एसडीएम के आदेश की अवहेलना, नहीं हटाए गए सेल्समेंन

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अविनाश टाडिया :-

जिला खाद्य अधिकारी का गैर जिम्मेदाराना बयान

प्रशासन पर भारी पड़ रहे सेल्समैन

 

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 25 अक्टूबर 2020, जिले में वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों को दरकिनार रख विभाग मनमानी पर उतारू है। ताजा मामला खाद्य विभाग का है जहां जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी ने अनुविभागीय अधिकारी डिंडोरी के आदेश की खुली अवहेलना की है, जो कि शासकीय उचित मूल्य दुकान के विक्रेताओं को पद से पृथक करने संबंधी आदेश से जुड़ा है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम 2013 के अंतर्गत व्यवस्था के तहत शासन के निर्देशानुसार हितग्राहियों की जानकारी नियमानुसार दर्ज करनी थी, लेकिन कुछ विक्रेताओं द्वारा कार्य में लापरवाही बरतने पर अनुविभागीय अधिकारी राजस्व डिंडोरी ने 3 अक्टूबर 2020 को सभी लापरवाह विक्रेताओं को फौरन पद से पृथक करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन आदेश पर अमल नहीं किया गया। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों जिला खाद्य अधिकारी ने बर्खास्त विक्रेताओं से मिलीभगत कर एसडीएम के आदेश की धज्जियां उड़ा दी। आदेश जारी होने के 22 दिन बाद भी पद से प्रथक किए गए विक्रेताओं द्वारा दुकानों का खुलेआम संचालन किया जा रहा है, इससे स्पष्ट होता है कि डीएसओ और सेल्समैन की जुगलबंदी के समक्ष एसडीएम के आदेश बौने साबित हो रहे हैं। वही पूरे मामले पर जिला खाद्य अधिकारी आर.के. सिंह ने बेतुका तर्क दिया है कि पृथक सेल्समैन ने अधूरी जानकारी संबंधी कार्य पूरा कर लिया है, लिहाजा उनसे कार्य संपादित कराया जा रहा है। इन विक्रेताओं की बहाली संबंधी प्रक्रिया अभी न तो शुरू हुई है न ही अब तक इस पर कोई स्थगन लिया गया है तब अनुविभागीय अधिकारी के आदेश के विरूद्ध आखिर खाद्य अधिकारी ने मन से निर्णय कैसे ले लिया, बड़ा सवाल है? यदि इन अधिकारियों को अपनी सुविधाओं और सहूलियत से ही कार्य करने की अनुमति है तो फिर शासन और प्रशासन की जरूरत ही क्या है?

जिला मुख्यालय में ही पद से पृथक सेल्समैन द्वारा प्रशासन के आदेश का पालन नहीं किया गया

“वन नेशन वन राशन कार्ड” केंद्र सरकार की महती योजना है जिसे समय पर पूरा करने हेतु जिला प्रशासन से लेकर प्रदेश शासन तक पूरी गंभीता से काम कर रहा है। किंतु खाद्य विभाग, लैंप्स और सेल्समैनों को इस से कोई लेना-देना नहीं है। विगत दिनों लापरवाही के चलते जिला प्रशासन के निर्देश पर अनुविभागीय अधिकारी द्वारा की गई कार्यवाही पर सेल्समैनों को पद से प्रथक किए जाने के जारी आदेश में समिति प्रबंधकों को संस्था का प्रभार तत्काल दूसरे विक्रेताओं को देते हुए तत्काल फीडिग करवाने हेतु निर्देशित किया गया था। आदेश की प्रतिलिपि संचालक खाद नागरिक आपूर्ति, भोपाल से लेकर संबंधित संस्था प्रबंधको और सेल्समैन को भी भेजी गई थी, इसके बाद भी 23 अक्टूबर को सुबखार स्थित शासकीय उचित मूल्य दुकान का संचालन श्रीमती ज्योति गौतम के द्वारा ही किया जाता देखा गया और इस पर उनका कहना था कि उन्हें पद से पृथक नहीं किया गया है और हमने अपना आवेदन दे दिया है तथा प्रबंधक की अनुमति से दुकान का संचालन किया जा रहा हैं।

समिति प्रबंधक ने फोन पर मिलकर जानकारी देने की बात कहीं किंतु फिर वे उपलब्ध नहीं हुए। यहां गौरतलब है कि विक्रेता समिति प्रबंधक की पुत्री है संभवतः इस के चलते भी यहां ये प्रक्रिया अपनाई जा रही है और प्रशासन के आदेश को खुली चुनौती दी जा रही है। अनु विभागीय अधिकारी के आदेश और केंद्र शासन की योजना में की गई लापरवाही के बाद भी जिला खाद्य अधिकारी सेल्समैन के पक्ष में दिखाई देते हैं उनका कहना है कि सेल्समैन ने फीडिंग का कार्य पूर्ण कर लिया है और उसकी पद पर वापसी हेतु अपील की गई है। ऐसे मामलों के चलते प्रशासन के आदेशों और कार्रवाई पर जनता कितना भरोसा करें, प्रशासनिक नियंत्रण पर सवाल खड़े होते हैं? वहीं केंद्र और राज्य शासन की लोक लुभावन योजनाओं की भी पोल खुलती है। सरकार गरीब, मजबूर और मजदूरों के हित में कितनी भी बड़ी बड़ी बातें करे पर जमीनी हकीकत ये ही है की शासकीय उचित मूल्य के सेल्समैन और खाद्य विभाग के अधिकारियों के चंगुल से उनको मुक्ति नहीं मिलने वाली।

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