चर्चा राजनीति की/ कमलनाथ मध्यप्रदेश छोड़कर दिल्ली वापस जाएंगे!

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कांग्रेस ने अपने दो बड़े और कद्दावर नेताओं अहमद पटेल और तरुण गोगोई को खो दिया, दोनों नेता तमाम उतार चढ़ाव के दौरान हमेशा मजबूती से पार्टी के साथ खड़े रहे कोरोना से दोनों ही नेताओं का दुखद निधन हो गया।

जनपथ टुडे, सन 2018 में केंद्र की 40 साल की राजनीति का अनुभव छोड़कर कमलनाथ राज्य स्तर की राजनीति करने मध्यप्रदेश आए थे। किंतु यहां 15 महीने की सत्ता के बाद हासिल आई वहीं कांग्रेस की स्थिति और सत्ता पर काबिज भाजपा और अब कांग्रेस के एक बड़े और जवाबदार नेता अहमद पटेल जो दिल्ली की राजनीति में सक्रिय थे उनका अचानक निधन हो जाना कमलनाथ की मध्य प्रदेश से दिल्ली वापसी की मुख्य वजह बनता देखा जा रहा है। अहमद पटेल के चले जाने के बाद हालात बदल गए हैं माना जा रहा है कमलनाथ दिल्ली वापस जाएंगे, क्योंकि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी से ज्यादा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को और खासकर सोनिया गांधी को पुराने और विश्वास पात्र व्यक्ति की आवश्यकता होगी। अहमद पटेल की जगह लेने वाला गांधी परिवार का नजदीकी होना जरूरी है, कांग्रेस अध्यक्ष ने पिछले साल 1 दिसंबर को अहमद पटेल के कामकाज में हाथ बंटाने के लिए पंजाब सरकार के मंत्री विजय सिंगला को उनके साथ सचिव नियुक्त किया था पर मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी जाना है। कोषाध्यक्ष पद के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, केसी वेणुगोपाल और गोविंद मिलिंद देवड़ा सहित कई नाम है। परंतु अहमद पटेल की जगह पर बहुत ही भरोसे का गांधी परिवार का नजदीकी भी होना जरूरी है।

केसी वेणुगोपाल संगठन के आदमी हैं और कमलनाथ पुराने मैनेजर

केसी वेणुगोपाल वर्तमान महासचिव के पद पर हैं और बताया जाता है कि उनकी इमानदारी का लोहा राहुल गांधी भी मानते हैं। लेकिन उन्हें संगठन के इतने महत्वपूर्ण पद से मुक्त नहीं किया जा सकता, पार्टी को उनकी जरूरत है दूसरे नंबर पर कमलनाथ का नाम आता है कमलनाथ वरिष्ठ हैं गांधी परिवार के करीबी भी, सभी गुटों के नेताओं को साथ लेकर चलने की की कला में निपुण है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि फिलहाल कमलनाथ के पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है, मप्र में फिलहाल कोई बड़ी राजनैतिक चुनौती या चुनाव नहीं है वहीं अहमद पटेल के जाने के बाद पार्टी के लिए महत्वपूर्ण निर्णय और काम काज सम्हालने के लिए किसी वरिष्ठ और करीबी व्यक्ति की जरूरत है। उल्लेखनीय है गांधी परिवार के बाद पार्टी में दूसरे स्थान पर खड़े होने वाले विश्वसनीय व्यक्तियों की संख्या अधिक नहीं है और इस समय जब कांग्रेस राजनैतिक संघर्ष के दौर से गुजर रही तब दिल्ली में पार्टी के बहुत से जरूरी मसलों पर एक अनुभवी और सोनिया गांधी के करीबी व्यक्ति की जरूरत है जो जिम्मेदारी सम्हाल सके और फिलहाल इस जरूरत के फ्रेम पर कमलनाथ का चेहरा ही सबसे अधिक फिट माना जा रहा है।

मिलिंद देवड़ा और कमलनाथ

चर्चा है कि अब यदि कमलनाथ गांधी परिवार और दिल्ली की राजनीति के बजाय मध्य प्रदेश को चुनते हैं तो कोषाध्यक्ष के पद पर मिलिंद देवड़ा को बिठाया जा सकता है जो कमलनाथ के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसी स्थिति में नकुल नाथ के लिए मध्यप्रदेश में जमीन तैयार करना तो दूर की बात कांग्रेस पार्टी से अपने रिटायरमेंट को रोकना कमलनाथ के लिए चुनौतीपूर्ण हो जाएगा। जबकि यदि कमलनाथ अर्जुन सिंह की तरह दिल्ली चले जाते हैं तो मध्यप्रदेश में नकुल नाथ के संभावना बन भी सकती हैं। राजनीति के जानकारों की माने तो एमपी में कमलनाथ के जिस जादू की उम्मीद थी वह नहीं चल पाया वहीं सत्ता सम्हालने के बाद अंदर ही अंदर उनके बहुत से करीबी नाराज भी है जो आगे भी उनके लिए परेशानी का कारण हो सकते है वहीं सरकार गिरने और उप चुनाव में नाथ के नेतृत्व हुई हार के बाद प्रदेश में कमान किसी और युवा नेता को सौंपने को लेकर भी बात उठने लगी है और दूसरी ओर कमलनाथ की दिल्ली में बढ़ी दरकार को लेकर अब यह चर्चा जोरों पर है कि कमलनाथ भोपाल से दिल्ली रवाना हो सकते है।

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