
शहपुरा जनपद पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव से पहले सियासी हलचल, सरपंच संघ की बैठक पर भी बवाल
प्रकाश मिश्रा की रिपोर्ट
जनपद सदस्यों ने लगाया दबाव और धमकी देने का आरोप, जाँच व कार्यवाही की माँग
जनपथ टुडे डिंडोरी 01 अक्टूबर- पंचायत शहपुरा की अध्यक्ष प्रियंका आर्मो के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 08 अक्टूबर 2025 को होने वाले मतदान से पूर्व सरगर्मी तेज हो गई है। इसी बीच सरपंच संघ शहपुरा के सचिव मनोज मार्को (सरपंच, ग्राम पंचायत देवगांव माल) द्वारा जनपद पंचायत सभाकक्ष में आयोजित बैठक विवादों में घिर गई है।
सरपंचों की बैठक बुलाने पर बवाल
सूत्रों के अनुसार, सरपंच संघ के सचिव ने “सरपंच संघ जनपद पंचायत शहपुरा” नामक व्हाट्सएप ग्रुप में सूचना प्रसारित कर 29 सितम्बर 2025 को प्रातः 11 बजे जनपद पंचायत सभाकक्ष में बैठक रखने की बात कही। बैठक का उद्देश्य अन्य मुद्दों के साथ-साथ अध्यक्ष के विरुद्ध लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा करना भी बताया गया।
विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि बैठक में सरपंचों से कहा गया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के जनपद सदस्यों पर दबाव डालें, उन्हें मतदान से रोकें और आवश्यकता पड़ने पर मारपीट तक करें। इसका उद्देश्य यह बताया गया कि 08 अक्टूबर को होने वाले अविश्वास प्रस्ताव में जनपद सदस्य मतदान न कर पाएं।
जनपद सदस्यों ने जताई आपत्ति
इस मामले को लेकर जनपद पंचायत शहपुरा के कई निर्वाचित सदस्यों ने गंभीर आपत्ति दर्ज की है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा और भय का वातावरण बनाने का प्रयास बताया है।
थाना प्रभारी व एसडीएम को सौंपा आवेदन
जनपद सदस्यों ने संयुक्त रूप से शिकायत आवेदन पत्र थाना प्रभारी शहपुरा एवं एसडीएम शहपुरा को सौंपा है। साथ ही इसकी प्रतिलिपि जिला कलेक्टर डिण्डौरी और पुलिस अधीक्षक डिण्डौरी को भी प्रेषित की गई है। शिकायत में 29 सितम्बर की बैठक की सीसीटीवी फुटेज संरक्षित कर जांच करने तथा दोषियों पर वैधानिक कार्यवाही की मांग की गई है।
शासकीय भवन में बैठक नियम विरुद्ध
जनपद सदस्यों ने यह भी प्रश्न उठाया है कि जब अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया और आचार संहिता प्रभावी है, तो जनपद पंचायत के शासकीय सभाकक्ष में इस प्रकार की बैठक आयोजित करने की अनुमति किसने दी?
जनपद पंचायत सभागार में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। शिकायतकर्ताओं ने कहा है कि फुटेज की जांच की जाए तो पूरी सच्चाई उजागर हो जाएगी।
सदस्यों ने चेतावनी दी है कि यदि 08 अक्टूबर को मतदान के दौरान किसी भी जनपद सदस्य को रोका जाता है या कोई अप्रिय घटना घटती है तो इसकी जिम्मेदारी सीधे तौर पर शासन-प्रशासन की होगी।