“यहां दरख्तों के साए में जिंदगी पलती है”

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जनपथ टुडे, डिंडोरी, प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम एक ओर जहां समाज मेंआपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि करता है वही यह नेक कार्य आने वाली पीढ़ी के लिए अजीविका का मजबूत साधन बन सकता है और जीवन सुखद रूप से पल्लवित हो सकता है।

ऐसी ही एक बानगी जिले के करंजिया अंतर्गत गोरखपुर कस्बे के निवासी नवल सिंह के रूप में देखी जा सकती है। सरकारी नौकरी छोड़कर प्रकृति प्रेम उन्हें सिवनी नदी के तट पर ले आया और वहां उन्होंने बड़ी संख्या में फलदार पौधे रोपे और अपने आपको उनके लिए समर्पित कर दिया लगातार देखरेख और समर्पण से उनकी बागवानी रंग लाई उनकी उम्र ढलने के चलते अब इस काम को उनका पुत्र राजेन्द्र मरावी परिवार सहित सम्हाल रहा है। यही कार्य इस परिवार की आजीविका का साधन भी बन चुका है।

वन विभाग में अपनी सेवाएं दे चुके नवल मरावी बताते हैं बचपन से ही उन्हें प्रकृति और पर्यावरण से प्रेम रहा है और इसी लगाव के चलते उन्होंने नौकरी से इस्तीफा दें दिया और इस मिशन में कूद पड़े। उन्होंने बताया कि जब इस इलाके में उन्होंने यह काम शुरू किया था तब यह एकदम वीरान और सुनसान इलाका हुआ करता था यहीं पर उन्होंने अस्थाई ठिकाना बनाया और अपने कार्य में जी जान से जुट गए फलतः आज उनका यह कार्य उनके परिवार के जीवन यापन का जरिया भी बना हुआ है इसीलिए कहा गया है, यहां दरख्तों के साए में जिंदगी पलती है।

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