजन वर्ष 2019-20 में फडमुंशी का कार्य हेतु कार्यरत था और तेंदूपत्ता फड़ बस्तरा में कार्य किया गया। जिसमें मेरे द्वारा सभी तेंदूपत्ता संग्राहकों का भुगतान पूर्ण, पद पर ईमानदारी के साथ करवाया गया तथा अपने कर्तव्यों व दायित्वों का निर्वाहन पूर्ण ईमानदारी व कर्मठता के साथ संपादित किया गया। किन्तु प्राथमिक वनोपज समिति क्र. 334 शहपुरा के द्वारा प्रार्थी को सीजन 2021-22 में चयन नहीं किया गया और कार्य पर नहीं रखा जा रहा है। इसके पीछे उन्होंने स्पष्ट आरोप लगाया है कि मेरे द्वारा प्राथमिक वनोपज समिति क्रमांक 334 शहपुरा के सदस्यों को फड़ मुंशी बनाए जाने के एवज में पैसे न देने के कारण मेरा चयन नहीं किया गया है। जबकि मै बेरोजगार हूं तथा उक्त कार्य को करने का मुझे अनुभव है और मै पूर्व में यह कार्य सफलता पूर्वक संचालित कर चुका हूं अतः मुझे फड़ मुंशी के दायित्वों को सौंपे जाने हेत संचालक मण्डल, शहपुरा को निर्देशित किया जाये ताकि मुझ बेरोजगार को कार्य मिल सके।
समितियों द्वारा की जाती है मनमानी
आवेदक द्वारा की गई शिकायत व्यक्तिगत मामला है किन्तु जिले भर में इस तरह की अव्यवस्था और माफियागिरी की भरमार है। रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार करने वाले मनमानी कर लोगों की बेरोजगारी का भरपूर फायदा उठाते है। वन प्रशासन व जिला प्रशासन को इस तरह की नियुक्ति में नियम निर्देशों के अनुसार नियुक्ति की समीक्षा कर उचित कार्यप्रणाली अपनाए जाने हेतु निर्देशित किया जाना आवश्यक है। ताकि बेरोजगार युवकों को न्यायपूर्ण तरीके से राहत मिल सके।