पूर्व नप. अध्यक्ष पंकज तेकाम ने भ्रम फैलाकर छवि खराब किए जाने का प्रेसवार्ता में किया खंडन
पूर्व विधायक चैन सिंह भवेदी और मनीष तिवारी की एसपी से की शिकायत
झूठी आडिट रिपोर्ट के माध्यम से छवि बिगाड़ने के लगाए आरोप
पुलिस कार्यवाही नहीं होने पर जाएंगे न्यायालय
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 17 अगस्त 2023, डिंडोरी नगर परिषद के पूर्व अध्यक्ष पंकज सिंह तेकाम द्वारा अपने कार्यकाल में भारी भ्रष्टाचार किए जाने और उन तमाम लेन देनो पर आडिट रिपोर्ट की आपत्तियों का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर भारी भरकम भ्रष्टाचार के आरोप विगत कई दिनों से चर्चा में है।
उक्त आरोपों को लेकर पूर्व नपा. अध्यक्ष पंकज सिंह तेकाम ने गुरुवार को अपने निवास पर प्रेसवार्ता कर अपना पक्ष रखा। उन्होंने सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और जिस आडिट रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ भ्रम फैलाया जा रहा है उसे फर्जी बताया, उनका कहना है सोशल मीडिया के माध्यम से जिस रियोर्ट के आधार पर उनकी छवि कारण करने की कोशिश की जा रही है उस रियोर्ट पर किसी भी अधिकारी, सीएमओ आदि किसी के भी हस्ताक्षर नहीं है। इसी तरह उनके परिवार पर हिन्दू ग्रन्थ को जलाए जाने का जो झूठा आरोप लगाया जा रहा है उसको लेकर वे आहत है और बिना किसी प्रमाण के ऐसा घिनौना कृत्य करके समाज के बीच टकराव पैदा करने के प्रयास किए जाने को लेकर उन्होने दुख व्यक्त किया। इस कृत्य को राजनैतिक प्रतिद्वंदिता बताते हुए उन्होंने इस मामले में शहपुरा क्षेत्र के पूर्व भाजपा विधायक डॉक्टर चैन सिंह भवेदी और मनीष तिवारी की दोषी बताते हुए उनके विरूद्ध पुलिस अधीक्षक को शिकायत देकर एफआईआर दर्ज कर आरोपियों को जेल भेजे जाने की मांग की है और उन्होंने कहा कि पुलिस यदि इनके विरुद्ध कार्यवाही नहीं करती तो वे न्यायालय की शरण में जायेगे।
पुलिस अधीक्षक को दिए गए शिकायत पत्र में पंकज सिंह टेकाम ने उल्लेख किया है कि –
वे डिंडौरी जिले के प्रतिष्ठित व्यक्ति है। तथा नगर परिषद डिंडौरी के पूर्व अध्यक्ष है। तथा वर्तमान में प्रदेश महामंत्री भा.ज.पा. अनुसूचित जनजाति मोर्चा के पद पर सामाजिक कार्य कर रहे है।चैन सिंह भवेदी, पूर्व विधायक और मनीष तिवारी सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर अपने मोबाइल से सोशल मीडिया के माध्यम से आम जनता में मेरे खिलाफ गलत एवं भ्रामक खबर फैलाई गई झूठी एवं बनावटी रिपोर्ट प्रकाशित की गई। जिसका सम्बन्धित विभाग से कोई भी लेना देना नहीं है। इसके अतिरिक्त समाज में साम्प्रदायिकता एवं हिंसा फैलाने हेतु यह प्रकाशित किया गया है की मेरे परिवार द्वारा हिन्दूधर्म के प्रतिष्ठित ग्रन्थ की प्रति जलायी गई। उक्त झूठी खबर का सच्चाई से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। उक्त कृत्य कर अनावेदकगणों ने मीडिया का उपयोग कर मेरे विरुद्ध आपत्तिजनक झूठी, बनावटी, कूतथ्य प्रकाशित किये गए हैं। जिसके लिए अनावेदकगणों के विरुद्ध भा.द. वि. के अनुसार मामला दर्ज कर दोनों को तत्काल गिरफ्तार किया जावे।
पंकज सिंह तेकाम ने इस पूरे मामले को राजनैतिक प्रतिद्वंदिता बताते हुए इसे राजनीति का गिरा हुआ स्तर बताया। लोग राजनैतिक प्रतिस्पर्धा करने की बजाय व्यक्तिगत आरोप और झूठी बातें फैलाकर छवि खराब करने का प्रयास कर रहे है जो निंदनीय है। उक्त आरोपियों के संबंध में पत्रकारों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व भाजपा विधायक चैन सिंह भवेदी और मनीष तिवारी को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पार्टी से निष्कासित किया गया था। इसके बाद इनकी पार्टी में वापसी और वर्तमान में पार्टी की सदस्यता को लेकर कोई अधिकृत जानकारी पार्टी कार्यालय में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। उन्होंने मामले को लेकर अंत तक लड़ाई लड़े जाने की बात कहते हुए कहा कि वे पुलिस प्रशासन की कार्यवाही का अधिक समय तक इंतजार कर रहे है साथ न्यायालय की शरण में जाकर मानहानि का दावा भी करेगे। इस तरह के झूठे आरोप से मेरे पूरे परिवार और हमारे बुजुर्गो की छवि बिगाड़ने की कोशिश की गई है। उन्होंने अपने कार्यकाल में नगर में किए गए कार्यों की तुलना वर्तमान में किए जाने की भी बात कही।
पूर्व अध्यक्ष नरेंद्र राजपूत को किए गए भुगतान पर रखा पक्ष
सर्वाधिक विवादित आरोप जो लंबे समय से चर्चा में रहा वह भाजपा जिला अध्यक्ष नरेंद्र सिंह राजपूत के नाम से नगर पंचायत द्वारा किए गए लाखों रुपयों के भुगतान का है। उक्त मामले में पंकज सिंह तेकाम ने बताया कि नरेंद्र सिंह राजपूत ने पूर्व में एक पंजीकृत ठेकेदार के रूप में नगर परिषद में निर्माण कार्य किए थे जिनका भुगत लंबित था जो कि उनके भाजपा जिला अध्यक्ष बनने के पश्चात किया गया जिसको लेकर झूठी अफवाह फैलाकर भाजपा संगठन, मेरी और नरेंद्र राजपूत की छवि खराब किए जाने की साज़िश रची जा रही है। जबकि उक्त भुगतान प्रक्रिया के तहत नियमानुसार किया गया है।
नगर परिषद के दस्तावेज किसने किए सार्वजनिक???
पूर्व नगर परिषद अध्यक्ष की प्रेसवार्ता के बाद उन पर लग रहे आरोपों पर फिलहाल विराम लग गया है। किन्तु सूत्र बताते है कि उक्त दस्तावेज भले की कुट रचित हो किन्तु कहीं न कहीं जो जानकारी सार्वजनिक की जा रही है वह डाटा नगर परिषद से ही बाहर आया है। किन किन फर्म और व्यक्तियों को कितना कितना भुगतान किस किस तिथि पर किया गया और संभावित गड़बड़िया क्या है, यह जानकारी परिषद के भीतर से ही बाहर आ सकती है। ऐसे में जब उक्त जानकारी किसी ने नगर परिषद से अधिकृत रूप से नहीं ली है तो फिर कैसे बाहर आई यह बड़ा सवाल है। शासकीय दस्तावजों को नियम विरूद्ध बाहरी व्यक्तियों को उपलब्ध कराए जाने में किसकी भूमिका है इसकी भी जांच करवाकर दोषी व्यक्ति पर कठोर कार्यवाही की भी आवश्यकता है। पूर्व नगर परिषद ने दो लोगों पर गलत आरोप लगाकर उनकी छवि खराब करने के पीछे कारण राजनैतिक प्रतिद्वंदिता बताया है इसी तरह परिषद की जानकारी किस व्यक्ति द्वारा और किस साजिश के तहत लीक की गई यह भी साफ होना चाहिए। आगे इसे लेकर प्रशासन और नगर परिषद क्या कार्यवाही करती है यह देखना होगा।