“हमारी पहचान स्वतंत्र” -आदिवासी समाज

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आदिवासी समाज ने जनगणना में ट्राइबल रिलीजन कॉलम की रखी मांग, कहा – हमारी पहचान स्वतंत्र

 

जनपथ टुडे डिंडौरी 14 सितंबर।

आगामी जनगणना को लेकर आदिवासी समाज ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए सरकार से ट्राइबल रिलीजन को अलग धर्म कॉलम के रूप में मान्यता देने की मांग की है। अखिल गोंड़वाना कोयापुनेम भुमका सेवा संस्था संघ ने कहा कि भारत के मूल निवासी आदिवासी न तो हिन्दू हैं, न मुस्लिम, न ईसाई और न ही किसी अन्य प्रमुख धर्म के अनुयायी। उनकी धार्मिक मान्यताएँ प्रकृति पूजा और विशिष्ट आदिवासी जीवनशैली पर आधारित हैं, जो पूर्णतः स्वतंत्र पहचान रखती हैं।

संस्था ने स्पष्ट किया कि आदिवासियों को अन्य धर्मों के अंतर्गत शामिल करना संविधान की भावना और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। संविधान हर नागरिक को धर्म की स्वतंत्रता और अपनी संस्कृति, भाषा तथा परंपराओं को संरक्षित करने की गारंटी देता है। पाँचवीं और छठी अनुसूची में आदिवासी क्षेत्रों की विशेष संरचना और स्वशासन की मान्यता भी निहित है, इसके बावजूद आदिवासी धर्म को पृथक पहचान न मिलना चिंता का विषय है।

ज्ञापन में यह भी माँग की गई कि गोंड वंशीय शासन कालीन किले, बावड़ी, ताल व तलैया को अतिक्रमण से मुक्त कर संरक्षित किया जाए तथा इनके प्राचीन नामों को बदलने पर रोक लगाई जाए।

समाज ने सरकार से अपेक्षा जताई है कि जनगणना प्रपत्र में “ट्राइबल रिलीजन” नाम से पृथक कॉलम जोड़ा जाए, जिससे आदिवासी समाज को संवैधानिक मान्यता मिले और उनकी अस्मिता सुरक्षित रह सके।

 

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