लाखों की सीमेंट सड़क निगल गई ग्राम पंचायत, जिम्मेदार मौन!!
सड़क निर्माण और पुलिया निर्माण की राशि आहरण के बाद भी कार्य नहीं हुआ
राजनैतिक संरक्षण और शासकीय अमले की शह पर हो रही अंधेरगर्दी
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 12 जून 2023, एक प्रचलित कहावत की तरह ग्राम पंचायत ही गांव की सड़क निगल गई, गांव के लोग चीख पुकार लगाकर थक गए पर कुछ नहीं हुआ। महात्मा गांधी का पंचायती राज और ग्राम स्वराज का सपना कागजों पर उतरने में तो मुदत्ते लग गई पर गांव के वाशिंदों की नजर से यह व्यवस्था कुछ ही सालों में पूरी तरह उतर चुकी है। वजह है पंचायती राज पर हावी प्रतिनिधियों का सफेद झूठ और अधिकारियों की शह पर जारी खुला भ्रष्टाचार। हलाकान ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार –
ताज़ा मामला जिला मुख्यालय के करीब स्थित जनपद पंचायत डिंडोरी की ग्राम पंचायत बसनिया का है। बसनिया के संझोला टोला की जनता वर्षों से आवागमन को लेकर परेशान है न उन्हें पक्की सड़क उपलब्ध हो पा रही है और न नाले पर पुल का निर्माण कराया गया है। जबकि ग्राम पंचायत द्वारा उक्त दोनों कार्य स्वीकृत किए गए इसके बाद इनकी राशि भी पंचायत में आई और फिर इस राशि का जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों द्वारा तैनात अधिकारियों की मौजूदगी में आहरण भी कर लिया गया तब भी मौके से सीमेंट कांक्रीट सड़क और पुलिया गायब है। निर्माण कार्यों की स्वीकृत राशि आहरण हो जाने के वर्षों के बाद भी मौके पर निर्माण कार्यों का अस्तित्व नहीं दिखाई दे रहा है। ग्रामीणों की माने तो संझोला टोला की सड़क ग्राम पंचायत ही निगल गई और वर्षों बाद भी ग्राम, जनपद और जिला पंचायत में पदस्त शासकीय अमले को इसकी भनक तक नहीं लगी जो घोर आश्चर्य का विषय है। पंचायत प्रतिनिधियों और शासकीय अमले की मौजूदगी में लाखों रुपए निर्माण कार्य के नाम पर हड़प लिए जाने का यह कोई पहला मामला नहीं है, बताया जाता है कि राजनैतिक संरक्षण के चलते पंचायत में धांधली चरम पर है पर कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। जबकि जनता की शिकायतों के साथ साथ तैनात शासकीय अमले को सभी मामलों की जानकारी है।
उपलब्ध दस्तावेजों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत द्वारा 4,99,803 रुपए की लागत से सीमेंट कांक्रीट रोड निर्माण कार्य करगी नाला के पास, संझोला टोला बसनिया में 9/5/2022 को पंचायत निधि से स्वीकृत किया गया। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार कार्य स्वीकृति के मात्र 6 दिन बाद ही 15/5/2022 को 1,60,000रुपए, 150000 रुपए और 190000 की राशि का भुगतान आशीष ट्रेडर्स को कर दिया गया। हैरत की बात है कि निर्माण कार्य हेतु स्वीकृत पूरी राशि सामग्री पर खर्च कर दी गई वह भी एक ही दिन में कार्य स्वीकृति के मात्र 6 दिन के भीतर और आज साल भर के बाद भी सड़क का कोई अस्तित्व नहीं है। जाहिर सी बात है कि सड़क निर्माण कार्य में मजदूरी का भी भुगतान स्वीकृत राशि से होगा और जब पूरी राशि सामग्री पर ही व्यय कर दी गई तो निर्माण कैसे संभव था। कार्य के भुगतान हेतु भौतिक सत्यापन और कार्य का मूल्यांकन करने वाले शासकीय विभाग के सब इंजीनियर की बंद आंखे और भ्रष्टाचार में संलिप्तता स्व प्रमाणित है। क्योंकि ग्रामीणों का कहना है कि आज तक सड़क का निर्माण नहीं करवाया गया है और सम्पूर्ण राशि का भुगतान मात्र 6 दिन में कर दिया गया। वहीं तकनीकी रूप से निर्माण कार्य की तकनीकी स्वीकृति में मजदूरी सहित अन्य आवश्यक मद भी निर्धारित है तब पूरी राशि का भुगतान सामग्री पर किया जाना कैसे संभव है! आशीष ट्रेडर्स नाम की जिस फर्म को भुगतान किया गया है फर्म का जीएसटी पंजीयन सहित अन्य जानकारी भी अप्राप्त है। पंचायत के प्रभारी सचिव की माने तो उक्त फर्म पंचायत प्रतिनिधियों के करीबियों की है।
इसी तरह अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति विकास, अनुसूचित जनजाति सघन बस्ती विकास योजना (कलेक्टर मद) अन्तर्गत वर्ष 2018-2019 में रुपए 8.00 लाख रुपयों की लागत से कलवर्ट, पाईप पुलिया निर्माण कार्य मेन रोड से संझोला टोला स्वीकृत की गई थी। प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार वर्ष 2020 तक 581988 रुपए और28/5/2022 को उक्त कार्य के नाम पर रुपए 5.00 लाख रुपयों का भुगतान आशीष ट्रेडर्स और मारुति नंदन नाम की फर्मो को कर दिया गया। लगभग 11 लाख रुपए के भुगतान की जानकारी पोर्टल पर ऑनलाइन देखी जा सकती है जो स्वीकृत राशि से बहुत अधिक है तब भी कार्य स्वीकृत होने के चार साल बाद और भुगतान किए जाने के साल भर बाद भी पुलिया का निर्माण पूर्ण नहीं हुआ है। जिसको लेकर ग्रामीण परेशान है, कार्य स्थल पर कुछ पाईप और नाले की खुदाई ही की गई है।
शासकीय अमला क्यों चुप है??
पंचायती राज अन्तर्गत निर्माण कार्यों की देखरेख, मूल्यांकन और सत्यापन के लिए ग्राम पंचायत से लेकर जनपद और जिला पंचायत में शासकीय अमला नियुक्त है। मदवार और क्षेत्रवार निर्माण कार्यों की प्रगति, मूल्यांकन, भुगतान, भौतिक सत्यापन, के लिए जिम्मेदार अधिकारी तैनात है। जिन्हे हर माह सरकार करोड़ों रुपए का वेतन भुगतान करती है। पोर्टल पर कार्यों के फोटो, बिल आदि ऑनलाइन डाली जाना चाहिए किन्तु मिलीभगत, भ्रष्टाचार और राजनैतिक संरक्षण के चलते सारा अमला खामोश बना बैठा है। जिन पर नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए पर चारों ओर व्याप्त भारी गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार के आगे वरिष्ठ अधिकारी भी अक्षम है। किसी कार्यवाही की अपेक्षा यदि जनता इन जिम्मेदार अधिकारियों से करती है तो वह मूर्ख है।
जवाब देना जरूरी नहीं समझते जिम्मेदार
भ्रष्टाचार से निपटने शासन ने कई तरह के प्रयास किए है। पंचायत की व्यवस्था पारदर्शी हो ताकि आमजन को जानकारी मिल सके पर पंचायतों के कारनामों को न कोई देखने तैयार है और न रोकने। बिना बिल के प्रस्ताव पर लाखों रुपयों के भुगतान किए जा रहे है, पोर्टल पर डाले गए प्रस्ताव इतने धुंधले कर दिए जाते है कि कोई पढ़ ही न पाए। पंचायत के सचिव और सब इंजीनियर न तो कार्य की लागत बताने तैयार है न भुगतान की स्थिति किसी भी बात का कोई जवाब नहीं देते सिर्फ टालमटोल और बयानबाजी करने से जिम्मेदार बाज नहीं आते। उन्हें लगता है कि उनके मुंह न खोलने से सारे कारनामे दफन हो जायेगे। सचिव जानकारी सब इंजीनियर से लेने को कहता है और सब इंजीनियर राजाराम पटेल जिनकी देखरेख में कार्य कराए गए है वे जानकारी जनपद से लेने की कहते है। ऐसे में सूत्रों से प्राप्त जानकारी और ग्रामीणों की जांच करवाकर संबंधितों पर कार्यवाही की जानी चाहिए।
चर्चा है की ग्राम पंचायत बसनिया में लगातार निर्माण कार्यों के नाम से गड़बड़िया और गोलमाल जारी है। जनता परेशान है पर किसी तरह की कार्यवाही जिम्मेदार लोगों पर नहीं की जा रही है। जनापेक्षा है कि प्राप्त दस्तावेजों लग रहे आरोप और कार्य की स्थिति करते हुए उक्त कार्यों की जांच कराकर सभी दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की जावे ताकि प्रदेश शासन की सुशासन की ओर बढ़ते प्रदेश की छवि को बरकरार रखा जा सके।