मध्य प्रदेश के खाली खजाने पर एक और चोट
डिन्डोरी – जनपथ टुडे , 08,02,2020
इन कंपनियों को हुआ इतने हज़ार करोड़ का घाटा
इस साल मध्य प्रदेश की पावर कंपनियों को 7 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ, वित्तीय वर्ष 2018-19 में एमपी की बिजली कंपनियों ने बड़ा घाटा दर्शाया है. नियामक आयोग में दायर ट्रू अप याचिका में बताया गया है कि इस साल कंपनियों को 7053 करोड़ का घाटा हुआ है|
महंगे बिलों से आम उपभोक्ताओं को बचाने का दावा कर रही प्रदेश सरकार बिजली कंपनियों को लग रहे घाटे के झटके से नहीं बचा पा रही है. पहले ही चार वित्तीय वर्षों को लेकर 24888 करोड़ के भारी-भरकम घाटे को लेकर अलग-अलग ट्रू अप याचिकाएं नियामक आयोग के समक्ष दायर कर दी गई हैं. इन याचिकाओं पर सुनवाई भी पूरी हो गई है. मध्य प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों का घाटा लगातार बढ़ता ही जा रहा है|
साल दर साल बढ़ता जा रहा बिजली कंपनियों का घाटा
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साल 2014-15 में 5156.88 करोड़ रुपयों का घाटा
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साल 2015-16 में 7156.94 करोड़ रुपयों का घाटा
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साल 2016-17 में 7247.55 करोड़ रुपयों का घाटा
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साल 2017-18 में 5327.54 करोड़ रुपयों का घाटा
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साल 2018-19 में 7053 करोड़ रुपयों का घाटा बिजली कंपनियों को हुआ है
साल 2014 से अब तक एमपी की बिजली कंपनियों को करीब 32000 करोड़ का घाटा हो चुका है|
बिजली कंपनियों को हो रहे इस घाटे की भरपाई सरकार कैसे करती है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन सरकार चाहे तो वह प्रदेश में खुद के स्त्रोतो की बदौलत इतनी बिजली बना सकती है कि प्रदेश के उपभोक्ताओं को दिल्ली से भी सस्ती बिजली मिल सके. मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के रिटायर्ड एडिशनल चीफ इंजीनियर की मानें तो वर्तमान में प्रदेश सरकार के स्वयं के संसाधन इतने मजबूत हैं कि वह खुद 10000 मेगावाट से ज्यादा की क्षमता की बिजली बना सकती है. अगर बिजली बनाने के स्त्रोतों की बात करें तो मध्य प्रदेश पावर जेनरेटिंग कंपनी के विद्युत ताप गृह याने थर्मल प्लांट में 5400 मेगावाट बिजली बनाई जा सकती है, जबकि हाइड्रो एनर्जी की क्षमता 917 मेगावाट है. वहीं इंदिरा सागर सरदार सरोवर बांध और अन्य स्रोतों से 2400 मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता सरकार के पास मौजूद है|