“फोर्टिफाइड चावल” को लेकर चकमी क्षेत्र में अफवाह का माहौल

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ग्रामीण बता रहे प्लास्टिक का चावल

नान और खाद्य विभाग द्वारा प्रचार प्रसार नहीं किए जाने से भ्रमित है ग्रामीण

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 31 दिसंबर 2022, जिले में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अन्तर्गत वितरण किए जा रहे चावल को लेकर ग्रामीण अंचल में भ्रम का माहौल है और कई तरह की अफवाहें फैल रही है। प्राप्त जानकारी के अनुसार करंजिया विकास खंड अन्तर्गत गोपालपुर के करीबी ग्राम चकमी में सहकारी समिति द्वारा गत दिवस वितरित किए गए चावल को लेकर ग्रामीणों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। ग्रामीणों को चावल में प्लास्टिक से बने चावल की मिलावट किए जाने की शंका है जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे है। वहीं कुछ लोग इसे जहरीला और घटिया पदार्थ मान रहे है और अपनी नाराज़गी व्यक्त कर रहे है। इसी के साथ कुछ लोग जानबूझ कर बिना कुछ जाने समझे अफवाहों को हवा दे रहे है जिससे ग्रामीण अंचल के निवासी भ्रमित है। वहीं शासकीय वितरण केंद्रों, नागरिक आपूर्ति निगम और खाद्य विभाग द्वारा लोगों तक सही जानकारी नहीं पहुंचाए जाने से लोग इसे चावल को खाने के लिए ठीक नहीं समझ रहे है। जबकि शासन द्वारा कुपोषण से बचने फोर्टिफाइड चावल शासकीय दुकानों से वितरित करने की घोषणा की थी जिसके तहत चावल में 1% फोर्टिफाइड चावल को मिला कर वितरित किया जाता है।

गौरतलब है कि पिछले दिनों इसी तरह का मामला मेहंदवानी और शहपुरा क्षेत्र के ग्रामीण अंचलों में भी चर्चा का विषय रहा है।

क्या है फोर्टिफाइड चावल?

न्यूट्रिशन एक्सपर्ट की मानें तो फोर्टिफाइड चावल लोगों के भोजन में आवश्यक पौष्टिक तत्वों को पूरा करता है। यह कुपोषण पर नियंत्रण पाने में काफी हद तक मददगार साबित होगा। फोर्टिफिकेशन एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके जरिए भोजन में जरूरी पोषक तत्वों को जोड़ा जाता है। इसे खाने वाले लोगों की सेहत में सुधार आएगा और कुपोषण की समस्या दूर होगी. नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने साल 2021 के अक्टूबर में जारी एक नोट में कहा था कि चावल के फोर्टिफिकेशन के जरिए उसमें आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी जैसे जरूरी पोषक तत्व जोड़े जाते हैं। यह कम समय में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए एक प्रभावी और कम लागत वाली बेहतर रणनीति है।

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