खारीडीह में 1945 – 46 में निर्मित रेस्ट हाऊस, गिरने की कगार पर
खारीडिह विश्राम गृह अवैधकारोबार का बन रहा है अड्डा
अंग्रेज़ प्रशासकों से दी खारीडीह को पहचान
गोपालपुर से रूपेश सरीवान की खास रिपोर्ट
जनपथ टुडे, 20 जून 2020, डिन्डौरी के करांजिया थाना अंतर्गत गोपालपुर के करीबी ग्राम खारीडीह मे अग्रेजों के जमाने से बने वन विभाग के रेस्ट हाऊस, जिसे बताया जाता है कि 1945 – 46 में अग्रेजों द्वारा बनवाया गया था। वनों के बीच स्थित मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ की सीमा पर उक्त रेस्ट हाऊस अत्यधिक मनोरम और जंगल की सुंदरबादियो में बनाया गया था जिसका उपयोग अंग्रेज हुक्मरान बियाबान जंगलों में शिकार करने और जंगल की सैर के लिए किया करते थे। अंग्रेजो का समय गुजरने के बाद यह विश्रमग्रह वन विभाग के अंडर में आ गया और इस क्षेत्र के वनों की देखरेख के साथ ही प्रदेश के आला अफसर भी यहां आते रहते थे और जंगल का लुफ्त उठाया करते थे, वहीं दूर दूर से लोग इसे देखने भी भी आया करते थे। इस रेस्टहाऊस में कोई न कोई अधिकारी या कर्मचारी रहते थे और वन विभाग इसकी देखरेख करता था। यह रेस्ट हाऊस खारीडीह की धरोहर है और एक बहुत सुंदर और महत्त्वपूर्ण स्थल था।
जर्जर हो चुका रेस्ट हाउस
किन्तु अब इसमें न तो वन विभाग का अमला रहता है न ही इसकी उचित देखरेख हो रही और विगत सात आठ वर्षो से यह रेस्ट हाऊस पूरी तरह जर्जर हो चुका है। यहां वन विभाग की निगरानी न होने से अब यहा अवैध कार्य, लकड़ी का अवैध भंडारण, पटिया काटना, मुरम, रेत की अवैध निकासी जैसे कार्य होने लगे है। एक ओर एक बेहद खूबसूरत स्थल नष्ट होने की कगार पर है वहीं अवैध कारोबार की यह शरणस्थली बनती जा रही है।
कुछ साल पहले वन विभाग के डी एफ ओ, जिला कलेक्टर, जिला सी ई ओ आदि सभी अधिकारियों से ग्रामवासीयो द्वारा निवेदन किया गया था कि इस स्थल और भवन की मरम्मत और रख रखाव करवाया जावे तब अधिकारियों ने इसका आश्वासन दिया था किन्तु फिर कुछ हो नहीं पाया।
इस क्षेत्र की यह इकलौती इमारत है जिसकी क्षेत्र में पहचान रही है। इसके पुनः रखरखाव से यहां वन विभाग के अधिकरियों का आना जाना और रुकना फिर से शुरू हो जाए साथ ही जगल के बीच होने से यहां अन्य आला अफसरों का भी दौरा और विश्राम हो सकता है। इसका लाभ इस अत्यंत पिछड़े और दूरस्थ स्थित क्षेत्र की जनता को ये होगा कि वे अपनी समस्याओं से अधिकारियों को अवगत करा पाएंगे और इस सीमावर्ती क्षेत्र का विकास हो सकेगा समस्याओं का निदान हो सकेगा।
वन विभाग के आवास नहीं है
गौरतलब है कि खारीडीह वन वृत्त होते हुए भी यहाँ पर परिक्षेत्र, सहायक आवास तक नहीं है. रेस्ट हाउस की मरम्मत हो जाने से परिक्षेत्र सहायक भी खारीडीह में निवास कर सकेगे जिससे वनों की अवैध कटाई, उत्खनन, अग्नि, शिकार आदि पर भी बहुत हद तक लगाम लगेगी।
जिला प्रशासन और वन प्रशासन से आपजन का अनुरोध है एक बार जिला प्रमुख इस स्थल और अत्यधिक सुंदर वनो के बीच स्थित इस स्थल का दौरा करे और प्रशासन की साझा मुहिम से इस रेस्ट हाउस को पुनः विकसित किया जावे या न केवल इस क्षेत्र बल्कि जिले की पहचान बनने के काबिल स्थल है जिसको 1945 – 46 में अंग्रेज प्रशासकों ने पहचान लिया था और उस दौर में इसका निर्माण करवाया था, इसका पुनः पुनरोद्धार करवाया जाए यह जनापेक्षा है क्षेत्रवासियों की ।