
सहायक आयुक्त डिंडोरी का तुगलकी फरमान शिक्षिका को किया निलबित
सी एम हेल्पलाइन में शिकायत करने पर शिक्षिका को किया गया निलबित
फोन पर और कार्यालय में बुलाकर शिक्षिका को शिकायत वापस न लेने पर दी गई थी निलबन की धमकी
जिला कलेक्टर कार्यालय में शिकायत पर भी नहीं हुई कार्यवाही
जनपथ टुडे,(अशोक श्रीवास्तव) डिंडोरी,मार्च 18 2020 सहायक आयुक्त डिंडोरी के एक तुगलकी फरमान का पालन न करने पर शिक्षिका श्रीमती मुक्ता चौकसे को जारी किया गया निलबन का आदेश। एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय डिंडोरी में पदस्थ अधीक्षिका को सहायक आयुक्त द्वारा दिनांक 16 मार्च को आदेश जारी कर म प्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के प्रतिकूल होने के चलते तत्काल प्रभाव से निलबित कर दिया गया।
क्या है मामला
शिक्षिका श्रीमती मुक्ता चौकसे से प्राप्त जानकारी के अनुसार वे माध्यमिक शाला पलकी में पदस्थ है और उनके पति जिला न्यायालय डिंडोरी में पदस्थ है अतः उनके द्वारा पति पत्नी समायोजन नियम अन्तर्गत अपना स्थानांतरण डिंडोरी में किए जाने हेतु ऑनलाइन आवेदन किया था, जिसपर कार्यवाही करते हुए सहायक आयुक्त कार्यालय द्वारा उनका स्थानांतरण डिंडोरी न करके गणेशपुर माध्यमिक शाला में कर दिया गया। जिसपर शिक्षिका ने स्थानीय विधायक और प्रभारी मंत्री द्वारा अनुमोदित सूची में कन्या आश्रम अग्रेजी माध्यम डिंडोरी हेतु अपना नाम दिया गया किन्तु फिर भी उनका स्थानांतरण डिंडोरी न करते हुए सहायक आयुक्त कार्यालय द्वारा
कोई भी उचित कार्यवाही नहीं की गई तब उक्त शिक्षिका ने पूरे प्रकरण की शिकायत सी एम हेल्पलाइन में दर्ज करवा दी। जिसके जबाब में एसी डिंडोरी ने कहा कि स्थानीय विधायक की अनुशंसा पर उक्त शिक्षिका का तबादला डिंडोरी किया गया था किन्तु अंग्रेजी माध्यम कन्या आश्रम में पद रिक्त नहीं होने से उन्हें गणेशपुर में पदस्थ किया गया है जबकि वास्तविकता ये है कि उक्त शाला में आज भी माध्यमिक शिक्षक का पद खाली बताया जाता है और वहां प्राथमिक शिक्षक 2 को पदस्त किया गया है। इसके बाद भी अधिकारियों द्वारा सी एम हेल्पलाइन पर और जिला कलेक्टर को ये ग़लत जानकारी दी जाती रही है। इसके बाद सहायक आयुक्त द्वारा शिक्षिका को अस्थाई तौर पर एकलव्य आवासीय विद्यालय डिंडोरी में पदस्थ कर दिया गया और फिर उन पर दबाव बनाया जाने लगा कि वे सी एम हेल्पलाइन से अपनी शिकायत वापस ले ले।
शिक्षिका को कार्यालय में बुलाकर सहायक आयुक्त ने दी निलबन की धमकी
उक्त शिक्षिका को 12,03,2020 को सहायक आयुक्त ने कार्यालय में बुलाकर फिर अपनी शिकायत वापस लेने के लिए दबाव देते हुए कहा कि यदि आज शाम तक तुमने अपनी शिकायत वापस नहीं ली तो निलबित कर दिया जाएगा। इसकी लिखित जानकारी उक्त पीड़ित शिक्षिका ने 13,03,2020 को जिला कलेक्टर कार्यालय में भी की, उसके बाद भी कोई सुनवाई नहीं की गई और अंततः सहायक आयुक्त द्वारा इस शिक्षिका कोआदेश जारी कर
16.03.2020 को निलबित कर दिया गया। इसके पूर्व इस शिक्षिका के पति को भी सहायक आयुक्त द्वारा फोन पर ऐसी ही धमकी दी गई थी जिसकी आडियो रिकार्डिंग उनके पास उपलब्ध है।
सीएम हेल्पलाइन पर शासकीय कर्मचारी का शिकायत करना क्या सिविल सेवा आचरण का उलंघन है?
श्रीमती मुक्ता चौकसे के निलंबन आदेश में साफ तौर पर लिखा है कि उनके आवेदन पर विचार करते हुए उन्हें एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय डिंडोरी में पदस्थ किया गया है और उन्हें समझाइश दिए जाने के बाद भी उनके द्वारा शिकायत वापस नहीं ली गई और उच्च कार्यालय के आदेश/ निर्देश का पालन नहीं किया गया अतः उक्त कृत्य म प्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के प्रतिकूल होने के चलते तत्काल प्रभाव से निलबित किया जाता है।
यहां सवाल खड़ा होता है कि क्या कोई कर्मचारी विभाग द्वारा उसके साथ की जा रही पक्षपातपूर्ण कार्यवाही की शिकायत यदि सी एम हेल्पलाइन में करने का अधिकार नहीं रखता है? यदि ऐसा है तो उक्त शिक्षिका को तब ही निलबित किया जाना था जब उसके द्वारा शिकायत की गई थी? सहायक आयुक्त द्वारा जारी निलबन आदेश में ऐसे किसी पत्र का हवाला नहीं दिया गया है जिसका पालन शिक्षिका द्वारा नहीं किया गया हो, जाहिर तौर पर इस शिकायत को वापस लिए जाने हेतु सहायक द्वारा कोई लिखित आदेश शिक्षिका को नहीं दिया गया और केवल मौखिक समझाइश का हवाला देकर उनके विरूद्ध निलबन जैसी कार्यवाही की जाना जिले में चल रही अधिकारियों की तुगलकी फरमान जैसी सोच का नमूना है।
जानकारों की माने तो सिविल सेवा आचरण अंतर्गत उच्च अधिकारियों के उन आदेशो की अवहेलना नहीं की जा सकती जो कार्यों और विभागीय नियम व निर्देश हैं, जबकि पक्षपातपूर्ण और गलत कार्यवाहीओं की शिकायत करना किसी भी शासकीय कर्मचारी का व्यक्तिगत अधिकार है किसी शासकीय कर्मचारी द्वारा सीएम हेल्पलाइन पर की गई शिकायत को वापस लेने हेतु दबाव देना अथवा निलंबन की धमकी दिया जाना और निलंबित किया जाना अधिकारियों द्वारा अपने अधिकारों का बेजा उपयोग ही माना जा सकता है।
सहायक आयुक्त है शहर से बाहर
सहायक आयुक्त डिंडोरी से हमारे प्रतिनिधि द्वारा इस संदर्भ में चर्चा के प्रयास किए गए किन्तु कार्यालय में उनके न होने और शहर से बाहर होने की जानकारी पर उनसे फोन पर चर्चा करने की कोशिश कई बार की गई किंतु उनके द्वारा न्यायालय में व्यस्त होने के चलते चर्चा करना संभव नहीं हो पाया।