इंदौर में देखने को मिली भाईचारे की बेहतरीन मिसाल, मुसलमानों ने किया पड़ोसी ‘दुर्गा मां’ का अंतिम संस्कार

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मुस्लिम परिवारों ने तबियत पूछी फिर सुबह जब देखा, तो मुहल्ले में रोना धोना शुरू हो गया. दुर्गा मां के दो लड़के हैं, उनके पास इतने पैसे भी नही थे कि मां का अंतिम संस्कार कर सकें.

जनपथ टुडे, इंदौर, अप्रैल,07, 2020 , इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर के साउथ तोड़ा जूना गणेश मंदिर के नज़दीक रहने वाली एक बुज़ुर्ग महिला, जिन्हें मुहल्ले वाले दुर्गा माँ नाम से पुकारते थे, कुछ दिनों से बीमार थीं. रात को मोहल्ले में रहने वालों मुस्लिम परिवारों ने तबियत पूछी फिर सुबह जब देखा तो मुहल्ले रोना धोना शुरू हो गया मालूम पड़ा की दुर्गा माँ नही रही. फिर उनके दो लड़के है जो कही और रहते है उन्हें बुलाया जब वो आए तो उनके पास इतने पैसे भी नही थे कि अपनी माँ का अंतिम संस्कार कर सकें. तभी मुहल्ले के अकील भाई, असलम भाई, मुदस्सर भाई, राशिद इब्राहिम, इमरान सिराज आदि मुस्लिमो भाइयो ने दुर्गा माँ का अंतिम संस्कार किया.

इस दौरान एक सुनहरी इबारत लिखी जो दुनिया मे बहुत ही कम देखने को मिलती है. आज के इस माहौल में जब दूर्गा मां के लिए मुस्लिमो ने जो काम किया वो उन नफरत फैलाने वालों के मुंह पर जोरदार तमाचा है जो हिन्दू मुस्लिमों को बांटकर अपनी राजनीति करते है. इन लोगो ने सिर पर टोपी लगाके कन्धा दिया जैसे अपनी सगी माँ को कंधा दे रहे हो और मुखाग्नि में भी साथ रहे ये लोग.

इंसानियत जाति और धर्म में नहीं खोजी जा सकती न जिंदगी और मौत का बटवारा इस आधार पर हो सकता है। समाज में इंसानियत को बनाए रखना हर धरम के लिए जरूरी है।

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