
अब जंगली जानवरों से फसल नुकसान पर मुआवजा, प्राकृतिक आपदा पर न्यूनतम 5000 रुपए अनुदान
तकनीकी शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कैबिनेट के फैसलों की जानकारी मीडिया को दी
धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को कैबिनेट ने दी मंजूरी, विधानसभा के बजट सत्र में पेश होगा
शीतकालीन सत्र स्थगित होने से लव जिहाद संबंधित कानून अध्यादेश के माध्यम से लागू हो चुका है
जनपथ टुडे, भोपाल ,9 फरवरी 2021, जंगली जानवरों से फसल को नुकसान होने पर अब किसानों को मुआवजा मिलेगा। इसके लिए राज्य कैबिनेट ने राजस्व पुस्तिका परिपत्र में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। वन्य प्राणियों से यदि मकान को नुकसान पहुंचता है तो भी किसान मुआवजा के लिए पात्र होंगे। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदा या अग्नि दुर्घटना पर आर्थिक सहायता के रूप में किसान को न्यूनतम 5 हजार रुपए देने का निर्णय भी लिया गया है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बैठक में राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। अभी तक किसी जानवर से फसल और मकान को नुकसान पहुंचाने पर मुआवजे का प्रावधान नहीं था।
दरअसल सिंगरौली, सीधी, अनूपपुर और शहडोल जिले में जंगली हाथी अक्सर ग्रामीणों की फसल व मकान को नुकसान पहुंचाते हैं। 2017- 18 में शहडोल में जंगली हाथियों ने मकान और घरेलू सामग्री को नुकसान पहुंचाया था।
वनमंडलाधिकारी ने 12 प्रकरण में 5.06 लाख रुपए का मुआवजा देने का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा था, लेकिन उन्होंने इसे यह कहकर लौटा दिया था कि राजस्व पुस्तक परिपत्र में इसके लिए प्रावधान नहीं है। जबकि वन विभाग के 1989 के आदेश में क्षतिपूर्ति देने के निर्देश हैं। अब सरकार ने वन्य प्राणियों द्वारा नुकसान करने पर मुआवजे का प्रावधान कर दिया है।
तकनीकी शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि कैबिनेट ने धर्म स्वातंत्र्य विधेयक 2020 को भी मंजूरी दे दी है। अब सरकार विधानसभा के बजट सत्र में इस विधेयक को सदन में पेश करेगी।
बता दें कि 28 से 30 दिसंबर 2020 को होने वाले शीतकालीन सत्र के स्थगित होने के कारण सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ इस कानून को अध्यादेश के माध्यम से प्रदेश में लागू कर दिया है। दरअसल, अध्यादेश के माध्यम से लागू कानून की वैधता केवल 6 माह होती है। अब इसे विधेयक के रूप में लागू किया जाएगा।
यह निर्णय भी लिए गए :-
बनी (हरबाखेड़ी) मध्यम सिंचाई परियोजना के लिए 93.75 करोड़ की प्रशासकीय स्वीकृति भी दी है। परियोजना से 3050 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी।
जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर में पाइप लाइन बिछाकर पानी उपलब्ध कराने की योजना को मंजूरी।
आदिम जाति कल्याण विभाग का नाम बदलकर जनजाति कल्याण विभाग करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।