धान उपार्जन केन्द्रों पर किसानों से खुली लूट, शासन के निर्देशों की उड रही धज्जियां
केंद्र प्रभारी अधिक धान लिए जाने के पीछे बता रहे अपना तर्ज
जिम्मेदार अधिकारी और विभाग बेपरवाह
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 23 दिसंबर 2022, जिला प्रशासन किसानों के हित में शासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन कराने में अक्षम साबित हो रहा है। धान खरीदी को लेकर जहा जिला कलेक्टर विकास मिश्रा किसानों को एक एक दाने की कीमत दिलाए जाने का दावा कर रहे है वहीं संबंधित विभाग और जिम्मेदार अधिकारियों को किसानों, शासन के निर्देशों की कोई परवाह नहीं है। जिसका असर जिला मुख्यालय के नजदीकी मुख्यमार्ग पर स्थित धान उपार्जन केन्द्रों पर देखा जा सकता है। केंद्रों पर खुलेआम प्रति बोरी 40.600 किग्रा के स्थान पर किसानों से 40.900 किग्रा तक धान ली जा रही है वो भी शासन के स्पष्ट निर्देश की अवहेलना करते हुए। बावजूद इसके 12 दिसंबर से धान खरीद प्रारंभ होने के बाद अब तक इन केंद्रों पर न तो नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों की नज़र है न खाद्य विभाग का अमला उपार्जन केन्द्रों पर दस्तक देने पहुंचा है, जिसके चलते केंद्रों पर मनमानी चल रही है और किसानों को लुटा जा रहा है।
धान उपार्जन केन्द्र में धान खरीदी का कार्य सम्हाल रहे ब्रजलाल रजक का कहना है कि 40.700 किग्रा धान किसानों से ली जा रही है। उनका दावा है कि 100 ग्राम धान प्रति बोरी सूखकर कम हो जाती है और कुछ धान फटी पुरानी बोरी होने से गिर जाती है। यहां बता दे कि शासन के स्पष्ट निर्देश है कि किसानों से प्रति बोरी 40 किलो ग्राम धान ली जावे .600 ग्राम बोरी के बजन सहित 40.600 ग्राम की तौल की जावे। किन्तु उपार्जन केंद्र के संचालक, प्रबन्धक और प्रभारी धान सूखने का बहाना बताकर किसानों से अधिक धान ले रहे है। धान उपार्जन केन्द्र खरगहना और हर्रा पिंडरूखी के खरीदी प्रभारी 40.700 ग्राम धान किसानों से लिए जाने की बात कह रहे है किन्तु वास्तव में किसानों से 40.800 से .900 ग्राम तक धान ली जा रही है।
भराई और तुलाई भी किसानों से करवाई जा रही है
शासन उपार्जन केन्द्रों को बोरो को तौलने और रखने के लिए प्रति बोरा खर्च देती है। केंद्र प्रभारी उसे भी हड़पने में लगे है और तुलाई का काम भी किसानों से करवाया जा रहा है। धान उपार्जन केन्द्र खरगहना और हररा में सभी किसान खुद बोरो को भरकर तौलकर रखते है। किसानों के अनुसार तुलाई पूरी होने के बाद केंद्र के मजदूर कुछ बोरो की तौल वजन जांचने के लिए करते है। इस तरह शासन के निर्देश और व्यय दिए जाने के बाद भी केंद्र पर मजदूरों का शोषण किया जा रहा है और मजदूरी की राशि केंद्र प्रभारी डकार रहे है। जिस पर कार्यवाही की जानी चाहिए।
शासन के निर्देश के अतिरिक्त छूट किसने दी
जिले भर में शासन के स्पष्ट निर्देश के बाद भी किसानों से 200 – 300 ग्राम अधिक धान ली जा रही है। संबंधित विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और निष्क्रियता के चलते भले ही इसकी पुष्टि न हो पर वास्तविकता यही है और उपार्जन केंद्र प्रभारी इसे स्वीकार भी रहे है और अपना तर्क भी दे रहे है, उनके तर्क से यदि प्रशासन, शासन के निर्देशों को न मानते हुए सहमत है। तो इसकी स्पष्ट सूचना जारी की जानी चाहिए कि जिले में किसानों से प्रति बोरी कितनी धान ली जावे। यदि प्रशासन शासन के निर्देश के आधार पर खरीदी कर रहा है तो उपार्जन केन्द्र प्रभारियों की पुनः स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए। शासन की मंशा और जिला प्रशासन के निर्देशो की अवहेलना कर किसानों से अधिक मात्रा में धान लेने वाले केंद्र के जिम्मेदार लोगों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए।
फटे पुराने वारदाने में हो रही खरीद
केंद्रों पर बड़ी मात्रा में पुराना और घटिया वरदान उपयोग किया जा रहा है, जिससे धान फैलने की भी संभावना रहती है। इसका खामियाजा भी किसानों को ही उठाना पड़ रहा है। केंद्र प्रभारी कहते है जो माल फटे बोरों से फैलेगा उसकी पूर्ति के लिए अधिक धान किसानों से लेगे।
प्रशासन करे सख्त कार्यवाही
जिला कलेक्टर द्वारा कल ही किसानों से धान खरीदी को लेकर सख्त कदम उठाने की बात कही है किन्तु वास्तविकता में इस केंद्रों पर पहले की तरह मनमानी व्यवस्थाएं जारी है और गरीब अशिक्षित किसानों का शोषण जारी है जिस पर रोक लगाने जिला प्रशासन को गड़बड़ी कर रहे और शासन के निर्देशों की विरूद्ध खरीदी कर रहे प्रबन्धक और प्रभारियों पर तत्काल कठोर कार्यवाही करनी होगी।