अमृत सरोवर में होने लगी थिंगदा पट्टी, 37 लाख के तालाब का बचाव कार्य जारी

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भ्रष्टाचार और गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों की खुलने लगी पोल

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 25 अगस्त 2022, जिले में व्याप्त भ्रष्टाचार और उसपर प्रशासन की चुप्पी के चलते शासन को खुलेआम चूना लगाया जा रहा है। घटिया और गुणवत्ताहीन निर्माण कार्यों को अंजाम देकर शासकीय धन का दुरुपयोग किए जाने और आमजन की शिकायतों को दरकिनार कर मनमाने काम किए जाने के कई मामले उजागर होने के बाद भी जिले के जनप्रतिनिधि हाथ पर हाथ रखे बैठे है जिससे शासकीय अमला पूरी तरह अपनी मनमानी पर उतारू नज़र आता है। केंद्र और राज्य शासन की महत्वपूर्ण अमृत सरोवर योजना भी भ्रष्टाचार के इसी चंगुल में फसी दिखाई देती है, अब इनकी पोल भी खुलने लगी है।
विगत दिनों हुई लगातार बरसात में डिंडोरी विकासखंड के मुड़िया खुर्द का इसी वर्ष बनकर तैयार हुआ अमृत सरोवर न सिर्फ बहने की कगार पर आ गया बल्कि इससे दर्जनों किसानों की फसल भी तबाह ही गई। जिसकी जानकारी आने के बाद ग्रामीण यांत्रिकी विभाग की एसडीओ गीता आर्मो ने हमारे प्रतिनिधि को बताया कि झूठी अफवाह फैलाई जा रही है तालाब नहीं फूटा है बेस्ट बीयर से पानी निकल रहा है। किन्तु पड़ताल करने पर पता चला कि लापरवाही और गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है और अब विभाग उसकी थिंगदा पट्टी करने में जुटा है। बताया जाता है कि उक्त सरोवर जिसकी लागत 37 लाख रुपए थी, जिस पर रोलर नहीं चलने और काली मिट्टी ठीक से नहीं भरे जाने के चलते इसका एक हिस्सा पिछले दिनों बह गया था। जिसने अब बोरियो में पत्थर भर कर ऊपर से मिट्टी का भराव किया जा रहा है, जिससे वजन के चलते शायद तालब ठहर जाए। विभाग जोर शोर से सरोबर को बचाने के प्रयास में दल बल के साथ लगा है और किसी तरह इसे बहने से बचाने की कोशिश की जा रही है तालाब के क्षति ग्रस्त होने से काफी मात्रा में पानी बह भी चुका है और आगे यदि और पानी नहीं भरा तो तालाब की संरचना जरूर सुरक्षित बच जाएगी।

एक माह में खुल गई पोल


मुड़ियाखुर्द के नवारा झोड़ी नाले में 37.26 लाख रुपए की लागत से आर ई एस विभाग द्वारा बनाए गए तालाब का कार्य 14 जून 2022 को प्रारंभ बताया जाता है जो 26 जुलाई को पूर्ण हुआ था और एक माह बीतने के पहले ही लाखों रुपए की लागत से बना यह तालाब क्षतिग्रस्त हो गया जिससे समीप में खड़ी किसानों की फसल भी खराब हो गई।

ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया की विभाग के जिम्मेदारों सहित ठेकेदार वा रोजगार सहायक की निगरानी में तालाब का निर्माण कार्य कराया गया था। जिसमें इनके द्वारा बंड भराई में काली मिट्टी का उपयोग ठीक से नहीं किया गया तथा रोलर नहीं चलाया गया जिसके चलते तालाब की मेढ़ की मिट्टी पहले से धस रही थी इसके साथ ही जल भराव के दौरान ओवर फ्लो का पानी निकलने के लिए जिम्मेदारों के द्वारा वाल नहीं बनाया गया जिसके चलते बारिश का तेज बहाव भ्रष्टाचार के अमृत सरोवर को बहा ले गया जिससे निर्माण स्थल के नीचे लगी कृषकों की फसल भी अमृत सरोवर के फूटने से बह गई बावजूद इसके तमाम जिम्मेदार अपनी खामियों को छिपाने के लिए नई नई दलीलें दे रहे हैं। लेकिन यहां अहम आलम बात यह है की शासन की मनसा अनुसार जल संरक्षण के एवं ग्रामीणों सहित इनके पालतू मवेशियों की पानी की उपलब्धता के मद्दे नजर बनाया गया अमृत सरोवर 2 दिनों की बारिश भी नहीं झेल पाया और जमींदोज हो गया यहां इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता की 37 लाख की लागत से बनाए गए अमृत सरोवर का लाभ ग्रामीणों को मिले अथवा ना मिले लेकिन जिम्मेदार विभाग के आला अधिकारी एवं ठेकेदार ने जरूर अमृत सरोवर के निर्माण कार्य के दौरान जमकर उक्त अमृत सरोवर में भ्रष्टाचार की गोते लगाए हैं। अब इसको बचाने के लिए जुगाड का सहारा लिया जा रहा है।

कोई फर्क नहीं अलबत्ता…..

शासन के लाखों रुपए खर्च होने के बाद बने गुणवत्ताहीन तालब के फूटने की खबरे सार्वजनिक होने के बाद भी न तो प्रशासन ने किसी जांच के आदेश दिए है और न ही विभाग न मामले को गंभीरता से लेते हुए जिम्मेदार एसडीओ और सब इंजीनियर के विरूद्ध कोई कार्यवाही की है। निर्माण होने के केवल एक माह के भीतर टूट गए तालाब को सुधारने के प्रयास जरूर किए जा रहे है यह कितने कारगर साबित होंगे यह समय ही बताएगा।

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