शहर को शराब से सराबोर करते तस्कर

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डिंडोरी – जनपथ टुडे, 28.02.2020

जिला मुख्यालय में देशी और विदेशी शराब की दुकान नर्मदा तट पर बसे पवित्र नगर के चलते सरकार ने भले न खोली हो पर शहर के शुराप्रेमीयो को व्यवस्थाओं से किसी तरह की शिकवा- शिकायत नहीं हैं। सरकार ने जहां भोली भाली जनता के सामने अपना धर्म प्रिय चेहरा दिखाते हुए अपनी पाक साफ छवि बनाने का प्रयास किया हैं वही पर्दे के पीछे से प्रशासन को शायद सब यथावत चलते रहने देने का भी इशारा कर दिया था और इसका असर सरकार बदल जाने के बाद भी उसी तरह ही देखा जा रहा हैं।

ना केवल शराब का शौक फरमाने वाले बल्कि शहर रहवासी जानता है कि जिला मुख्यालय में खुलेआम शराब की आपूर्ति खुलेआम हो रही है, पर लगता है कि पुलिस को भर खबर नहीं हैं ? अनजान बनी पुलिस की मुस्तैदी और सक्रियता पर लोग सवाल कम उठाते हैं आरोप अधिक लगाते हैं।

बेखबर पुलिस और सक्रिय शराब तस्कर

जिला मुख्यालय में शराब की शासकीय दुकान तो नहीं है पर नगर के 15 वार्डों में 20 से अधिक ठिकानों पर देशी और विदेशी हर ब्रांड की शराब उचित दर पर उपलब्ध है। लोग बताते हैं कि शराब दुकान से भी सस्ती शराब डिंडोरी में घर पर पहुंचा कर दी जा रही है। कमाल की बात यह है कि नगर में कई दर्जन लोग घर तक शराब पहुंचाने की सुविधा प्रदान कर रहे हैं पर सब पुलिस की पकड़ से बच जाते हैं यह भी कमाल हैं।

कहां से आती हैं शराब ?

जिला मुख्यालय के अलावा गांव – गांव, कस्बे – कस्बे में अवैध रूप से शराब की बिक्री हो रही है और रोज लाखों रुपए की शराब अवैध रूप से बेची जा रही है यह सर्वविदित है पर ये शराब इतनी बड़ी मात्रा और कीमत की आ कहां से रही हैं ? यह भी बड़ा सवाल हैं पर इस गुत्थी को कभी सुलझाना पुलिस ने जरूरी नहीं समझा। जिले भर में ऐसे दर्जनों प्रकरण दर्ज हैं जिनमें पुलिस ने अवैध शराब की तस्करी करने वालों, बेचने वालों को पकड़ा मामला दर्ज किया सारी कार्रवाई हुई पर यह तत्व कभी उजागर नहीं किया गया कि यह अवैध शराब आई कहां से? किस शासकीय दुकानदार या ठेकेदार का माल था जो अवैध बिक्री के लिए तस्कर ले जा रहे थे। जबकि इसकी पड़ताल में कोई बड़ी मशक्कत का विषय नहीं है हर बोतल पर बैच नंबर पड़ा होता है और शराब आपूर्ति करने वालों के पास इसके दस्तावेज उपलब्ध होते हैं कि किस ठेकेदार को किस बैच नंबर का माल कब दिया गया। किंतु इसका खुलासा न करने और उन ठेकेदारों के विरुद्ध कार्यवाही न करने से कहीं न कहीं इस तस्करी के अवैध कारोबार में लिप्त बड़ी मछलियों को बचाने, इन्हें संरक्षण दिए जाने की बात का खुलासा होता हैं।

मार्च में बढ़ेगी अवैध शराब की तस्करी

वर्तमान सत्र में शासकीय शराब दुकानों के ठेके 31 मार्च को समाप्त हो रहे हैं और आगामी वर्ष के लिए लागू प्रदेश की नई आबकारी नीति में दुकानों के रिन्यूअल के बजाए नए सिरे से बोली का प्रावधान है जिसके चलते दुकाने नए ठेकेदारों द्वारा लिए जाने की भी संभावनाएं हैं और इसी के चलते ठेके के अंतिम माह में बड़ी मात्रा में बिक्री करने और अधिक मात्रा में शराब कुचियों के हवाले करने की प्रयास बड़े स्तर पर ठेकेदारों द्वारा किए जाने की संभावना है जिसके चलते शराब की तस्करी भी बढ़ेगी।

 

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