माफियाओं के इशारे पर पटवारी दर्ज कर रहे गिरदावरी, किसान परेशान
किसानो को हो रहा नुक्सान, सरकार को चूना लगाने की बड़ी साज़िश
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 18 अक्टूबर 2022, प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार किसानों के हित में तमाम योजनाओं और घोषणा कर खुद को किसान हितैषी बताने के प्रयास कर रही है। दूसरी ओर प्रशासन की निष्क्रियता और राजस्व अमले कि घटिया कार्यप्रणाली से योजनाएं और घोषणाए तो दूर किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। पटवारियों की मनमर्जी और किसानों के शोषण के विरूद्ध न तो तहसीलदार कोई कार्यवाही कर रहे है और न प्रशासन किसानों को बजीफ हक दिला पा रहा है। दूसरी ओर पटवारियों के कारनामों से सरकार को प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का चूना लग रहा है। माफिया मालामाल हो रहे है और किसान परेशान है।
जिले में धान की फसल कटने का समय आ गया है। सरकार को समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए किसानों के पंजीयन की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। किन्तु तब भी कई ऐसे किसान है जिनका पंजीयन सिर्फ इसलिए नहीं हो पाया क्योंकि गिरदावरी में पटवारी ने उनके खेत में फसल दर्ज नहीं की, जबकि खेत में उनकी फसल पक चुकी है। अब ये किसान अपनी फसल बाजार ने औने पौने दामों पर बेचने मजबूर है। वहीं खाली पड़ी भूमियों की गिरदावरी में फसल दर्ज कर पटवारी माफियों और व्यापारियों को लाभ पहुंचा रहे है। जिससे सरकार को करोड़ों का चूना लगाया जा सके। इन माफियाओं द्वारा इन्हीं किसानों से फसल खरीदकर उपार्जन केन्द्रों पर समर्थन मूल्य पर फसल बेच कर मोटी कमाई की जाती है। पटवारियों द्वारा दर्ज की गई गिरदावरी की वास्तविक जांच की जावे तो सैकड़ों ऐसे किसान है जिनकी फसल दर्ज नहीं की गई वहीं बड़ी संख्या ने खाली खेतों में फसल दर्ज कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगाने की तैयारी कर ली गई है और खाली खेतों के नाम पर भी माफियाओं ने फसल बेचने के लिए अपने पंजीयन भी करवा लिए है। जिला प्रशासन समय रहते जांच करवाकर ऐसे माफियाओं और राजस्व अमले के कारनामे को उजागर कर सकती है।
तहसीलदार ने नहीं की कोई कार्यवाही
गिरदावरी दर्ज करने की जिम्मेदारी पटवारी की है और यदि किसान कि फसल दर्ज नहीं की जाती तो जिम्मेदारी पटवारी की है, यह तो अमरपुर क्षेत्र के तहसीलदार मानते है पर निम्न मामले की जानकारी तहसीलदार अमरपुर को दिए जाने के बाद भी उन्होंने संबंधित पटवारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की, न ही कोई जानकारी उपलब्ध करवाने तैयार है। जाहिर है कि पटवारियों को अधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है जिसके चलते मेहनत करने वाले किसानों को परेशान किया जा रहा है और माफियाओं को सहयोग किया जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अमरपुर क्षेत्र के
पटवारी हल्का नंबर 97 अमरपुर रैयत
खसरा न.
23/1 अशोक कुमार/कमलाप्रसाद, रकबा 1.56
23/2 धनेश्वर/कमला प्रसाद, रकबा 1.56
इनमे अभी धान की फसल खड़ी है तब भी गिरदावरी में रिक्त दिखा रहा है, पिछले वर्ष भी इस किसान की फसल पटवारी द्वारा दर्ज नहीं की गई थी और इस वर्ष भी गिरदावरी में खेत रिक्त दिखाए गए है। वहीं इसी पटवारी हल्का में निम्न रकबो में :
27 विमला बाई 0.390
28 श्यामलाल 0.780
29 राम प्रसाद 0.790
33 बजरी बाई 2.240
में धान की फसल दिखा रही है गिरदावरी, जबकि खेत खाली पड़े है।
इसी प्रकार अमरपुर नांदा माल पटवारी हल्का न. 90
खसरा न. 712 सुरेश कुमार, अजय कुमार/ कमला प्रसाद 3.100
पटवारी द्वारा दर्ज गिरदावरी में आधे में धान और आधा रिक्त बता रहा है। जबकि पूरे रकबे में धान लगी है। गत वर्ष भी फसल होने के बाद भी खेत खाली दिखाने से किसान को फसल बाजार में बेचनी पड़ी थी।
पटवारी कर रहे बहानेबाजी
पूरे मामले में किसान के खेतों में फसल होने के बाद भी रिक्त दिखाए जाने को लेकर गैर जिम्मेदाराना जवाब दे रहे है। कभी पटवारी किसान के द्वारा फसल दर्ज करने की बात कह रहे है और सैटेलाइट से दर्ज होने का बहाना कर रहे है। कुछ पटवारी टाइम कम होने की बात और डाटा बहुत होने की बातें कह रहे है। जबकि शासन की मंशा के अनुसार किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए पटवारियों की जिम्मेदारी है कि हर किसान की सही सही गिरदावरी दर्ज की जावे। विकल्प के तौर पर किसान खुद भी फसल दर्ज कर सकते है किन्तु इसको भी पटवारियों द्वारा ही प्रमाणित किया जाना जरूरी है। किन्तु पटवारी शासन के आदेश और निर्देश की अनदेखी कर खेतों पर जा कर गिरदावरी दर्ज नहीं कर रहे है। नई व्यवस्था में एक स्थान पर बैठकर गिरदावरी दर्ज की जाना संभव नहीं है।
“किसान चूके तो एक निश्चित समय के बाद यह प्रक्रिया पटवारी को करनी होगी”
शासन द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार
यदि एक निश्चित समय तक कृषक किसी कारणवश गिरदावरी नहीं कर पाते हैं तो पटवारी को अंतिम दिनांक के पूर्व खेत पर ग्राउंड टूथिंग करते हुए सैटेलाइट के आधार पर गिरदावरी दर्ज करना होगी। उक्त प्रक्रिया में तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है, जिससे कि शत-प्रतिशत गिरदावरी वास्तविक होना है। पर जिले में पटवारी अपनी मनमानी कर रहे है जिससे किसानों को क्षति हो रही है। सरकार की नई व्यवस्था के बाद भी पटवारियों के कारनामों के चलते खाली पड़े खेतों की गिरदावरी दर्ज कर दी गई है। जिससे जाहिर है की ऐसी फर्जी गिरदावरी के बूते माफियाओं द्वारा सरकार को चूना लगाने की साज़िश में पटवारी भी शामिल है। साथ ही उनको अधिकारियों का खुला संरक्षण प्राप्त है।
जिला प्रशासन से निष्पक्ष जांच की जनापेक्षा
उक्त पटवारी हल्का नंबर के इन रकबो की निष्पक्ष जांच करवाकर जिला प्रशासन संबंधित जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कार्यवाही कर शासन की मंशा अनुरूप किसानों को लाभ दिलाने की पहल कर सकती है। शासन द्वारा वास्तविक गिरदावरी दर्ज किए जाने के चलते सैटेलाइट और एप का सहारा लिया जा रहा है। तब भी माफियाओं से साठगांठ कर पटवारी खाली भूमि में फसल कैसे दर्ज कर रहे है? जिला प्रशासन को जनहित ने इसकी जांच करवाना चाहिए और दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाना आवश्यक है।