खबरों की सुर्खियों में आने के बाद ढीमरटोला पहुंचा पीएचई का अमला

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मोटर पंप लगाकर दे रहे हैं अब ग्रामीणों को पानी – ग्राम पंचायत घुसिया का मामला

जनपथ टुडे,डिंडौरी, 3 जून 2022, जनपद पंचायत क्षेत्र के घुसिया ग्राम पंचायत के पोषक ग्राम ढीमर टोला में पानी के लिए जान जोखिम में डाल कर कुंए में उतर कर कटोरे से पानी निकालने की खबर चैनलों और अखबारों में दिखाए जाने के बाद पीएचई विभाग हरकत में आया और दूसरे दिन गांव पहुंचकर मोटर पम्प के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवा रहा है।

गौरतलब है कि ढीमर टोला में लगभग 500 की आबादी है, तीन कुंए सूखे हुए है और एक कुंए में थोड़ा-थोड़ा पानी रिसता रहता है, जिसे ग्रामीण अपनी प्यास बुझाते है और यह समस्या हर वर्ष होती है। किंतु पेयजल आपूर्ति के लिए ठोस योजना बनाकर काम न किए जाने की वजह से इस समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया।

पीएचई विभाग के एक्सक्यूटिव इंजीनियर शिवम सिन्हा ने जानकारी में बताया कि घुसिया ग्राम पंचायत में जल जीवन मिशन योजना के तहत काम चल रहा है। नर्मदा नदी से पानी लाकर ग्रामीणों को पानी उपलब्ध करवाया जाएगा।

पेयजल को लेकर क्या है जिले के हालात

पीएचई विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले भर में पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए जल जीवन मिशन योजना के तहत 242 योजनाओं में काम करना है। जिसमें 32 जल जीवन मिशन योजनाएं कम्पलीट हो चुकी हैं। 15 योजनाएं जून माह के अंत तक कंप्लीट हो जाएंगी। जिससे ग्रामीणों को पानी मिलने लगेगा। 53 बसाहट वाले ऐसे ग्राम में जहां जलस्तर कम है उन ग्रामों में भी जल जीवन मिशन योजनाओं को पूरा करा कर पेयजल की समस्या दूर कर ली जाएगी। साथ ही 6 ऐसे गांव जहां जल स्तर बहुत ही कम है वहां पेयजल आपूर्ति के लिए प्रस्ताव भेज कर टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है।

लापरवाही और भ्रष्टाचार से पीड़ित पीएचई

पीएचई के अधिकारियों के कागजी दावो की रोज किसी न किसी छोर से पोल खुल जाती है। कही महिलाएं बर्तन लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचती है, तो कहीं मंत्री का काफिला लोग रोक लेते है, कही सड़क पर लोग जान लगा देते है और इसकी वजह है की लोग सच में बेहद परेशान है। पीएचई को पानी के लिए शासन से मुहैया करवाई जा रही राशि के सही तरह से उपयोग नहीं होने के कारण और विभाग में व्याप्त लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से गांव के हेंड पम्प, कुए, झिरिया, स्टाप डेम से लेकर नल जल योजना तक सब गर्मियों के आते ही जवाब दे देती है। वर्षों से विभाग में व्याप्त गड़बड़ियों का खामियाजा आज जिले की जनता को भुगतना पड़ रहा है। वहीं विभाग का मैदानी अमला समस्या और उसके हल को लेकर कोई ऐसी योजना नहीं बना पाया है जिससे लोगों को वास्तव में राहत मिल सके। कल तक जिस गांव में बच्चे कुएं में उतर कर जान जोखिम में डालकर पानी निकाल रहे थे वहां जो वैकल्पिक व्यवस्था आज की वह विभाग पहले भी कर सकता था।

इन सब मामलों में ग्राम पंचायत और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी खुली लापरवाही उजागर होती है। करोड़ों के जल संवर्धन के कार्यों का अस्तित्व ही गायब दिखाई देता है। पीएचई के अलावा जिन गांवों में जल संकट गहराता है पंचायत भी उपयुक्त स्थल पर कुएं का निर्माण करवा सकती है। जिससे कुछ तो राहत लोगों को मिल ही सकती है। पर पंचायतों में सार्वजनिक कुओं का निर्माण न के बराबर किया जा रहा है। विकास के नाम पर पुलिया और स्टाप डेम ही प्राथमिकता है, आखिर क्यों? जिला और जनपद का ध्यान भी इस ओर नहीं है। पेयजल योजनाओं पर प्राथमिकता के आधार पर राशि व्यय का निर्धारण किया जा सकता है। पर सच्चाई यही है कि किसी भी स्तर पर जनता की समस्याओं से किसी को कोई लेना देना नहीं है।

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