चरनोई भूमि मवेशियों के लिए रखी जावे सुरक्षित

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देव सिंह भारती

 

जनपथ टुडे, 28 सितम्बर 2020, अमरपुर/डिण्डौरी शासन के निमानुसार मवेशीयों को चराने हेतु शासकीय चरनोई भूमि 2 फीसदी छोड़ी गई हैं, जो कि अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी हैं। और मवेशीयों के लिए चरनोई भूमि ही नहीं बची हैं, जिससे मवे शीयों के सामने उदर पोषण का संकट उत्पन हो गया हैं। चरनोई भूमि के साथ साथ नदी नाले भी अतिक्रमण से नहीं बचे हैं। अब मवेशीयों को चारा तो क्या पीने का पानी भी मुहाल नहीं हो पा रहा हैं। नदियों में पानी तो हैं पर पानी तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं बचा जिस कारण मवेशी पानी तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। जो शासकीय चरनोई भूमि पूर्व में 7 फीसदी प्रत्येक ग्रामों में छोड़ी गई थी। जिसमें से पूर्वीय सरकार द्वारा 5 फीसदी चरनोई भूमि भूमिहीन व्यक्तियों को आवंटित कर दी गई और अब 2 फीसदी चरनोई भूमि बची हुई हैं जो केवल राजस्व अभिलेखों में ही दर्ज हैं किन्तु मौके से नदारत हैं।

यह अमरपुर ब्लाक के ही नहीं पूरे जिले में यही स्थिति निर्मित हो चुकी हैं और अब मवेशी मालिकों के सामने मवेषियों को चराने की विकराल समस्या खड़ी हो चुकी हैं। पहले जगलों एंव वन भूमि में मवेशियों की चराई होती थी। जो वर्तमान में वृक्षारोपड़ हो जाने के कारण हाताबंदी कर सकल वन भूमि सुरक्षित कर दी गई हैं। ऐसी परिस्थिति में प्रशासन 2 फीसदी चरनोई भूमि एंव नदी नाले का अतिक्रमण हटाते हुए मवेशीयों के लिए सुराक्षित किया जाना जनहित में होगा।

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