निजी भवन में संचालित शासकीय स्कूल सरकारी दावों की खोल रहा पोल

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जनपथ टुडे डिंडोरी 11 अक्टूबर 2025 – डिंडोरी ज़िले में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था सवालों के घेरे में है। जर्जर हो चुके स्कूल भवनों को तो तोड़ दिया गया, लेकिन नए भवनों का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है। हालात ऐसे हैं कि कई स्कूल आज भी किराए के मकानों या ग्रामीणों के घरों में संचालित हो रहे हैं।

एक साल से बरामदे में संचालित हो रही है पाठशाला

तस्वीरें करंजिया विकासखंड के अमलडीह गांव की हैं — जहां प्राथमिक शाला पिछले एक साल से एक ग्रामीण के घर के बरामदे में संचालित हो रही है। इस स्कूल में पहली से पांचवी तक 22 बच्चे पढ़ते हैं। निजी भवन में संचालित हो रहा स्कूल विभागीय अधिकारियों की उदासीनता और सरकारी दावों की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है।

स्कूल के हेडमास्टर इंद्र पाल वर्मा का कहना है कि पुराना भवन पूरी तरह जर्जर हो गया था, जिसे शासन के आदेश पर डिस्मेंटल कर दिया गया। तब से स्कूल संचालन के लिए कोई वैकल्पिक भवन नहीं मिला, लिहाजा एक ग्रामीण ने पाठशाला के लिए अपने घर को ही दे दिया हैं।वहीं ग्रामीण का कहना है कि बच्चों का भविष्य अंधकार में न जाए, इसलिए उसने अपना घर स्कूल के लिए दे दिया। ग्रामीण ने शासन-प्रशासन से गुहार लगाई हैं कि जल्द से जल्द नया स्कूल भवन तैयार कराया जाए।

डिंडोरी ज़िले में ऐसे सैकड़ों विद्यालय हैं जो या तो जर्जर स्थिति में हैं या फिर भवन विहीन हैं। शिक्षा विभाग की अनदेखी किसी बड़ी घटना को न्योता दे सकती है।शिक्षा विभाग के अधिकारी का कहना है कि भवनों की व्यवस्था जल्द की जाएगी।

लेकिन बड़ा सवाल अब भी वही है ..जब बच्चों की पढ़ाई ऐसे हालात में होगी, तो उनका भविष्य कैसे उज्ज्वल होगा?सरकारी दावे चाहे जितने भी किए जाएं, लेकिन ज़मीनी हकीकत ये बताती है कि शिक्षा व्यवस्था सुधार की नहीं, सहारे की मोहताज है।

इनका कहना है

करंजिया विकासखंड के अंतर्गत और भी स्कूल भवन विहीन है पिछले सत्र में जर्जर भवनों को डिस्मेंटल किया गया था उसके बाद वार्षिकी योजना में भवनों के निर्माण की स्वीकृति विभागीय स्तर पर चाही गई है । जैसे ही आवंटन स्वीकृति आती है भवनों के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्थाओं के अनुसार विद्यालयों का संचालन हो रहा है।

अजय राय
बीआरसी करंजिया

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