आखिर क्यों नहीं मिल रहा सड़क दुर्घटना में पीड़ितो को लाभ, कौन जिम्मेदार

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जनपथ टुडे डिंडोरी, 06 अक्टूबर (प्रकाश मिश्रा)-  जिले में सड़क दुर्घटनाओं में मृतकों और घायलों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाने के बाद भी सड़क दुर्घटनाओं में कमी होते दिखाई नहीं दे रही है। शासन की मनसा के अनुसार घटना में पीड़ितो अथवा परिजनों को सहायता राशि मुहैया कराए जाने का प्रावधान रखा गया है ताकि क्षति पूर्ति के माध्यम से पीड़ित परिवार एक बार फिर सामान्य जीवन जीने की राह मिल सके। किंतु प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के चलते क्षतिपूर्ति मामले में समय पर कारवाही न होने के कारण पीड़ितो को सहायता राशि उपलब्ध नहीं हो पा रही है। पुलिस से प्राप्त रिकॉर्ड के अनुसार, अज्ञात वाहनों की टक्कर से अब तक 16 लोगों की मौत और 11 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं लेकिन इनमें से किसी को भी योजना के अंतर्गत मिलने वाली सहायता राशि अभी तक नहीं मिल पाई है।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक, हिट एंड रन मामलों में पीड़ित या उनके परिजनों को दो माह के भीतर मुआवजा राशि प्रदान करना अनिवार्य है। इसके बावजूद जिले में इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। बताया जा रहा है कि इसका एक प्रमुख कारण पिछले एक वर्ष से सड़क सुरक्षा समिति की बैठक का न होना है।ज्ञात हो कि सड़क सुरक्षा समिति का अध्यक्ष पदेन कलेक्टर होता है।

पूर्व में इस योजना के तहत हिट एंड रन मामले में घायल होने पर ₹12,500 और मृत्यु की स्थिति में ₹25,000 की सहायता राशि दी जाती थी। लेकिन वर्ष 2022 में सरकार ने इस राशि को बढ़ाकर घायल को ₹50,000 तथा मृतक के परिजनों को ₹2 लाख करने का प्रावधान किया। योजना का लाभ पाने के लिए पीड़ित अथवा परिजनों द्वारा पुलिस में एफआईआर दर्ज कराना आवश्यक कर दिया है।

जिले में वाहनों की टक्कर मारकर भाग जाने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। मार्च 2023 से जून 2025 तक जिले में कुल 16 हिट एंड रन केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें 16 लोगों की मौत हुई है और 11 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं। जिसमें शहपुरा थाना क्षेत्र में 4, डिंडोरी और गाड़ासराई कोतवाली क्षेत्र में 3-3 तथा बजाग, शाहपुर और करंजिया थाना क्षेत्रों में 2-2 प्रकरण दर्ज हुए हैं।

हिट एंड रन केस के प्रावधानों के अनुसार, सड़क हादसे की तिथि से 30 दिनों तक अज्ञात वाहन की खोजबीन की जाती है। यदि वाहन का पता नहीं चलता है, तो पुलिस प्रकरण को संबंधित तहसीलदार को भेजती है। इसके बाद तहसीलदार द्वारा पटवारी से मौका पंचनामा तैयार करवाया जाता है, जिसे एसडीएम की अनुशंसा के आधार पर कलेक्टर न्यायालय को भेजा जाता है। वहां से मुआवजा राशि के लिए प्रकरण संबंधित बीमा कंपनी को प्रेषित किया जाता है।

योजना के तहत मृतक के आश्रित को ₹2 लाख तथा गंभीर घायल को ₹50,000 की राशि उपलब्ध कराई जाती है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रभावित पक्ष को दो माह के अंदर मुआवजा प्रदान करना आवश्यक है। लेकिन जिले में वर्ष 2023 से अब तक किसी भी प्रकरण पर मुआवजा राशि जारी नहीं की गई है जिसे लगभग 2 साल हो रहे है। यह स्थिति सरकारी तंत्र की गंभीर लापरवाही को उजागर करती है।

गौरतलब है कि हिट एंड रन मामलों में प्रभावित पक्ष को मुआवजा राशि मिलने में देरी का सबसे बड़ा कारण सड़क सुरक्षा समिति की बैठक का आहूत न होना भी है। कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित इस समिति में पुलिस अधीक्षक, जिला परिवहन अधिकारी, एसडीएम, नगर परिषद अधिकारी, रोड एजेंसी और यातायात पुलिस के अधिकारी शामिल होते हैं। इनकी मौजूदगी में प्रकरणों की समीक्षा और निराकरण किया जाता है, लेकिन पिछले एक वर्ष से बैठक नहीं होने के कारण पीड़ित पक्ष मुआवजा राशि से वंचित है। वर्षों बीत जाने के बाद भी पीड़ित लोगों को लाभ न मिल पाना यह साबित करती है कि योजनाएं ज़मीन पर लागू होने की बजाय कागज़ों में सीमित रह जाती हैं। यदि प्रशासन गंभीरता दिखाए और समय पर बैठकें आयोजित करे, तो हादसों के पीड़ितों को राहत और न्याय मिल सकता है।

इनका कहना है-

सड़क दुर्घटनाओं के मामलों में पुलिस प्रशासन द्वारा सभी जरूरी कार्यवाही समय रहते पूर्ण कर जिला प्रशासन को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेजा जा चुका है किन्तु प्रशासन द्वारा इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की गई है जिसके कारण पीड़ितों को अभी तक क्षतिपूर्ति राशि नहीं मिल पाई है।

 

                   सुभाष उइके                                                                यातायात प्रभारी डिंडोरी

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