उज्जैन में महिला अधिकारी सस्पेंड, 41 लाख की जमीन पति के ड्राइवर को 22 लाख में नीलाम कर दी

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जनपथ टुडे,1 दिसंबर 2020, उज्जैन मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में कलेक्टर गाइडलाइन को धता बताते हुए 41 लाख की जमीन मात्र 12 लाख में अपने पति रंजीत कर्नाल के ड्राइवर प्रेमकुमार दांगी को नीलाम करना तत्कालीन उज्जैन नायाब तहसीलदार दीपाली जाधव वर्तमान में देवास में तहसीलदार को महंगा पड़ गया। लोकायुक्त पुलिस की चार्जशीट के बाद शासन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।रजिस्ट्रार ने जब आपत्ति जताई तो दीपाली ने अपने ओहदे का प्रभाव दिखाते हुए रजिस्टर पर दबाव बनाकर रजिस्ट्ररी करा दी थी।

देवास तहसीलदार दीपाली जाधव सस्पेंड

दरअसल उज्जैन तहसील के बमोरा निवासी नाथूलाल ने अपनी 3.1 कीस हेक्टेयर जमीन को बंधक रखकर बैंक से 5 लाख का लोन लिया था। लोन नहीं चुका पाने पर वर्ष 2014 में नाथू लाल की जमीन नीलाम हो गई। तत्कालीन नायब तहसीलदार दीपाली जाधव ने उक्त भूमि को अपने पति रंजीत कर्नाल के ड्राइवर प्रेम कुमार दांगी के पक्ष में महज 12 लाख 11 हजार में नीलाम कर दी जबकि उस समय कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार उस भूमि की कीमत 41 हजार 60 लाख रुपए थी। शिकायत होने पर लोकायुक्त पुलिस उज्जैन ने पूरे मामले की जांच की।

दीपाली जाधव पर नीलामी में घपला करने का आरोप लोकायुक्त पुलिस इंस्पेक्टर बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि नियमों को ताक पर रखकर नायाब तहसीलदार दीपाली ने जमीन की नीलामी की थी इसमें उसके पति रंजीत कर्नाल ने भी साथ दिया। जांच में पता चला कि नीलामी में प्रेमकुमार दांगी के साथ उज्जैन के अशोक नगर निवासी सहदेव और नीमनवासा के रहने वाले रमेश गुर्जर ने बोली लगाई थी प्रेम कुमार की बोली 12.11 लाख पर छूटी। प्रेमकुमार ने नीलामी राशि को जमा करने के लिए चेक दिया था लेकिन उसने उसी समय आवेदन देकर चेक वापस ले लिया और उसी दिन 3 बजे तक सरकारी खाते में 12.11 लाख रुपए कैश जमा कर दिया।

दीपाली जाधव ने पति रंजीत कर्नाल के साथ मिलकर किया घपला

जांच में पता चला की प्रेम कुमार के खाते में उस समय इतनी धनराशि नहीं थी तो वह इतना कैश कहां से लाया। लोकायुक्त पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि यह सब मैडम (दीपाली) और साहब रंजीत का करा-धरा है। साहब ने ही पैसों का इंतजाम किया था इंस्पेक्टर बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि रंजीत ने अपने इंदौर के पते पर प्रेम कुमार को किराएदार दिखाया था। उसी पते पर प्रेम कुमार का बैंक खाता भी खुलवाया था। प्रेम कुमार के पक्ष में नीलामी करवाने के बाद जमीन की रजिस्ट्री में रंजीत गवाह भी बना जबकि यह नियमों के विरुद्ध था। नीलामी में पीठासीन अधिकारी का कोई सगा संबंधी शामिल नहीं हो सकता है।

जांच अधिकारी बसंत श्रीवास्तव ने बताया कि मात्र 12 लाख में नीलामी करने को लेकर तत्कालीन रजिस्ट्रार ने प्रेम कुमार के पक्ष में जमीन की रजिस्ट्री करने से मना कर दिया था। तब दीपाली जाधव ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर रजिस्ट्री करने का दबाव बनाया। नीलामी में 3 लोग आए ही नहीं थे। प्रेम कुमार के साथ बोली लगाने वाले सहदेव और रमेश गुर्जर ने लोकायुक्त पुलिस को दिए अपने बयान में बताया कि उन्हें ना तो नीलामी के बारे में पता था और ना ही वे बोली लगाने आए थे। पूरी नीलामी सिर्फ कागजों में की गई। लोकायुक्त पुलिस के मुताबिक जांच के दौरान बयान देने के लिए तत्कालीन नायब तहसीलदार दीपाली जाधव को नोटिस भेजा गया था, लेकिन वह नहीं आई। उधर, प्रेम कुमार दांगी भी बयान देने के बाद से फरार है उसकी फेरारी में ही इसी साल 15 जनवरी को कोर्ट में चालान पेश किया गया।

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