नगर परिषद के तोड़ने के नोटिस के बाद भी चल रहा निर्माण कार्य
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 21 नवम्बर 2022, जिला मुख्यालय में प्रशासनिक आदेश निर्देश मजाक बने हुए है। ताज़ा मामला जगदम्बा मन्दिर के पास स्थित बहुमंजिला इमारत का है जिसके ऊपर के दो तलो का निर्माण अवैध मानते हुए नगर परिषद ने भवन मालिक को 24 घंटे में अवैध निर्माण तोड़ने की हिदायत दी थी, अन्यथा उक्त बिना अनुमति के निर्माणाधीन भवन नगर परिषद द्वारा तोड़े जाने की चेतावनी भी दी थी। किन्तु उक्त अवैध भवन को न तो भवन मालिक ने तोड़ा न ही नगर परिषद द्वारा उसके विरूद्ध कार्यवाही की गई उल्टा परिषद के नोटिस के विरूद्ध भवन मालिक द्वारा उक्त भवन का शेष निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। पिछले दिनों से भवन के उसी हिस्से में प्लास्टर का कार्य चल रहा है जिसे नगर परिषद अवैध घोषित कर तोड़ने की चेतावनी दे चुकी है पर महीने भर बाद भी परिषद अवैध निर्माण के विरूद्ध कोई भी कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं कर पाई है दूसरी ओर भवन मालिक दिलेरी से बिल्डिंग में प्लास्टर कराते हुए नगर परिषद को चुनौती दे रहा है।
पार्षदों की खामोशी? चर्चा का विषय
हालाकि इस पूरे मामले में नगर परिषद के चुने हुए प्रतिनिधि भी चुप है! अवैध निर्माण करने वाले धन्नासेठ के सामने खामोश परिषद और पक्ष विपक्ष के पार्षदों की कार्यप्रणाली भी इस पूरे मामले में संदिग्ध है। पार्षदों की चुप्पी देखकर नगर की जनता को अभी से यह अहसास हो चला है कि आगे ये प्रतिनिधि नगर का कितना विकास कर पाएंगे। नगर परिषद के अधिकारियों सहित जन प्रतिनिधियों के कार्यवाही न करने को लेकर संस्था की छवि जरूर खराब हो रही है साथ ही पूरे नगर में उक्त अवैध निर्माण को संरक्षण दिए जाने के बदले बड़ी सौदेबाजी की भी चर्चाए व्याप्त है। सच जो भी पर यह तय है कि उक्त अवैध भवन के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही करने से न सिर्फ परिषद पीछे हट रही है बल्कि उक्त भवन निर्माणकर्ता को कहीं न कहीं आगे काम जारी रखने के संकेत भी दिए जा चुके है। लोगों ने चर्चा है जहां पिछले दिनों नगर परिषद लगातार अतिक्रमणों के खिलाफ कार्यवाही कर वाहवाही बटोरने की कार्यवाही अंजाम देता रहा है वहीं धन्नासेठों और राजनैतिक दबाव के आगे परिषद के अधिकारी भीगी बिल्ली बने हुए है।
परिषद का रिश्वतखोर अमला
नगर परिषद में मनमानी कार्यप्रणाली और रिश्वतखोरी की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। यहां तक की रविवार को नगर भ्रमण के दौरान जिला कलेक्टर विकास मिश्रा को वार्ड क्रमांक 1 की महिला ने, नक्शा खसरा आदि के नाम पर परिषद की एक महिला कर्मचारी द्वारा तीन हजार रुपए लिए जाने का खुलासा किया गया। जिस पर सीएमओ को फोन कर कलेक्टर ने मामले की जांच कर कार्यवाही के निर्देश दिए है। पर क्या गरीब की शिकायत पर कोई कार्यवाही नगर परिषद के रिश्वतखोर कर्मी पर सीएमओ कर पाएंगे? यह नगर की आमजनता भी जानती है। इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास के नाम पर हितग्राहियों से वसूली किए जाने की चर्चा आम है जिला कलेक्टर से लोगों की मांग है इसकी जांच करवाई जावे। मकान बनाने की अनुमति और नक्शा स्वीकृत कराने के नाम पर की जाने वाली वसूली किसी से छिपी नहीं है। उक्त मामले के बाद यह साफ हो रहा है कि नगर परिषद के आदेश निर्देश, कार्यवाही सब पैसों का खेल है, यहां कीमत चुकाकर सबके आंख और मुंह बंद किए जा सकते है चाहे अमला हो या चुने हुए प्रतिनिधि, पदाधिकारी सबकी कीमत तय है।