“अमृत सरोवर” के नाम पर मलाई मार रहे जिम्मेदार अधिकारी

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लगभग 37 करोड़ रुपए की लागत से जिले में चेकडैम, स्टाप डेमो का हो रहा घटिया निर्माण

मुख्यमंत्री की गीदड़ भभकी, जिला प्रशासन खामोश प्रमुख सचिव का औपचारिक दौरा हुआ

जनपथ टुडे, डिंडोरी, मई 2022, जिले में अमृत सरोवर योजना अन्तर्गत एकमुश्त 81 चेकडैम की तकनीकी स्वीकृति दिनांक 8 अप्रैल 2022 को की दी गई और आनन फानन में निर्माण कार्यों को शुरू भी कर दिए गए। इनमें से बजाग के तीन कार्यों की तकनीकी स्वीकृति लगभग साल भर पहले ही चुकी थी। इन निर्माण कार्यों को अमृत सरोवर का नाम दिया गया है जिसमें से बहुत से डेम अनुपयोगी और आम आदमी की पहुंच और जरूरत से दूर निर्मित किए जा रहे है। शासन का करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यदि निर्माण का उपयोग जनता न कर पाए तब सवाल उठता है कि इन सरोवर से निकलने वाला अमृत आखिर किसके लिए है और मिल किसको रहा है? जिले भर में निर्माणाधीन इन संरचनाओं की उपयोगिता और घटिया निर्माण कार्यों को लेकर आमजन सवाल खड़े कर रहा है किन्तु प्रशासन किसी भी खबर पर गौर नहीं कर रहा है न घटिया कार्यों की शिकायत पर कोई जांच अब तक करवाई गई है। बताया जाता है कि घोषित तौर पर तो आर ई एस के उपयंत्रीओं की देखरेख में एसडीओ के मार्गदर्शन में और ईई की नियमित निगरानी पर अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा रहा हैं। किन्तु हकीकत कुछ और है अधिकांश कार्यों को अघोषित रूप द्वारा तकनीकी स्वीकृति और प्राक्कलन और डिजाइन को दर किनार करके बनाया जा रहा है और आर ई एस का अमला साइड पर झाकने तक नहीं जाता वहीं आरोप यह भी लग रहे है कि इन कार्यों को विभाग ने कुछ चहते ठेकेदारों को नियम विरूद्ध दे दिए गए है। जिससे इनकी गुणवत्ता और कमियों पर स्थानीय लोग अधिक शोर न मचाएं। इस वजह के चलते मनमानी करते हुए घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग कर गुणवत्ताहीन चेक व स्टाप डेमो का निर्माण कार्य चल रहा है। आमजन इनकी उपयोगिता और गुणवत्ता को लेकर विरोध कर रही है लेकिन आर ई एस के अमले पर कोई असर ही नहीं है, जिससे स्पष्ट है कि इन्हें ऊपर स्तर से खुला संरक्षण प्राप्त है। बताया जाता है अमृत सरोवर योजना का एक मात्र प्रशासनिक लक्ष्य इनको किसी भी तरह से बरसात के पहले पूरा करना है ताकि ये संरचनाएं पानी के नीचे चली जाए और सवाल जवाब की स्थिति ही ख़तम हो जाए। फिर निर्माण एजेंसी इस समुद्र मंथन से निकले अमृत का आराम से बंदरबांट कर सके।

जबकि विगत दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुबह सुबह बैठक कर प्रदेश भर के जिला पंचायत सीईओ को निर्देश दिए है कि अमृत सरोवर सहित, मनरेगा, पीएम आवास के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से कतई खिलवाड़ न हो। किन्तु जिले के आला अधिकारी तो मुख्यमंत्री के निर्देश का औपचारिक पालन तक करने तैयार नहीं है। जिसके चलते जिले में चल रहे निर्माण कार्यों की गुणवत्ता को लेकर शिकायत को सुना ही नहीं जाता जांच और कार्यवाही किया जाना दूर की बात है।

विगत दिनों जनपथ टुडे ने डिंडोरी अन्तर्गत माधोपुर पंचायत में 45 लाख रुपए की लागत से गोजर नदी पर बना रहे चेक डेम निर्माण कार्य की घटिया गुणवत्ता और गलत साइड पर किए जा रहे कार्य का खुलासा किया था। जनपद पंचायत अमरपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत मौहारी में कचनारी नदी कोठी घुघरा के ऊपर अनुपयोगी चेक डेम का निर्माण कार्य क्षेत्रीय प्रतिनिधियों को जानकारी तक नहीं लगी और निर्माण कार्य स्वीकृत कर कार्य निर्माण प्रारंभ कर दिया गया। जिस स्थल पर ग्रामवासी एवं जनप्रतिनिधि लंबे समय से निर्माण करने की मांग करते आ रहे हैं। उसकी अनदेखी कर इंटीरियर में जहां आमजन नहीं पहुंच सके वहा निर्माण कार्य सिर्फ दिखावे के लिए किए जा रहे है, यह आरोप स्थानीय और क्षेत्रीय लोग लगा रहे है।

डिंडोरी विकासखंड के घाना घाट में बनाया जा रहा स्टाप डेम जिसके एक ओर लगभग 80 मीटर ऊंचा पहाड़ और दूसरी ओर 80 फिट की उचाई के चलते सिंचाई के लिए अनुपयोगी जान पड़ता है वहीं कल संरक्षण या जल स्तर बढ़ाने का भी कोई तर्क यहां समझ से परे है जब कुछ ही मीटर की दूरी पर नर्मदा नदी है वहीं आवासीय आबादी से दूर एकांत में बन रहे इस स्टाप डेम के उपयोग पर सवाल उठते है। वहीं निर्माणकार्य की कमिया छिपाने प्लास्टर भी करवाया जा रहा है। माफियारास में निर्माणधीन स्टाप डेम में सारे साईज की मिक्स गिट्टी जिसमें हाथ से थोड़ी गई गिट्टी मिलाकर निर्माण चालू है देखने वाला कोई जिम्मेदार मौके पर उपलब्ध नहीं। खास बात यह भी है कि इन भारी भरकम स्टाप और चेक डैम में स्टील का कहीं नामों निशान नहीं दिख रहा है जबकि जानकारों का कहना है की इसके बिना इनका ठहरना बहुत मुश्किल होगा।

जहर न बन जाए “अमृत”

अमृत सरोवर को लेकर खुछ कड़वे अनुभव अभी से सुनाई देने लगे है। जहां मुख्यमंत्री द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग में ईई, आर ई एस को जमकर फटकारे जाने का मामला चर्चा में है और सीएम ने कलेक्टर को जांच कर रिपोर्ट देने के लिए निर्देशित किया है। वहीं बताया जाता है कि इसी के चलते रविवार को प्रमुख सचिव उमाकांत उमराव सहित आर ई एस के सी. ई और एस. ई. ने जिले में चल रहे कार्यों का जायजा लिया। इनके साथ ही इन कार्यों के भुगतान को लेकर निर्माण अमला परेशान बताया जा रहा है वहीं कार्यों की घटिया गुणवत्ता को लेकर भी सभी तरफ शोर सुनाई दे रहा है। निर्माण एजेंसियों ने यदि अपनी कार्यप्रणाली नहीं सुधारी और मलाई मारने की नियत से काम किए जाते रहे तो योजना का अमृत जहर भी बन सकता है। पहले जिले में ऐसी कई योजना कागजों पर हजम हो गई पर वह दौर अलग था अब सूचनाएं और समाचार बहुत तेजी से ऊपर तक पहुंचना आसान हो गया है। जनहित में जिला प्रशासन को भी अमृत सरोवर योजना को डूबने से बचाने के लिए कठोर कदम उठाते हुए कार्यवाही तेज करना होगी।

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