बैगाओं की फसल चराने के मामले में वन विभाग ग्रामीणो से करवा रहा शिकायत, गांव में टकराव की आशंका

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वन विभाग अपने बचाव में करवा रहा राजनीति

बैगा कर रहे दोषियों पर कार्रवाई की मांग

जनपथ टुडे, डिंडौरी, 20 सितंबर 2022, वन परिक्षेत्र उत्तर समनापुर अंतर्गत वन ग्राम सिमरधा में निवासरत बैगा जनजाति द्वारा रोपी गई फसल को वन विभाग द्वारा बलपूर्वक मवेशियों से चराने के मामले में, वन विभाग अब बचाव की मुद्रा में आ गया है। विशेष संरक्षित जनजाति पर की गई अमानवीय करतूत पर पर्दा डालने की कोशिश में वन विभाग अन्य तीन गांव के ग्रामीणो को लामबंद कर वन भूमि पर बैगाओं द्वारा अतिक्रमण करने की शिकायत प्रशासन को करवाई है। जानकारी के मुताबिक खम्हरिया, अतरिया और समनापुर वन सुरक्षा समिति सदस्यों के साथ कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि बंदीछोर के निस्तारी जंगल में सिमरधा के बैगाओं द्वारा अवैध अतिक्रमण कर लिया गया है। शिकायत में धार्मिक भावनाओं की आड़ लेकर आरोप लगाये गये हैं कि बैगाओं द्वारा कथित रूप से किये गये अतिक्रमण के चलते धार्मिक स्थल का आवागमन भी प्रभावित हो रह है। बैगा जनजाति की फसल मवेशियों से चराने का अपराध करने वाले वन अमले का आरोप है कि बैगाओं ने मवेशियों को चराने के लिए जंगल तक में कब्जा कर लिया गया है।

गौरतलब है कि फसल चराए जाने के मामले में कांग्रेस, गोंडवाना, जयस सहित अन्य दल लगातार वन विभाग के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में FOREST DIPARTMENT ने दबाब बनाने की रणनीति के तहत गैर बैगा आदिवासी ग्रामीणों से शिकायत करवा मामले को नया मोड़ देने की कोशिश की है।

सिमरधा गांव निवासी बैगा परिवारों की पीड़ा के इतर दूसरे गांव के ग्रामीणों ने खुद ही अदालत बनकर फरमान भी सुना दिया कि बंदीछोर अतिक्रमण स्थल में सिमरधा के बैगाओं के द्वारा चार पांच वर्ष पहले ही अवैध कब्जा किया गया है।जबकि बैगा परिवार पुरखों से यहाँ काबिज होने की दलील देकर सुबूत भी पेश कर रहे हैं।बताया गया कि संबंधित जंगल बीट अतरिया के कक्ष क्रमांक 365 और कक्ष क्रमांक 364 का है। जिसका शासन द्वारा पट्टा जारी किया गया है। यह जमीन अतरिया, खम्हरिया और समनापुर के जंगल की है। प्रतीत होता है कि अन्य गाँव के ग्रामीणों से शिकायत करवा कर वन विभाग ग्रामीणों को ही आपस मे लड़वाने की साजिश कर रहा है। चूंकि शिकायतकर्ताओं ने पत्र में उल्लेख किया कि यदि शासन द्वारा जंगल से सिमरधा के बैगाओं का अतिक्रमण हटाकर फिर से उन्हें जंगल का अधिकार नहीं दिया जाता तो सभी ग्रामवासी जंगल, पर्यावरण की सुरक्षा के लिए संगठित होकर व्यापक जन आंदोलन करेंगे, जिसकी जबाबदारी शासन प्रशासन की होगी।

BJP पर दोहरे मापदंड का आरोप

एक तरफ तो राष्ट्रपति बैगा समुदाय के व्यक्ति को पदम श्री प्रदान कर बैगा जनजाति को सम्मानित करते है। राज्यपाल खुद बैगाचक में पहुंचकर बैगाओं के सर्वागीण विकास और समर्थन का दावा करते हैं और दूसरी तरफ प्रशासन गरीब बैगा परिवारों की लहलहाती फसल को जानवरों से चारवाने की करतूत कर रहा है। इतना ही नही बलपूर्वक कार्रवाई को अंजाम देने के दौरान बुजुर्ग बैगा महिलाओं से मारपीट भी की जाती है।जिससे BJP सरकार की जनजाति समुदाय के बीच छवि खराब हो रही है। अन्य राजनैतिक दलों ने शिवराज सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने के आरोप लगाए हैं। दाने दाने को मोहताज बैगा भी प्रशासन और सरकार को कोस रहे हैं।

गौरतलब है कि 14 सितंबर को वन विभाग, पुलिस, वन सुरक्षा समिति खम्हरिया, अतरिया व समनापुर के सहयोग से वीट अतरिया के कक्ष क्रमांक 364, 365 से अतिक्रमण हटाने के प्रयास के तहत वन विभाग ने बैगाओं की फसल को जानवरों से चरवा दिया था और बैगाओं की झोपड़ीयों को तोड़ डाला था। इस करतूत का सभी स्तर पर विरोध हुआ था।फिलहाल दोषी वन कर्मियों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है। लिहाजा वन प्रशासन और वन विभाग अपने को बचाने की कोशिश में ग्रामीणों को आगे लाकर शिकायत करवा रहे हैं। पूरे मामले पर जिला पंचायत अध्यक्ष रुदेश परस्ते ने कहा है कि बैगाओं पर हुये जुल्म के मामले में दोषियों पर कार्रवाई नही होने की दशा में जिला स्तरीय आंदोलन को अंजाम दिया जावेगा।

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