अमरकंटक के जंगलो में साल बोरर कीट का प्रकोप , बेशकीमती हरे भरे साल के पेड़ सूखने के कगार पर

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पांच हजार से ज्यादा पेड़ हो चुके खोखले जिन्हे काटने की तैयारी,TFRI ट्रापिकल फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट जबलपुर की टीम प्रभावित क्षेत्र का कर चुकी दौरा

वर्ष 1998 में इन जंगलो में पहले भी फैली थी महामारी,ग्रामीणों से कीटो को मरवाकर सरकार खरीद रही थी किलो के भाव

संपादक प्रकाश मिश्रा 8963976785

जनपथ टुडे डिण्डौरी 27 नवम्बर2025 – मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे साल प्रजाति के पेड़ो पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं दरअसल कई साल बाद एक बार फिर से इन जंगलो में साल बोरर कीट का प्रकोप देखा जा रहा है जिसके कारण साल के हजारों पेड़ खोखले होने की कगार पर है।

1998 में इन जंगलो में पहले भी साल बोरर कीट का देखा गया था प्रकोप 

डिंडोरी जिले के करंजिया,समनापुर और बजाग वन परिक्षेत्र अंतर्गत बेशकीमती साल के पेड़ पर साल बोरर कीट का प्रकोप देखा जा रहा है, माँ नर्मदा का उदगम स्थल पवित्र नगरी अमरकंटक के आसपास लगे जंगलो में हरे भरे पेड़ धीरे धीरे सूखने लगे है.. बताया जाता है की वर्ष 1998 में इन जंगलो में पहले भी साल बोरर कीट का प्रकोप देखा गया था । साल के पेड़ो को बचाने के लिए सरकार को ग्रामीणों के माध्यम से कीड़े मरवाकर उनके सिरों की माला खरीदने पड़े थे, अब एक बार फिर इन जंगलो में कीट बोरर कीट का प्रकोप देखा जा रहा है और हजारों की तादात में बेशकीमती हरे भरे पेड़ खोखले हो रहे हैं। मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ बॉर्डर के चेकपोस्ट के पास स्थानीय ग्रामीणों दल सिंह मार्को ने बताया कि  अमरकंटक से लगा हुए जंगल में भारी तादात में साल के पेड़  हैं जिसमे साल बोरर कीट के कारण अब संकट छाया हुआ है। वहीं चेकपोस्ट में पदस्थ वन कर्मी जयप्रकाश  पाठक ने बताया की पेड़ो में कीट लगे हुए हैं बोरर कीट के कारण पेड़ो से बुरादा निकल रहा और पेड़ सूख रहे हैं।

 

इनका कहना है 

साल बोरर कीट जिस तेजी से बढ़ते हैं उस तेजी से नष्ट करना विभाग के लिए उतना ही चुनौती है । (TFRI ) ट्रापिकल फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट टीम जबलपुर द्वारा प्रभावित इलाको का दौरा कर जाँच की गई उसके रिपोर्ट और सुझाव का इंतजार है विभाग द्वारा पेड़ो के बचाव के लिए पूरे प्रयास किये जा रहे है । पांच हजार पेड़ो को चिन्हित किया गया है ।

 सुरेन्द्र जाटव

SDO वन विभाग

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