धान खरीदी केंद्रों में मची लूट, किसानों के हक पर डाका

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मनमानी करने वालों पर नहीं हो रही कार्यवाही

शासन के निर्देशों की हो रही अवहेलना

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 26 दिसंबर 2022, जिले में इन दिनों किसानों की मेहनत की कमाई पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है। शासन द्वारा निर्धारित किए गए धान खरीदी केंद्रों में केंद्र के जिम्मेदार प्रभारी और सर्वेयर खुली लूट कर रहे हैं। एक तरफ जिला कलेक्टर शासन की योजनाओं को पूरी तरह धरातल पर अमल में लाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। वही उनके पीठ फिरते ही जिले के अधिकारी और कर्मचारी उनके निर्देशों को धता बताते हुए मनमानी करने पर उतारू है और वर्षों से चली आ रही मनमानी परंपराएं और भ्रष्टाचार करने से बाज नहीं आ रहे है।

किसानों से करवाई जा रही है हम्माली

ऐसा ही मामला जिला मुख्यालय के नजदीक की धान उपार्जन केंद्र कुकर्रामठ में सामने आया। जहां केंद्र प्रभारी तुलाराम ठाकुर की मनमानी एवं तानाशाही के कारण आसपास के ग्रामों के किसान परेशान हैं। धान खरीदी केंद्र में किसानों को सुविधा मुहैया कराने की बात तो दूर उल्टे किसानों से ही हम्माली कराई जा रही है। जबकि शासन द्वारा उपार्जन केंद्र को इसके लिए राशि दी जाती है, जिसे सीधे तौर पर हड़पने का प्रयास किया जा रहा है। इतना ही नहीं किसानों की मेहनत से कमाई उपज पर खुलेआम डाका डालते हुए शासन के निर्देशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

धान रिजेक्शन के नाम पर किसानों किया जा रहा परेशान 

खरीदी केंद्र के प्रभारी के द्वारा किसानों को उनकी उपज को रिजेक्ट बताते हुए लगातार चक्कर कटवाए जा रहे है। किसान को न तो अमानक होने का कोई लिखित पत्र दिया जाता है और न कोई कारण बताया जाता है। किसान लंबोदर सिंह दुर्वासा ने बताया कि पहले धान बोरों में भरवाई करवा दी गई, उसके बाद तुलाई भी हो गई और अब धान रिजेक्ट है कहकर 3 दिनों से उसे चक्कर कटवा रहे हैं। कई किसानों को बारदाना ही उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है जिसके कारण केंद्रों में पड़ी उपज को लेकर किसानों में चिंता व्याप्त है। बिना तोले केंद्र पर रखी उसकी धान के चोरी होने पर जिम्मेदारी किसकी होगी? मजे की बात यह है कि किसानों के माल को अमानक बताने वाले उपार्जन केंद्र पर कोई प्रशिक्षित सर्वेयर नियुक्त नहीं किया गया है और न ही कोई निर्धारित जांच प्रक्रिया है, सिर्फ किसानों को परेशान करने के लिए केंद्र प्रभारी मनमानी करते है।

किसानों से ली जा रही निर्धारित मात्रा से अधिक धान

किसानों से प्रति बोरी शासन द्वारा निर्धारित मात्रा से अधिक मात्रा में धान की जा रही है। धान खरीदी के लिए शासन के निर्देशानुसार प्रति बोरी 40 किलो 600 ग्राम धान बोरे के वजन सहित लिए जाने के निर्देश है किंतु किसानों ने बताया कि प्रति बोरी में 41.100 किलो ग्राम धान केंद्र प्रभारी के द्वारा ली जा रही है ।केंद्र प्रभारी के द्वारा इस मामले में किसानों को ही दोषी ठहराया जा रहा है केंद्र प्रभारी से जब अधिक मात्रा पर ली जा रही धान के संबंध में जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि यह गलती से हो गया होगा। किसान अपने मन से तौल करके दे रहे हैं। सवाल यह उठता है कि शासन की ओर से धान की तुलाई ,धान की भराई धान की सिलाई के लिए जब अलग से व्यवस्था शासन की ओर से प्रदान की गई है तो फिर क्यों किसानों से उससे उपरोक्त सभी कार्य कराए जा रहे हैं। प्रति बोरी 500 ग्राम अधिक धान ली जा रही है जो प्रति किवंटल 1.250 किलो ग्राम अधिक है जिसकी अनुमानित कीमत 25/- होती है। किसानों को प्रति किवंटल 25 रुपए की चपत लगाई जा रही है वहीं तुलाई, भराई की मजदूरी भी केंद्र प्रभारी हड़प रहे है साथ ही धान अमानक बता कर किसान को परेशान किया जाता है और फिर उसे भी ले देकर निपटा लिया जाता है। इस तरह से शासन के निर्देशों को धत्ता बताकर किसान का कई तरह से शोषण किया जा रहा है और जिम्मेदार विभागों को उसकी भनक तक नहीं है।

अधिकतर केंद्रों में है यही आलम

किसानों से हम्माली कराने, अधिक मात्रा में धान की तुलाई करवाने का मामला केवल कुकर्रामठ केंद्र में ही नहीं है बल्कि खरगहना, पिंडरुखी सहित अनेकों केंद्र ऐसे हैं जहां पर खुलेआम किसानों की उपज को मनमाने तरीके से तुलाई और भराई कराई जा रही है। उपार्जन केंद्रों के प्रभारी खुलेआम कैमरे के सामने निर्धारित मात्रा से अधिक धान लेने की बात को स्वीकार कर रहे हैं और दलील देते हैं कि वरदाना खराब है फटे हुए हैं धान गिर जाती है सूख जाती है इसलिए किसानों से धान ज्यादा ली जा रही है। तब भी जिला प्रशासन इन पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है।

एक ओर जिले के कलेक्टर जिले के किसानों की उपज के एक-एक दाने की कीमत देने की बात कह रहे हैं वही किसानों के खून पसीने की कमाई को उपार्जन केंद्रों के जिम्मेदारों के द्वारा खुले आम शासन के निर्देशों के विपरीत वसूला जा रहा है। देखना होगा कि जिले के भोले-भाले किसानों की लूट पर कब विराम लगता है। तमाम शिकायतों और मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद भी अब तक संबंधित विभाग किसी तरह की कार्यवाही के मूड में नहीं दिख रहे है। वर्षों से अधिकारियों से पूर्ण संरक्षण प्राप्त उपार्जन केंद्र प्रभारियों को अब भी अपने आकाओं पर भरोसा है और उन्हें जिला कलेक्टर के दावे और किसानों को दिए जा रहे आश्वासन से बिल्कुल प्रभावित नहीं है। शासन के निर्देश और प्रशासन की कोशिशों से निश्चिंत वर्षों से जारी किसानों के शोषण की परम्परा जिले में अब तक जारी है जिसे रोक पाना प्रशासन के लिए अब भी चुनौती है।

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