एक्ट्रो सिटी एक्ट में अग्रिम जमानत मिली, जिले के मेहंदवानी का मामला
जन-पथ टुडे, डिंडोरी, 20 दिसंबर 2020, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर ने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए एक्ट्रो सिटी एक्ट के आरोपियों को अग्रिम जमानत का लाभ दिया है डिंडोरी जिले के मेंहदवानी थाना अंतर्गत सारस डोली में शमशान भूमि पर कब्रों की खुदाई के आरोप में आरोपियों के विरुद्ध अपराध क्रमांक 151 / 2020 के तहत 297 /34 और एक्ट्रो सिटी एक्ट 3(A) (ZA) (A) के की धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध किया गया था। जिस पर सत्र न्यायालय ने अग्रिम जमानत का आवेदन खारिज कर दिया था जिस पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में क्रिमिनल अपील 5451 / 2020 प्रस्तुत की गई थी जिस पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने माना की आरोपियों के विरुद्ध उक्त धाराओं के प्रावधान आकृष्ट नहीं होते हैं और आरोपियों को 30 – 30 हज़ार के पर्सनल बांड पर जमानत का लाभ दिया गया ज्ञातव्य है कि डिंडोरी जिला आदिवासी बाहुल्य जिला है और एक्ट्रो सिटी एक्ट को लेकर अक्सर ऐसी चर्चाएं होती रहती है की पुलिस गंभीरता से अन्वेषण करने के स्थान पर जल्दबाजी में एक्ट्रो सिटी एक्ट की धाराएं लगा देती है, जो न्यायालय में कमजोर साबित होती हैं और अभियोजन उन्हें साबित नहीं कर पाता है आरोपियों की ओर से पैरवी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता मध्यप्रदेश हाईकोर्ट बार के उपाध्यक्ष श्री परितोष त्रिवेदी ने की।
यह डिंडौरी का पहला केस है, जिसमें एट्रोसिटी एक्ट के किसी आरोपी को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत का लाभ मिला है। कोर्ट में अपीलकर्ताओं ने पक्ष रखा कि उन्हाेंने किसी भी समुदाय विशेष की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई है, वह निर्दोष हैं और उन्हें झूठा फंसाया गया है। दरअसल, श्मशान भूमि पर पंचायत के निर्देश पर उनकी JCB मशीन को सरकारी काम में लगाया गया था। अपीलकर्ताओं ने कोर्ट में ग्राम पंचायत के आदेश का दस्तावेज भी प्रस्तुत किया। कोर्ट ने फैसले में कहा कि रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों और सामग्रियों की जांच से स्पष्ट है कि अपीलकर्ता पंचायत के निर्देशों पर सरकारी काम कर रहे थे। उन्होंने जान-बूझकर श्मशान भूमि में कब्रों को क्षतिग्रस्त नहीं किया। जस्टिस पालो ने आरोपियों को जमानत देते हुए निर्देशित किया कि वह कोड ऑफ क्रिमिनल प्राेसिजर की धारा 438 (2) का पालन और जांच अधिकारियों को अपेक्षित सहयोग प्रदान करेंगे। अपीलकर्ताओं की ओर से एडवोकेट पारिताेष त्रिवेदी और प्रतिवादी पक्ष से पैनल लॉयर निलिनी गर्ग मौजूद रहीं। कोर्ट में निर्णय 18 दिसंबर को सुनाया।