शहपुरा विधानसभा क्षेत्र में रोचक होगा चुनावी मुकाबला

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ओमप्रकाश धुर्वे एक बार फिर दिखा सकते है अपना दम

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 21 अगस्त 2023, जिले की दोनों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की ओर से आगामी विधानसभा के लिए प्रत्याशी तय ही माने जा रहे है। दोनों ही सीट पर वर्तमान विधायक कांग्रेस के प्रत्याशी होगे किसी बड़े उलटफेर की यहां संभावना नहीं है। प्रदेश में चुनावी मुकाबला मुख्यरूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच ही माना जाता है। प्रदेश की राजनीति में इसलिए भी ये दोनों बड़े दल माने जाते है क्योंकि ये मध्यप्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्यशियों को मैदान में उतारते है और इन दोनों ही पार्टियों का सभी क्षेत्रों में पार्टी संगठन राजनैतिक गतिविधियों में सम्मलित रहता है।

अब जिले की शहपुरा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने बतौर प्रत्याशी ओमप्रकाश धुर्वे के नाम की घोषणा कर दी है। ओमप्रकाश धुर्वे भाजपा के जाने माने आदिवासी नेता है जो पूर्व में दो बार प्रदेश सरकार में केबिनेट मंत्री रह चुके है इसके अलावा वे जिले के एक मात्र ऐसे नेता है जो डिंडोरी जिले की डिंडोरी और शहपुरा विधानसभा से विधायक रह चुके है। पूरे जिले में उनका जनाधार है इसको नकारा नहीं जा सकता। भाजपा संगठन की केंद्रीय समिति के पदाधिकारी है और वर्तमान में राष्ट्रीय सचिव पद पर है। इन्हे पार्टी ने महाराष्ट्र प्रदेश के प्रभारी का दायित्व सौंपा था, जो धुर्वे का राजनैतिक रसूख बताता है। हालाकि 2018 के विधानसभा चुनाव में वे शहपुरा क्षेत्र से वर्तमान कांग्रेस विधायक भूपेंद्र मरावी से लगभग 33000 वोट से चुनाव हार चुके है। वहीं 2013 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश धुर्वे ने कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व मंत्री स्व. गंगा बाई उरैती को लगभग 34000 वोट से हराया था। इसके पहले 2008 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश धुर्वे डिंडोरी विधानसभा सीट से कांग्रेस के ओमकार सिंह मरकाम से लगभग 30 हजार वोटों से हार गए थे। तब से डिंडोरी विधानसभा पर मरकाम लगातार विधानसभा चुनाव जीतते आ रहे है।

चार पुराने चेहरे फिर मुकाबले में होगे  :-

आगामी 2023 विधानसभा चुनाव में वर्तमान विधायक भूपेंद्र मरावी की कांग्रेस से उम्मीदवारी तय थी और वे अपने क्षेत्र में सक्रिय भी है। विगत दिनों भाजपा द्वारा प्रत्याशी की घोषणा के बाद अब इस क्षेत्र में जल्दी ही चुनावी सरगर्मियां तेज हो सकती है। ओमप्रकाश धुर्वे के नाम की घोषणा के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह दिखाई देने लगा है। शहपुरा विधानसभा क्षेत्र से इसके अतिरिक्त गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी भी तय ही माने जा रहे है भले ही पार्टी द्वारा अभी अधिकृत घोषणा नहीं की गई हो। 2018 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने इस सीट पर लगभग 310000 वोट प्राप्त किए थे जबकि आप के उम्मीदवार व पार्टी के जिला अध्यक्ष अमर सिंह मार्को ने लगभग 6000 वोट प्राप्त किए थे और ओमप्रकाश धुर्वे को 54727 जबकि भूपेंद्र मरावी को 88687 वोट मिले थे। पिछले चुनाव के तीन प्रत्याशी, कांग्रेस से भूपेंद्र मरावी, भाजपा से ओम प्रकाश धुर्वे आम आदमी पार्टी से अमर सिंह मार्को इस बार फिर से मैदान हो सकते है। वहीं 2013 में इस क्षेत्र से चुनाव लड़ चुके गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी अमान सिंह पोरते के चुनाव लडने की पूरी संभावना है। जिन्हें 2013 में लगभग 18000 मत प्राप्त हुए थे। इस तरह से शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के संभावित चार मजबूत उम्मीदवार सामने है। जिसमें मुकाबला कांग्रेस भाजपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच हो सकता है। विधायक भूपेंद्र मरावी ने पिछले चुनाव में लगभग 35 हजार वोट से जीत दर्ज की थी इसमें उनके चेहरे या लोकप्रियता की बजाय शायद शहपुरा के तात्कालिक विधायक और केबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे के खिलाफ इनकमबेंसी या जनता की नाराज़गी थी जो पिछले पांच सालों में काफी हद तक कम हुई होगी वहीं वर्तमान विधायक की पिछले पांच साल की उपलब्धियों और 18 माह की सत्ता के दौरान किए गए कामों से भी जनता बहुत संतुष्ट नहीं है, ऐसे में आगामी चुनाव में कठिन मुकाबला होगा और इस बार चुनाव को 2018 की ही तरह देखा जाना भूल होगी। वहीं चुनाव में पार्टी संगठनों की भूमिका और सत्ताधारी सरकार की रीति नीति, योजना और चुनावी घोषणाओ को भी नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। साफ तौर पर कहा जाए तो 2018 की तरह ओम प्रकाश धुर्वे न तो इस बार उतने कमजोर साबित होंगे और न भूपेंद्र मरावी उसी तरह मजबूत साबित होंगे। वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और आम आदमी पार्टी भी पिछले पांच साल से लगातार क्षेत्र में कार्य कर रही है मतदाताओं के संपर्क में है और इनका असर भी क्षेत्र में बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। ऐसे में शहपुरा क्षेत्र में चुनावी मुकाबला बहुत रोचक होगा और परिणाम चौंकाने वाले आ सकते है। भाजपा के लिए इस बार क्षेत्र में बड़ी चुनौती है जहां पार्टी के साथ साथ दिग्गज पार्टी नेता और केंद्रीय संगठन के पदाधिकारी ओम प्रकाश धुर्वे की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वर्तमान विधायक भले ही अपनी जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त लग रहे हो पर भीतर ही भीतर चिंता उनके खेमे में भी है और जनता चुनाव में किस ओर जाती है इसका भरोसा नहीं किया जा सकता वहीं गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का क्षेत्र में बढ़ता जनाधार और आदिवासी मतदाताओं का भाजपा और कांग्रेस से मोहभंग होना भी एक महत्वपूर्ण चुनावी फैक्टर जरूर हो सकता है।

विधायक भूपेंद्र मरावी को लेकर जनता में विशेष उत्साह नहीं :-

शहपुरा विधायक भूपेंद्र मरावी के कार्यकाल में उनकी कोई विशेष उपलब्धि जनता को नहीं दिखाई दे रही है, रूटीन के कार्यों में कोई कमी और गड़बड़ी नहीं है। किसी बड़े विवाद, घोटाले और राजनैतिक आरोप में भी वे नहीं घिरे है तब भी इन केंबेंसी का फैक्टर तो है वहीं कांग्रेस पार्टी के संगठन की सक्रियता न के बराबर है प्रत्याशी को चुनाव व्यक्तिगत प्रयासों पर ही लड़ना होता है। ओमप्रकाश धुर्वे को लेकर बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा बहुत जोर नहीं दिखा पाएगा और पार्टी संगठन उनके साथ है। किन्तु पार्टी के भीतर उनके कुछ राजनैतिक विरोधी अंदर ही अंदर उनके खिलाफ बड़ी कोशिश को अंजाम दे सकते है।
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गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का बढ़ा असर :-

2023 के चुनाव में इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए गोंडवाना गणतंत्र पार्टी बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। भाजपा का संगठन इस सीट पर पुरजोर प्रयास कर शहपुरा को डिंडोरी विधानसभा की तरह कांग्रेस का गढ़ साबित होने से बचाने का प्रयास करेगा और ओम प्रकाश धुर्वे जो जिले की राजनीति के एक मंजे हुए नेता है साथ ही देश प्रदेश के कद्दावर नेता है और वे इस बार पिछले चुनाव में हुई गलतियों को सुधारकर बहुत हद तक अपने वोट बढ़ाने में सफल रहेंगे उन्हें इसी क्षेत्र से 32 हजार वोटों से जीतने का भी अनुभव है ऐसे में उन्हें किसी भी स्थिति में कमजोर नहीं माना जा सकता है।

कुल मिलाकर शहपुरा विधानसभा क्षेत्र से सभी पार्टियों के चेहरे तो साफ हो चुके है पर मतदाताओं का निर्णय और चुनाव परिणाम को लेकर संभावनाओं को लेकर अनुमान ही लगाए जा सकते है तब भी किसी भी प्रत्याशी के लिए आगामी चुनाव बहुत आसान नहीं होगा। भारतीय जनता पार्टी इस बार सुरक्षित अनुसूचित जनजाति सीटों को किसी भी स्थिति में जितने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है वहीं 30 इन सुरक्षित सीटों जिन पर कांग्रेस के विधायक है उन पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार किसी भी दशा में बदलना संभव नहीं है वहीं कांग्रेस अपने सर्वे को लेकर अत्यधिक आशान्वित है और इस बार आंकड़ा कांग्रेस 150 सीटों का मानकर चल रही है। इन सर्वे का आधार कितना मजबूत है यह तो पार्टी ही समझे पर आमजन को कांग्रेस की स्थिति कहीं से भी इतनी मजबूत नज़र नहीं आ रही है।
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शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के चुनावी आंकड़े

103. शाहपुरा, मध्य प्रदेश राज्य का एक विधानसभा/ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र है और मंडला (एसटी) लोकसभा/संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है। शहपुरा मध्यप्रदेश के डिंडोरी और महाकोशल में आता है। इसे ग्रामीण सीट के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

इस सीट पर कुल 2,46,056 मतदाता हैं, जिनमें 1,22,902 मतदाता और 1,23,150 मतदाता शामिल हैं. 2018 के मध्यप्रदेश चुनाव में शहपुरा में 79.07% मतदान हुआ। 2013 में मतदान प्रतिशत 77.11 था, और 2008 में यह प्रतिशत 71.3 था।

2013 में बीजेपी के ओमप्रकाश धुर्वे ने 32,681 (18.22%) के अंतर से सीट जीती थी. ओमप्रकाश धुर्वे को कुल मतदान का 42.81% वोट मिले।

2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने यह सीट 19,935 वोटों (14.39%) के अंतर से जीती, जो कुल वोटों का 37.13% था।

2014 के लोकसभा चुनावों में, कांग्रेस ने मंडला (एसटी) संसदीय/लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र में नेतृत्व किया।

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