भोपाल में प्रदेश अध्यक्ष के सामने फिर भिड़े जिले के दो युवा नेता

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जनपद टुडे, डिंडोरी, 25 जनवरी 23, विश्वस्त सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार विगत दिवस भोपाल में नवनियुक्त जिला अध्यक्षों और पदाधिकारियों की बैठक के उपरांत प्रदेश अध्यक्ष के सामने ही जिले के दो युवा नेता खुलकर एक दूसरे के सामने आकर भिड़ गए और एक दूसरे की हैसियत बताने लगे। बताया जाता है विवाद के चलते सारी मर्यादा, नैतिकता, अनुशासन की धज्जियां उड़ती रही, जिसे देखकर मौजूद नेता भी दंग रह गए। समझाइश को धता बताते हुए सबके सामने एक दूसरे को जलील करने की कोई कसर दोनों ने नहीं छोड़ी…… सुबह की खुराफात से शुरू हुई कलह शाम की रंगीनियों होते-होते ये
विवाद बाप-दादा तक पहुंच गया। प्रदेशाध्यक्ष एवं अनेक जिम्मेदार प्रदेश नेताओं की मौजूदगी में उनके मना करने के बाद भी देर तक ये दोनों नेता झगड़ते रहें। सूत्रों की माने तो एक ही सीट पर दावा ठोंक रहें जिले के इन युवा नेताओं के बीच पिछले काफी समय से विवाद की स्थिति चल रही है और एक दूसरे से बढ़त पाने के चक्कर में दोनों युवा नेता अपनी अपनी गोटी फिट करने में लगे रहते हैं। अपनी अपनी चुनावी तैयारियों में व्यस्त रहते हैं। प्रदेश अध्यक्ष पूर्व में भी दोनों के मध्य सामंजस्य स्थापित कराने की कोशिश की थी और अपने सिपहसालार को जिम्मा भी सौंपा था लेकिन कोई हल नहीं निकला। दोनों अपनी जिद पर अड़े हुए हैं राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अगर शीघ्र ही यह विवाद नहीं सुलझता है तो कांग्रेस को इसके गंभीर खामियाजा भुगतना पड़ेंगा और सत्ता वापसी का सपना देख रही कांग्रेस अपने लक्ष्य से वंचित रह सकती है। वर्तमान में जो स्थिति है उसे देखकर यही कहा जा सकता है की दोनों में से कोई भी नेता झुकने वाला नहीं है और पार्टी को नुकसान पहुंचा कर ही मानेंगे।

एक को वर्तमान में मिल रहे भारी जनसमर्थन पर भरोसा है तो दूसरे को पार्टी आलाकमान से मिलते आ रहे खुले आशीर्वाद का। गलतफहमी का शिकार नेता जी को अपने क्षेत्र में पार्टी का उभरता हुआ दूसरा चेहरा सहन नहीं हो रहा है वहीं नए उभरते युवा नेता को लगातार मिल रही सफलता और जनसमर्थन के बूते वह भी किसी भी कीमत पर खुली चुनौती देने का पूरा मन बना चुका है। ऐसे में कांग्रेस के भीतर संकट की स्थितियां साफ दिख रही है और भोपाल में हुई इस घटना के बाद यह साफ हो रहा है कि इन दोनों के बीच कहीं कोई सामंजस्य की स्थिति बनना मुश्किल है, जो पार्टी के लिए संकट की घंटी जरूर है।

पार्टी में जहां एक तरफ संगठनात्मक एकता का अभाव दिखाई दे रहा है वहीं संगठन को चलाने सभी गुट अपनी तरह से कोशिश में है और इन तमाम खींचतान के बीच कांग्रेस का आम कार्यकर्ता कहीं खो गया है और सिर्फ तमाशबीन बनकर चुपचाप सारा तमाशा देख रहा है वहीं पार्टी की भीतरी गुटबाजी का शिकार उसे भी होना पड़ रहा है।

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