“अमृत सरोवर” गुणवत्ता को लेकर विभाग चुप, कमाई का जरिया बनी पीएम की अभिनव योजना

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धर्मेंद्र मानिकपुरी –

सब इंजीनियर करवा रहे मनमाना निर्माण कार्य
खाल्हे भवरखंडी और दियाबार में जारी घटिया चेक डेम का निर्माण

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 20 जून 2022, प्रधानमंत्री की अभिनव अमृत सरोवर योजना आर ई एस विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों के लिए दुधारू साबित हो रही है। चल रहे कार्य घटिया और प्राक्कलन की अनदेखी कर किए जा रहे है। कांक्रीट में बड़े बड़े पत्थर डाल कर निर्माण जारी है। जिन पर एसडीओ और ईई के द्वारा कोई भी कार्यवाही नहीं किए जाने से जाहिर है कि खुले भ्रष्टाचार में अधिकारियों का भी खुला संरक्षण है। अधिकतर कार्य अनुपयोगी स्थल पर कराए जाने के आरोप ग्रामीण लगा रहे है किन्तु इसकी भी कोई सुनवाई करने वाला नहीं है।

डिंडोरी ब्लॉक अन्तर्गत पंचायत माधवपुर के खाल्हे भंवरखंडी की गोजर नदी पर 47 लाख रुपए की लागत से चेक डैम का निर्माण जारी है। घटिया निमार्ण कार्य कराया जा रहा है जिसका खुलासा “जनपथ टुडे” द्वारा पूर्व में भी किया गया था किन्तु विभाग के अधिकारियों की खामोशी के चलते किसी तरह के सुधार की बजाय अब और खुलकर घटिया निर्माण अंजाम दिया जा रहा है। खुलेआम कांक्रीट में बड़े बड़े पत्थर डाले जा रहे है। मजदूरों और मिस्त्री की माने तो सब इंजीनियर के कहने पर ऐसा किया जा रहा है। निर्माण स्थल पर विभाग के सुपरवाइजर की मौजूदगी में पत्थर भरे जा रहे है। जिन्हे तस्वीर में साफ देखा जा सकता है, इसके बाद भी विभाग के अधिकारी अंधेरगर्दी पर चुप है। इस खामोशी की वजह भी जाहिर है।

ग्रामीणों का कहना है कि सब इंजीनियर द्वारा मनमाने तरीके से स्टॉप डैम निर्माण पुल के पास ही करा दिया गया है और घटिया कार्य करवाया जा रहा है। घटिया निर्माण और डाले जा रहे पत्थरों को लेकर सब इंजीनियर से जानकारी मांगे जाने पर कोई जवाब हमारे प्रतिनिधि को नहीं दिया जाता। और साइड पर तैनात सुपरवाइजर के पास न तो कोई ड्राइंग डिजाइन है न एस्टीमेट, काम मनमाने ढंग से चल रहा है।

इसी तरह नेवासा के दियाबर में गोडार नदी में 43.19 लाख रुपए की लागत से बन रहे चेक डेम में सब इंजीनियर बी एस तिलगान की देख रेख में अत्यधिक अभिनव पहल की जा रही है। बिना रेत और सीमेंट के गिट्टी भर कर ही चेक डेम का निर्माण किया जा रहा है। लोहे के नाम पर दिखावटी जाल जरूर दिखाई देता है पर कांक्रीट की स्थिति देखकर गुणवत्ता का अनुमान आसानी से लगाया सकता है।

जबकि उक्त निर्माण कार्य की लागत 43.00 लाख रुपए है और विभाग के जिम्मेदार सिर्फ थूका लपेटी कर रहे है जिसकी वजह है उन्हें प्राप्त विभाग के आला अफसरों का संरक्षण। कार्य स्थल की तस्वीरों से कार्य की गुणवत्ता का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। मनरेगा अन्तर्गत कराए जा रहे उक्त निर्माण कार्य में मजदूरों की माने तो प्यूरी मशीन का उपयोग किया जा रहा है ताकि आनन फानन में घटिया निर्माण को ढक कर कार्य समाप्त किया जा सके। सरकार मजदूरों का पलायन रोकने उन्हें स्थानीय स्तर पर मजदूरी मुहैया करवाने लाखों रुपए के निर्माण कार्यों को स्वीकृति प्रदान कर रही है किन्तु अफसरशाही के लिए कमाई का जरिया बन चुकी अमृत सरोवर योजना में गरीब मजदूरों के हक पर डाका डाला जा रहा है। और इन तमाम मनमानी पर कोई कार्यवाही न होना जिले कि व्यवस्थाओं पर सबसे बड़ा सवाल है।


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