मड़ई में झण्डा मुण्डा का खेल
डिन्डोरी – जनपथ टुडे, 08.02.2020
सट्टेबाज लोगो को आखो में धूल,प्रशासन की आंखो में पट्टी बांध के कर रहे है मोटी कमाई
डिण्डौरी:- जिले में धान कटाई-मिंजाई का काम खत्म होने के बाद शहरी और ग्रामीण अंचलों में मड़ई मेलों का दौर शुरू हो जाता है। जिले के ग्रामीण अंचलों में अपनी अलग सांस्कृतिक पहचान लिए इन मेलों का आज भी जम कर आनन्द उठाया जाता है। लोग साल में एक बार लगने वाली मड़ई में जहा खरीद फरोख्त करते है वहीं इस अवसर पर नाते रिश्तेदार और कई बिछड़े लोगो से मुलाकात का मौका भी यही होता है।
वहीं मड़ई में खुलेआम झण्डा मुण्डा का खेल खुल कर चलता है एक तरह का जुआ होता है। जोकि लोगों से दाव लगवाकर वसूला जाता है, सट्टे और जुए की तर्ज पर होने वाला ये खेल सिर्फ लोगो को लूटने का तरीका है जोकि बिना अनुमति के खुले आम मड़ई में लोगों को लुभाता है, बुजुर्गो से लेकर बच्चे भी इसके चक्कर में पड़कर मेहनत की कमाई लुटा रहे हैं। सट्टा का कारोबार पूरी तरह फल-फूल चुका है, अब जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में मड़ई मेलों के आड़ में झण्डा मुण्डा का खेल खुले आम चल रहा है। जिसका ताजा उदाहरण अमरपुर विकासखंड के ग्राम धनवासी में देखा गया है। चौकी से महज कुछ ही दूरी पर इसका खेल हो रहा था । पुलिस भी यहां तैनात होने के बाद भी ये अवैध खेल खुले आम खिलाया जाता रहा । इस जुआ पर कार्रवाई नहीं होने से लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से इन दिनों यह खेल आम हो गया है। इससे पहले कभी हावी नहीं हुआ था।
ग्राम पंचायतों के साथ अन्य क्षेत्रों में सट्टा का खेल खूब चल रहा है। चौक-चौराहों के साथ गलियों में भी ओपन सट्टा लिखते हुए देखे जा सकते हैं। इधर मेला मड़ई और बाजारों के अलावा आए दिन साप्ताहिक बाजार एवं मड़ई मेले में जुआरियों के ठिकाने भी जगह जगह नज़र आते है।
लूट रहे भोले भाले ग्रामीण
जिस प्रकार से ग्रामीण क्षेत्र में यह कारोबार बढ़ रहा है, भोले -भाले गांवों वालों के लिए बेहद नुकसानदायक है, लोग एक रूपए के जगह आठ गुना की लालच में इसमें लिफ्त होते जा रहे है। यह दौर पता नहीं आगे भी चलता रहेगा या कभी खत्म हो पाएंगा।
जहां झंडा मुंडा खिलाने वाले लोगो को लालच देने में कामयाब हो रहे है उसी तरह ये पुलिस की आखों पे भी पट्टी बांधने में सफल होते दिखते हैं वरना खुलेआम ये अवैध कारोबार कैसे संभव है।