म.प्र.2023 विधानसभा चुनाव : आदिवासी मतदाताओं की भूमिका करेगी चमत्कार (पार्ट -2)

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प्रदेश में 150 सीटें जीता सकते है आदिवासी वोटर

जनसंख्या के आंकड़ों पर नजर डाले तो साल 2011 की जनगणना ने मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या लगभग 7 करोड़ से है। इसमें आदिवासियों की जनसंख्या करीब डेढ़ करोड़ है यानी करीब 21 से 22 प्रतिशत। इतना बड़ा कोई भी समुदाय किसी भी पार्टी को सत्ता तक पहुंचाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल इस समुदाय को नाराज नहीं करना चाहते और अपने से जोड़कर रखना चाहते हैं।

प्रदेश में एक लाख वोट पाने वाला प्रत्याशी बहुत आसानी से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कर लेता है। यदि प्रदेश का डेढ़ करोड़ आदिवासी मतदाता एकमत हो जाए तो इसके बल पर 150 विधानसभा सीटें जीती जा सकती है मतलब कुल 230 सीटों की आधी से भी अधिक सीटें। कुछ तकनीकी उलटफेर के चलते यह तो माना ही जाता है कि प्रदेश में आदिवासी मतदाताओं का पुख्ता असर करीब 85 सीटों पर है।

2023 के चुनाव में क्या होगी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की भूमिका

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले 32 वर्षों से आदिवासियों के साथ संघर्ष कर रही गोंडवाना गणतंत्र पार्टी एक मात्र आदिवासियों की बात करने वाला राजनैतिक दल है। जिसे आदिवासी समाज का खासा समर्थन प्राप्त है और साधनों, संसाधनों की कमी और बड़े दलों के चुनावी हथकंडा का शिकार हो जाने से पार्टी कभी भी उभर कर मजबूती से नहीं आ सकी। निचले स्तर से बहुत धीरे धीरे बढ़ती हुई गोंडवाना गणतंत्र पार्टी अब लगभग 40 सीटों पर मजबूत हुई है और इन सीटों पर आदिवासी मतदाताओं के समर्थन वाली यह पार्टी चुनाव को परिणाम को पूरी तरह से प्रभावित करती है। 2023 के चुनाव में पार्टी का रुझान आदिवासी वर्ग ने बहुत तेजी से बढ़ता दिख रहा है वहीं आदिवासी क्षेत्रों के अन्य वर्ग के लोग भी अब गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ आ रहे है। आदिवासी अंचल में सिंगरौली से लेकर, शहडोल, डिंडोरी, मंडला से होते हुए बैतूल जिले तक पार्टी के समर्थको की सक्रियता तेजी से बढ़ी है। इन क्षेत्रों के किसी भी चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की भूमिका निर्णायक होती है। 2018 के चुनाव में जिन 27 सुरक्षित अजजा सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के साथ गोंडवाना गणतंत्र पार्टी चुनाव मैदान में उतरी थी। उन सीटों पर कांग्रेस 16 सीट पर और भाजपा ने 11 सीट पर जीत हासिल की थी। जिन 20 सुरक्षित सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी चुनाव नहीं लड़ी वहां कांग्रेस को 14 और बीजेपी को मात्र 5 सीट मिली थी। अमरपाटन और ब्यौहारी सीट पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी दूसरे स्थान पर रही थी। जिसमें से अमरपाटन में बीजेपी और ब्यौहारी में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था।

2023 के विधानसभा चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, अजजा सुरक्षित सीट पुष्पराजगढ़, डिंडोरी, शहपुरा, बिछिया, निवास, बैहर, लखनादौन, जुन्नारदेव, अमरवाड़ा, व्योहारी, जैतपुर, बांधवगढ़, मंडला, सिहोरा, धौहानी, सहित 15 सीटों पर बहुत मजबूत स्थिति में है। वहीं अनारक्षित सीट मैहर, जबेरा, बरगी, तेंदूखेड़ा, कोतमा, केवलारी, चौरई में बड़ा उलटफेर कर सकती है। सूत्रों की माने तो मध्यप्रदेश में 2023 के चुनाव में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी पहले से अलग रणनीति के साथ चुनाव लड़ने जा रही है जिसके परिणाम चौंकाने वाले होगे। वहीं आदिवासियों के साथ पिछले सालों में बढ़े अत्याचार और शोषण की घटनाओं के बाद से शिक्षित और जागरूक हो चुका आदिवासी समाज का बड़ा तबका अब भाजपा और कांग्रेस की राजनीतिक चालो से अलग हटकर अपनी अलग राजनीति पहचान बनाने एकजुट होता दिखाई दे रहा है। 2023 में मध्य प्रदेश आदिवासी मुख्यमंत्री की बात करने के चलते प्रदेश भर में आदिवासी समाज गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को मजबूत करने आगे आ रहा है। हालाकि प्रदेश के बड़े दल इसको कमजोर करने का हर हथकंडा आजमाने की कोशिश करेगे क्योंकि आदिवासी वोट के बिना प्रदेश में सत्ता की दूर दूर तक कोई संभावना ही नहीं बनती है।

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