कांग्रेस को एक और झटका प्रदेश प्रवक्ता संजय सिंह समर्थकों सहित बीजेपी में शामिल

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जनपथ टुडे, भोपाल, 27 अक्टूबर 2020, प्रदेश में कांग्रेस लाख दावे कर ले किंतु अन्य पार्टियों द्वारा उसकी नेतृत्व क्षमता पर बार-बार सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उसका कारण है पार्टी के लोगों का कांग्रेस छोड़कर अन्य दलों की तरफ रुख करना। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के लोगों के टूटने का सिलसिला पिछले फरवरी से जो चालू हुआ है आज भी जारी है, पिछले दिनों जहां दमोह के कांग्रेस विधायक रहे राहुल सिंह लोधी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया जिसके बाद एक बार फिर मध्य प्रदेश कांग्रेस को आज बड़ा झटका लगा है। अब मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता और बीना नगरपालिका के नेता प्रतिपक्ष संजय सिंह ने कांग्रेस छोड़कर आज बीजेपी का दामन थाम लिया है।

दरअसल मंगलवार को बीना नगरपालिका के नेता प्रतिपक्ष संजय सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है और इस्तीफा देने के तुरंत बाद ही संजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के समक्ष अपने समर्थकों के साथ भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने समर्थकों को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलाई।

पिछले दिनों दमोह से विधायक रहे राहुल सिंह लोधी ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के एक घंटे बाद ही भाजपा का हाथ थाम लिया था इसके बाद कांग्रेस एक बार भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हो गई थी और बीजेपी पर खरीद फरोख्त का इल्जाम लगाया था इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री ने दावे किए थे कि कांग्रेस के कई नेताओं को बीजेपी से फोन आ रहे हैं उन्हें पार्टी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। अब एक बार कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता और नगर पालिका के नेता प्रतिपक्ष के बीजेपी में शामिल होने के बाद कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। जहां कांग्रेस के 24 विधायक पार्टी से जा चुके है वहीं बड़ी संख्या में उनके समर्थक भी कांग्रेस छोड़ चुके है जिसकी क्षति पूर्ति फिलहाल पार्टी में संभव नहीं है कांग्रेस के नेता कितनी भी बड़ी बड़ी बातें करे पर पार्टी कार्यकर्ता और समर्थकों का मनोबल कमजोर हो रहा है वहीं ये भी दिखाई देने लगा है कि कांग्रेस में संगठन का कोई अस्तित्व है न ही पार्टी स्तर पर कोई पार्टी को बचाने की मशक्कत करता दिखाई दे रहा है और संगठन सक्षम न होने से लोग उपेक्षित है, पार्टी छोड़ रहे है। भले की कांग्रेस का बीजेपी पर लोगो को बहला कर ले जाने या खरीद फरोख्त के आरोप कुछ हद तक सही हो पर कांग्रेस की अंदरूनी दशा और दिशा बेहद कमजोर समझ आ रही है जिसके चलते फिलहाल उपचुनाव के परिणामों से कांग्रेस सत्ता के आस पास तक भी पहुंचती नहीं दिख रही है। कांग्रेस के लिए सत्ता तो बहुत दूर की बात है संकट तो संगठन पर भी दिख रहा है।

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