
निजी स्कूल शिक्षकों के मामले में हाई कोर्ट का फैसला, 20% से अधिक वेतन नहीं काट सकते
जनपथ टुडे, जबलपुर , 7 नवम्बर 2020, कल मप्र हाईकोर्ट ने प्राइवेट स्कूल संचालकों को आदेशित किया है कि वह कोरोना के नाम पर प्राइवेट स्कूल टीचर्स की सैलरी में 20% से अधिक की कटौती नहीं कर सकते। चीफ जस्टिस संजय यादव व राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में स्कूलों के शिक्षकों सहित अन्य स्टाफ को भी राहत दी है।
कोरोना काल के बाद काटा गया वेतन भी देना होगा
मप्र हाई कोर्ट की बेंच ने कहा है कि निजी स्कूल संचालक शिक्षकों और स्टाफ का वेतन 20% से अधिक नहीं काट सकेगे। इसके साथ ही कोरोना काल समाप्त होने के बाद काटा गया वेतन भी सभी को देना होगा। कोर्ट ने दस याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करने के बाद 6 अक्टूबर फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी फैसला दिया है कि निजी स्कूल tuition fee के अलावा छात्रों से किसी भी प्रकार का अन्य शुल्क नहीं वसूल सकते। जब तक कोरोना वायरस महामारी रहेगी तब तक यह आदेश प्रभावी रहेगा।
जमीनी हकीकत क्या है
प्रदेश के निजी स्कूल संचालक एक तरफ विद्यार्थियों से सभी तरह के शुल्क वसूल रहे है दूसरी तरफ स्टाफ और शिक्षकों की छटनी कर बहुत लोगों को घर बैठा दिया गया है और ऑनलाइन क्लास संचालित कर रहे शिक्षकों को 50% वेतन ही दे रहे है वहीं स्टाफ को भी कम कर दिया गया है। जिसके चलते आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे कुछ लोगों ने न्यायालय की शरण ली थी। कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया है किन्तु निजी स्कूल संचालक अब भी इन आदेश के अनुसार वेतन देगे संभव नहीं लगता। क्योंकि निजी स्कूल संचालक जरूरतमंद स्टाफ और शिक्षकों का शोसन करते रहे है वहीं ऑनलाइन पढ़ाई के साथ छात्रों से भी सभी फीस वसूली जा रही है।