पी.एच.ई.में हैण्डपम्प मेंटीनेश के नाम पर किया गया लाखों का फर्जीवाड़ा है

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पी.एच.ई. में फर्जी बिल लगाकर ठेकेदार ले रहा भुगतान

मृतक व्यक्ति और अनपढ़ लोगों के पंचनामों पर  हस्ताक्षर

जनपथ टुडे, डिण्डौरी, 20 दिसंबर 2020, पी.एच.ई. विभाग में ठेकेदारों की मनमानी चरम पर है। विभागीय मिली भगत के चलते ठेकेदार फर्जी बिल लगाकर भारी भरकम भुगतान ले रहे है और विभाग की उदासीनता साफ जाहिर होती है। संलग्न बिल व ठेकेदार द्वारा कराये गये कार्यो का सत्यापन तक नही कराया जाता बल्कि ठेकेदार से कुछ कमीशन की आस में बिलों को पास कर भुगतान कर दिया जाता है।

ठेकेदार की मनमानी का नमूना देखने मिला समनापुर विकास खण्ड अन्तर्गत ग्राम छांटा, राम्हेपुर, व रहंगी में जहां हैण्डपम्प मेंटीनेश के नाम के फर्जी बिल विभाग में लगाये गये और साथ में संलग्न पंचनामा जो कि सुधार कार्य के बाद उपस्थित ग्रामजनों द्वारा हस्ताक्षर करा कर विभाग में जमा किए जाते है उन पर फर्जी हस्ताक्षर होने की जानकारी मिल रही है। छांटा गांव में हैण्डपम्प सुधार कार्य के बाद पंचनामा तैयार किया गया जिसमें अमरसिंह नामक व्यक्ति के हस्ताक्षर किये गये इस संबंध में पड़ताल की गई तो गांव में अमरसिह नाम के दो व्यक्ति निवासरत है लेकिन दोनों निरक्षर है और हस्ताक्षर की वजाए अंगूठा लगाते है किन्तु ठेकेदार द्वारा जमा पंचनामे में अमर सिंह के हस्ताक्षर है। हद तो तब हो गई जब राम्हेपुर के बैगान टोला में स्थित हैण्डपम्प मरम्मत के संबंध में ग्रामींणों से जानकारी ली गई तो रामसिंह बैगा की बाड़ी में विगत 5 वर्ष पूर्व पेयजल हेतु हैण्डपम्प स्थापित किया गया था तब से विभाग व ठेेकेदार द्वारा कोई भी मरम्मत कार्य नही कराया गया, जबकि ठेकेदार द्वारा माह अगस्त 2020 में सुधार कार्य का बिल व पंचनामा प्रस्तुत किया गया जिसमें मौके पर हस्ताक्षर रामसिंह बैगा के दर्शाये गये है। जबकि पड़ताल करने में यह बात सामने आई कि हैण्डपम्प उत्खनन के लगभग 2 साल पूर्व ही रामसिंह बैगा की मृत्यु हो चुकी है इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पी.एच.ई.विभाग के द्वारा ठेकेदार पर अंधा विश्वास कर मृतक व्यक्ति के हस्ताक्षर वाला पंचनामा स्वीकार किए जाने के पीछे लोगों का आरोप है कि ठेकेदार द्वारा बिना काम किए फर्जी पंचनामा और बिलों का भुगतान हमेशा से होता रहा है और लाखों रुपयों के भुगतान के बाद भी हैंड पम्प का सुधार नहीं किया जाता और ठेकेदार के द्वारा लगाए गए बिलों और पंचनामे की जांच तक विभाग द्वारा नहीं किए जाते बल्कि सांठगांठ के चलते आंख बन्द कर कमीशनखोरी के चलते भुगतान किए जाते रहे है, जबकि विभाग के मैदानी अमले के द्वारा भी सत्यापन किया जाना जरूरी है।

कुछ इसी तरह का आलम रहंगी में भी देखने मिला जहां पेयजल व्यवस्था से जूझ रहे ग्रामींणों ने बंद पडे हैण्डपम्प को एक निजी मिस्त्री से दुरूस्त कराया लेकिन विभाग ने ठेकेदार द्वारा विभाग में मरम्मत का बिल प्रस्तुत किया गया जिसे सही मानते हुए भुगतान कर दिया गया।

पी.एच.ई. विभाग पर कुछ महीने पहिले से हैण्डपम्प मेंटीनेश के नाम पर ठेकेदार को लाखों रू. का भुगतान कर शासन को लगाये जा रहे चूने के संबंध में लगातार चर्चाओं में आ रहा था जिसमें पी.एच.ई.विभाग के अधिकारी और ठेकेदार की मिली भगत से ठेकेदार को मालामाल किये जाने के आरोप लगते रहे है। क्षेत्र में जाकर पडताल करने पर इस बात पर ठप्पा लग गया कि कहीं न कहीं विभाग अपने जिम्मेदारी से मुंह मोडकर ठेकेदार को फायदा पहुंचा रहा है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस हैण्डपम्प मेंटीनेश के नाम पर किये जा रहे भ्रष्टाचार में क्या कार्यवाही करता है। ठेकेदार द्वारा संलग्न पंचनामे की जांच करवाकर विभाग के अधिकारी फर्जीवाड़े के आरोप में ठेकेदार के विरूद्ध अपराध दर्ज करवाते है या फिर जांच के नाम पर सिर्फ भुगतान रोका जाता है।गौरतलब है कि जिले में हैंड पम्प सुधार कार्य हेतु और श्रमिक उपलब्ध करवाने हेतु प्रतिवर्ष लाखों रुपए का कार्य ठेके पर दिया जाता है और विभाग इसका भुगतान ठेकेदार को करता है। किन्तु फिर भी जिले में हैंडपंप और नल जल योजना में सुधार की शिकायतों का निराकरण नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जल आपूर्ति नहीं हो पाती किन्तु विभाग आमजन की समस्यायों से बेखबर सिर्फ ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने में अधिक रुचि दिखाता है जिसका उदाहरण है अपने चहेतों को उपकृत करने, कमीशनखोरी के चलते पिछले दो वर्षो से श्रमिक आपूर्ति बिना टेंडर के ही करवाए जाने का मामला जो कि चर्चा में रहा है। जिस पर अब तक विभाग के अधिकारियों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नहीं की गई है।

कार्यपालन यंत्री ने दिया कार्यवाही का आश्वासन

उक्त संबंध में हमारे प्रतिनिधि ने पी. एच. ई. विभाग के कार्यपालन यंत्री से चर्चा की तो उनका कहना था कि यदि इस तरह की जानकारी सही पाई जाती है तो ठेकेदार के विरूद्ध कार्यवाही की जावेगी।

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