पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों की मर्जी पर निर्भर है रेलवे आरक्षण

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जिले भर में रेलवे रिसर्वेशन सुविधा नहीं

ऑनलाइन सेंटर पर 100 रुपए अतरिक्त चुकाने को मजबूर यात्री

पोस्ट ऑफिस में महीनों से जारी है बहानेबाजी

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 13 अप्रैल 2023, जिले में आमजन की सुविधाओं की कमिया दूर करने के प्रति प्रशासन गंभीर नहीं है। जहां सरकार देश और प्रदेश के विकास की बातें करती नहीं थकती वहां डिंडोरी जिला पहले से खी पिछड़ता दिखाई देता है। इस तरह के चमत्कार हमारे जैसे आदिवासी जिलों में ही संभव है, जहां अधिकारियों का आमजन की समस्याओं से कोई वास्ता नहीं है और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि यो से तो लोग न उम्मीद है ही। जिले में उपलब्ध सुविधाएं दिनों दिन कम होती जा रही है। और आमजन शासकीय विभाग और बाबुओं की मर्जी पर निर्भर है। ऐसा ही मामला है रेलवे रिजर्वेशन काउंटर का जो कई वर्ष पूर्व तक जिला मुख्यालय में था,जिसे रेलवे द्वारा खोला गया था। इस रेलवे आरक्षण केंद्र का शुभारंभ करते हुए स्थानीय सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने लोगों से कहा था कि आरक्षण केंद्र जिले में प्रारंभ किया जा रहा है आगे रेल भी जिले तक पहुंचाने के प्रयास जारी है। कुछ वर्षों के बाद रेल विभाग द्वारा संचालित उक्त काउंटर डिंडोरी से गायब हो गया और रेल आरक्षण की सुविधा का जिम्मा पोस्ट ऑफिस को सौंप दिया गया। हालाकि इस केंद्र पर यात्रियों को आरक्षण हेतु करीब 20 रुपए अतिरिक्त शुल्क चुकाना पड़ता था, तब भी जिले के लोग सुविधा मिल रही यही मानकर संतुष्ट थे।

पोस्ट ऑफिस की रिसर्वेशन खिड़की स्थाई रूप से बंद है

किन्तु धीरे धीरे रेलवे आरक्षण की सुविधा पोस्ट ऑफिस के कर्मचारियों की मर्जी पर निर्भर हो गई और पोस्ट ऑफिस में निर्धारित रेलवे टिकट रिसर्वेशन काउंटर (खिड़की) परमानेंट बंद कर दिया गया। जब भी कोई यात्री आरक्षण के लिए जाकर ऑफिस के भीतर संपर्क करता है तो अक्सर बहानेबाजी की जाती है। महीनों तक संबंधित क्लर्क के शहपुरा में परस्त होने, फिर छुट्टी पर होने के बहाने किए जाते रहे। हर दिन कोई न कोई बहाना विभाग के पास उपलब्ध होता है। और नहीं तो सबसे स्थाई बहाना सर्वर काम नहीं कर रहा, लिंक नहीं है अब इनका कोई प्रमाणित आधार भले न हो पर आमजन और यात्री तो परेशान होते ही है। ऐसे में या तो मजबूर व्यक्ति जबलपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचकर आरक्षण करवाए, और सीट न मिले तो वापस घर लौट आए या फिर ऑनलाइन सेंटर पर जाकर लगभग 100/- अतिरिक्त चुकाकर आरक्षण करवाए तब यात्रा करे। अधिकतर लोगों की समस्या तब अधिक बढ़ जाती है तब उन्हें तत्काल आरक्षण करवाना हो। तब ऐसे यात्रियों को ऑनलाइन केंद्र पर लगभग 200 रुपए तत्काल शुल्क के साथ 100 रुपए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है। इस स्थिति में यात्रियों को सामान्य यात्रा के टिकट से लगभग दोगुनी कीमत चुकानी पड़ती है। जिस पर यदि परिवार के चार पांच लोगों का रिसर्वेशन करवाना है तो हजार रुपए से भी अधिक अतिरिक्त चुकाना जिले के यात्रियों की मजबूरी है। इसके अलावा विकलांग वअन्य रियायती टिकट, रेलवे के कूपन, पास आदि की सुविधा ऑनलाइन केंद्रों पर नहीं मिल पाने से रियायती टिकट जिले में लेना संभव ही नहीं है। जिले से प्रतिदिन सैकड़ों लोग रेल की यात्रा करते है पर जिले में रेल आरक्षण और टिकट निर्धारित कीमत पर उपलब्ध नहीं होने से लोग परेशान होकर भटकते है। वहीं ” तत्काल टिकट” ऑनलाइन सेंटर पर मिलना कठिन होता है। ऐसे में जिले का वह बड़ा तबका जो खुद ही ऑनलाइन टिकट लेने में सक्षम नहीं है उसके लिए रेल से यात्रा करना कठिन है। इस तरह की अव्यवस्था को प्रशासन गम्भीरता से लेकर कार्यवाही करे तब भी समस्या का निदान संभव है। स्थानीय सांसद व केंद्रीय मंत्री जनापेक्षा है कि उन्हें रेल आरक्षण की सुविधा जिले में उपलब्ध हो सके।

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