कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति पर उठे सवाल

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नवनियुक्त ब्लॉक अध्यक्षों के पुलिस रिकार्ड हुए सार्वजनिक

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 1 मार्च 23, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ के निर्देश पर शहपुरा विधायक भूपेन्द्र मरावी एवं जिला प्रभारी कदीर सोनी, जिला काँग्रेस अध्यक्ष वीरेन्द्र बिहारी शुक्ला की सहमति से संगठन प्रभारी राजीव सिंह के द्वारा डिंडोरी जिले की शहपुरा विधानसभा के चारों ब्लॉको में ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं। नव नियुक्त ब्लाक अध्यक्षों की नियुक्ति के बाद कुछ नामों को लेकर चर्चाएं तेज है। माना जा रहा है कि आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर शहपुरा क्षेत्र के विधायक भूपेंद्र मरावी ने ब्लॉक अध्यक्ष के तौर पर अपने करीबियों को कमान सौंपी है। उनके द्वारा उपकृत किए गए विक्रमपुर ब्लॉक से अमित गुप्ता और शहपुरा ब्लॉक से संजय राय को अध्यक्ष बनाए जाने के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता भी दबिजुबान से विरोध कर रहे है। कहां जा रहा है कि जहां आगामी विधानसभा चुनाव में जिले की दोनो सीट पर कांग्रेस विधायकों की निष्क्रियता के चलते स्थिति कमजोर दिखाई दे रही है वहीं साफ सुथरी छवि वाले कार्यकर्ताओं के बजाय ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण पदों का दायित्व सौंपा जा रहा है जिनके कारनामें क्षेत्र में चर्चित है। इनकी नियुक्ति के बाद सोशल मीडिया पर इनके खिलाफ दर्ज मामलों की सूची सार्वजनिक हो रही है जिससे पार्टी की छवि भी प्रभावित हो रही है। किन्तु विधायक की पसंद के आगे पार्टी संगठन भी चुप है। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष ने इस विषय पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।

गौरतलब है कि पिछले दिनों शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा की है जिसके चलते दो अध्यक्षों को पूर्ववत रखा गया है और 2 ब्लॉकों में अध्यक्षों को बदला गया है। नियुक्ति के फौरन बाद शाहपुरा ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किए गए संजय राय की नियुक्ति पर पार्टी के ही कार्यकर्ता सवाल उठाने लगे हैं और पूछ रहे हैं जिन कार्यकर्ताओ के ऊपर अपराधिक प्रकरण दर्ज है उन्हें कांग्रेस पार्टी ब्लॉक कांग्रेस का नेतृत्व कैसे दे सकती है। जबकि पूर्व में ब्लॉक अध्यक्ष लगातार सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे और पार्टी को मजबूती प्रदान कर रहे थे, कार्यकर्ताओं का विश्वास भी उनके साथ था ऐसी स्थिति में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी में परिवर्तन पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है। ऐसे निर्णय से आम कार्यकर्ता का मनोबल टूटता है और पार्टी कमजोर होती है।

 

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