माननीय का फिर नया शिगूफा, अब सेना का रोना।

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पुच्छल तारा:

इस समय गर्मी अपने रिकॉर्ड तोड़ रही है, ऐसे में अनेकों का मानसिक संतुलन डगमगा गया है। तापमान के चढ़ते ही मूसा के शिकार का दर्द भी उभर आया है।कुल मिलाकर अब भारी समस्या सामने आ गई है, समय समय पर दौरे पड़ने वाले फिर ऊलजलूल बातो पर उतर आए हैं। बातों से निकलता विजन इतना बड़ा कि टेलीविजन छोटा पड़ जाए। कभी झंडा लेकर यात्रा शुरू करने का आंदोलन, तो कभी पढ़ाई लिखाई को लेकर विशेष आत्मज्ञान जबरन पेलने वाले यह जोधा का नया शिगूफा अबकी बार वैश्विक चिंता सताने लगी है।

कुल मिलाकर अब यह नही सूझ रहा कि करे तो क्या करें। ऐसे में शांति का पाठ पढ़ाने के लिए अध्यापक बनने की कवायद करने लगे और योजना का खाका उड़ेल दिया गया। इस पूरे आत्मज्ञान पर लोग चुटकी लेने लगे कि कोई 5 मिनट इसे सुन ले तो 500 का ईनाम दिया जाएगा। हालांकि नया अभियान जमीनी तौर पर धरातल पर उतरेगा या पिछली तमाम तथा कथित योजनाओं की तरह यह सिर्फ प्रवचन तक ही सीमित रहेगा, देखना लाज़मी होगा। अब तो पुच्छल तारा की यही मुफ्त सलाह है कि फ्री की लस्सी के चक्कर मे माननीय रायता नही फैलाएं। खैर अपने लिए तो दूध और दही, सब है सही।

वैसे इतने बड़े मिशन जिसके लिए सेना बनेगी, बड़ा विचार और मंथन हर कोई हजम कर पाएगा इसकी समझ तो जनाब को थी इसलिए माथे गरम न हो जाए इसलिए दिमाग को ठंडे किए जाने की व्यवस्था की पर तब भी यह ज्ञान ज्यादातर लोगों के भेजे में उतरा, न अभी तक कोई इसे कागज पर पेल पाया, बस लस्सी पी कर मुंह पोछ कर चलते बने लोग हकीकत ये है। 15 साल से जहां बिराजे है महाराज वहां की भोली भाली, सीधी साधी जनता जनार्दन अब भी पिछड़ेपन और भ्रष्टाचार से हलकान है जिसको इतने भारी भरकम बौद्धिक डोज तो नहीं समझ आने वाले पर सौ की एक बात जरूर बोलते है लोग कि हमारे जनप्रतिनिधि यदि ईमानदार हो जाए और उनके आसपास का कमीशनखोर कुनबा अपनी करतूतों से बाज आ जाए तो कम से कम इलाके का विकास तो दिखाई देने ही लगेगा। क्षेत्र की बद्तर हालत और बेहाल क्षेत्र की जनता के लिए कुछ कीजिए जो दिखे, परमाणु बमों से मानवता की रक्षा जैसे मिशन पर बातें बड़ी बड़ी तब समझेगे लोग………..।

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