सालभर पहले 43 लाख रुपए की लागत से बना “अमृत सरोवर” जल विहीन

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डिंडोरी जनपद की नेवासा पंचायत के दियाबर का मामला

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 21 मई 2023, आदिवासी बहुल जिले में चल रही विकास की आंधी का बखान तो शासन और प्रशासन स्तर से जमकर किया जाता है। पर इस कागजी विकास की हकीकत जमीनी स्तर पर कुछ अलग दिखाई देती है। विगत वर्ष से अमृत सरोवर योजना अन्तर्गत जिले में करोड़ों रुपए खर्च कर मनमानी और गुणवत्ताहीन संरचनाएं बनाई गई। शासकीय आंकड़ों में बहुउपयोगी अमृत सरोवरों की स्थिति योजना से अलग मात्र शासकीय धन को खर्च करना और कागजी उपलब्धि तैयार करना ही है। जिले में कराए जा रहे अमृत सरोवरों की उपयोगिता और गुणवत्ता को लेकर लगातार आरोप लगते रहे है पर प्रशासन द्वारा कोई भी कार्यवाही निर्माण एजेंसियों के विरूद्ध नहीं की गई, जिसके परिणाम अब सामने आने लगे है और लाखों रुपए की लागत से निर्मित ये सरोवर साल भर में ही दम तोड़ते दिखाई दे रहे है। किन्तु जिम्मेदार अधिकारियों का इससे कोई लेना नहीं है, क्योंकि जिले में काम “पैसा हजम खेल खतम” की तर्ज पर किए जाते है।

ताजा मामला नेवासा के दियाबर में गोडार नदी में 43.19 लाख रुपए की लागत से अमृत सरोवर योजनान्तर्गत बनाए गए चेक डेम का है। जो कि विगत जून माह में निर्माणाधीन था वर्षा के पूर्व निर्मित इस डैम में आज की स्थिति में योजना पर व्यय राशि के अनुसार प्रस्तावित जल संग्रहण न के बराबर है। जमीनी स्तर पर देखा जाए तो लगभग आधे करोड़ रुपए की लागत से बना यह डैम मात्र पशुओं के स्नान के लिए उपयोगी है। जिस तरह से अमृत सरोवर योजना को पर्यटन का केंद्र, सिंचाई और निस्तार आदि के लिए उपयोगी बताया जाता रहा है ऐसा कुछ यहां दिखाई नहीं देता। जब बांध में पानी ही नहीं है तब बाकी की बाते बेमानी ही है। शासन के करोड़ों रुपयों के व्यय के बाद यदि सरोवर खाली है तो जिम्मेदार एजेंसी पर कार्यवाही तो की जानी चाहिए किन्तु जिले में इस तरह की संभावनाएं शून्य है।

भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा सरोवर

निर्माण कार्य की ऐसी थी गुणवत्ता


कार्य पूरा तब भी सूचना बोर्ड अधूरा

निर्माण एजेंसी के जिम्मेदारों को अधिकारियों द्वारा मनमानी कार्य प्रणाली को मिल रहे खुले संरक्षण का नमूना निर्माण स्थल पर लगा सूचना बोर्ड है। जो काम समाप्त होने के लगभग साल भर बाद भी अधूरा है। संभवतः लाखों रुपए के इस निर्माण को देखने आजतक कोई वरिष्ठ अधिकारी भी यहां तक नहीं पहुंचा सभी ने कागजों पर काम को पूर्ण कर दिया नहीं तो बोर्ड पर नज़र तो जरूर पड़ती। योजना अन्तर्गत स्पष्ट निर्देश के बाद भी संबंधित सब इंजीनियर द्वारा निर्माण से संबंधित सम्पूर्ण जानकारी बोर्ड पर अब तक अंकित ही नहीं करवाई ताकि स्थानीय लोगों, जनप्रतिनिधियों और आमजन को कार्य की लागत, मजदूरी की दर, मजदूरों को दिए जाने कार्य दिवस, कार्य प्रारंभ और पूर्णता की तिथि आदि महत्वपूर्ण जानकारी न मिल सके। इस तरह की लापरवाही या जानबूझकर किए जाने वाले कृत्य पर नियमानुसार कार्यवाही जिम्मेदार अमले के विरूद्ध की जाना आवश्यक है।

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