
सरपंच के बेटे की खुल गई दुकान, भाई भी बना सप्लायर
सरपंच के करीबियों को 86 लाख रुपए के भुगतान संदेह के घेरे में
जनप्रतिनिधि अपनों को लाभ पहुंचाने में जुटे
फर्जीवाड़ा रोकने के बजाय अधिकारियों का मौन संरक्षण
जनपथ टुडे, डिंडोरी, 6 दिसंबर 2020, जिले भर की पंचायतों के कामकाज और भारी भ्रष्टाचार को लेकर आमजन में भारी असंतोष व्याप्त है। शासन को खुलेआम चूना लगाने वालों को प्रशासन से मौन संरक्षण मिल रहा है। प्रमाणित शिकायतों पर भी भ्रष्टाचार और गड़बड़ियां करने वाले जनप्रतिनिधियों के खिलाफ प्रशासन आंख बंद करके बैठा है, इससे जिले में पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुका है। भ्रष्ट जनप्रतिनिधि छाती ठोक कर मनमानी कर रहे हैं और प्रशासन खामोश है वही जिले भर की कई पंचायतों के ग्रामीण सड़कों पर जाम लगाने मजबूर है।
ग्राम पंचायतों में निर्माण कार्य पंचायत द्वारा कराए जाते हैं किन्तु जिले भर में ठेकेदारों का पंचायतो पर कब्जा है और पंचायती राज व्यवस्था को खुली चुनौती दी जा रही है। फर्जी फर्मो से सामग्री के फर्जी बिलों के भुगतान के बाद पंचायत प्रतिनिधियों ने अपनी ही फर्मे कागजों बना ली है जिनके माध्यम से लाखों रुपए की शासकीय राशि ‘घर के घर में’ डकारने का एक नया फार्मूला ईजाद कर लिया गया है। बताया जाता है कि सरपंच सचिव और उपयंत्री की साठ गाथा से भुगतान करवाने के लिए यह फर्मे बनाई जाती हैं। पंच परमेश्वर व मनरेगा के निर्माण कार्यों में सामग्री के नाम पर इन फर्मो को भुगतान कर दिया जाता है। जबकि उतनी कीमत की सामग्री का उपयोग इन कार्यों में नहीं होता है। दूसरा जीएसटी की भी चोरी इन फर्मो के माध्यम से आसान हैं अन्य फर्मो के फर्जी बिलों के लिए जीएसटी की राशि और कमीशन कारोबारियों को देना पड़ता है जो खुद की फर्जी दुकानों के बिलों के द्वारा जनप्रतिनिधियों की जेब में पहुंच जाता है।
सरपंच के बेटे की खुल गई दुकान
डिंडोरी जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत दुहनिया की सरपंच ललिता मरावी है बताया जाता है कि उनके बेटे की दुकान को 11 फरबरी 2018 से ग्राम पंचायत से भुगतान स्वरूप मोटी राशि का भुगतान किया गया है 15 मई 2020 तक सरपंच के बेटे की दुकान गुरु कृपा ट्रेडर्स ग्राम दुहनिया को पंच परमेश्वर योजना अंतर्गत ग्राम पंचायत द्वारा करवाए निर्माण कार्यों में लगभग 61 बिलो का भुगतान करीब 42,88,427 रुपए किया गया। पिछले 3 वर्षों में औसतन प्रतिमाह एक से दो बिल और लाख से डेढ़ लाख रुपए का भुगतान सरपंच के बेटे की फर्म को ग्राम पंचायत द्वारा किया जाता रहा है जो जांच का विषय है। इतनी बड़ी राशि का भुगतान प्राप्त करने वाली उक्त फर्म के पंजीयन विवरण और बिलों पर जीएसटी नंबर तक अंकित नहीं है जिसके आधार पर कहा जा सकता है कि फर्म द्वारा जीएसटी की चोरी भी की गई है। प्रतिवर्ष 20 लाख रुपए का कारोबार करने वाली फर्म के संचालक सरपंच पुत्र कितना आयकर चुकता करते है यह भी जांच से स्पष्ट हो सकता है। सरपंच के बेटे की फर्म के आयकर व जीएसटी के संबंध में हमारे प्रतिनिधि ने उनके फोन नंबरों के साथ ही उनकी गांव में जाकर भी संपर्क करने की कोशिश की किंतु उनसे संपर्क नहीं हो सका सभी फोन नम्बर बंद है। ग्रामीणों से प्राप्त उनके पिता के मोबाइल नंबर पर भी संपर्क की कोशिश की किंतु वे भी रिसीव नहीं किए गए।
सरपंच एक जनप्रतिनिधि है और ग्राम पंचायत में उनकी बेटे की फर्म को किए गए भारी भरकम भुगतान सरपंच का अपने सगे संबंधियों को पद का लाभ दिलाने का साफ संकेत है इसकी जांच और नियमानुसार कार्यवाही विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही है साथ ही जांच करने पर और भी कुछ बड़े खुलासे होने की संभावना बताई जाती है। अपनों को लाभ पहुंचाने के मामले में ग्राम पंचायत दुहनिया की सरपंच सिर्फ यही नहीं रुक जाती बल्कि और भी सगे संबंधियों के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान ग्राम पंचायत द्वारा किया गया जिसकी जांच भी जरूरी है।
भाई की फर्म पर भी हुई मेहरबानी
ग्राम पंचायत दुहनिया से मै. मानसिंह उइके, आनाखेड़ा को भी सामग्री आपूर्ति के लिए लगभग ₹43,80,800 रुपयों का भुगतान 71 बिलों के एवज में 24 नवम्बर 2015 से 27 मार्च 2020 के बीच किया गया। आनाखेड़ा की उक्त फर्म जो कि ग्राम पंचायत से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है, मजे की बात यह है कि उक्त फर्म ने 2015 से अब तक केवल ग्राम पंचायत दुहनिया में ही मटेरियल की आपूर्ति की है जहां की सरपंच उनकी बहन है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त फर्म सरपंच कमला मरावी के भाई मानसिंह की है। सरपंच के पुत्र और भाई की उक्त फर्म की सामग्री आपूर्ति मात्र ग्राम पंचायत दुहनिया में ही की जाना जांच का विषय है। सरपंच के कार्यकाल में इन दोनों फर्मो को पंच परमेश्वर योजना अंतर्गत कराए गए निर्माण कार्यों में लगभग 86 लाख रुपयों का भुगतान किया गया। मनरेगा के निर्माण कार्यों में कितनी राशि का भुगतान किया गया इसका खुलासा होने पर यह राशि बढ़कर और भी अधिक होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
सरपंच के इन दोनों करीबी संबंधियों की फर्मो के नाम पर प्रतिवर्ष लगभग 20 लाख रुपयों का भुगतान ग्राम पंचायत द्वारा पंच परमेश्वर योजना अन्तर्गत किया गया अन्य योजनाओं से उनको कितना भुगतान किया गया इसका भी खुलासा होना अभी बाकी है। जनप्रतिनिधि द्वारा पंचायत में अपनों को लाभ दिलाने के मामले की जांच से और भी कई बड़ी गड़बड़ियों के उजागर होने की संभावना है, जिनका खुलासा भी जनपथ टुडे द्वारा जल्द ही किया जावेगा।