लाखों रुपए खर्च कर अधूरी पड़ी पुलिया, निर्माण की सीसी हुई जारी

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जमकर हुआ भ्रष्टाचार, जिम्मेदारों को नहीं पता निर्माण कार्य की स्थिति

 

जनपथ टुडे, डिंडोरी, 17 जून 2021, बजाग जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम पंचायत भानपुर के पोषक ग्राम घुटई के बजेरी नाला में पाईप पुलिया निर्माण कार्य मनरेगा अंतर्गत वर्ष 2019 में स्वीकृत किया गया था जिसकी लागत ₹10 बताई जाती है। जहां पर लगभग ₹400000 की राशि का भुगतान मटेरियल सप्लायर को साल भर पहले किया जा चुका है। किंतु आज की स्थिति में वास्तव में निर्माण स्थल पर देखा जाए तो मात्र दो तरह की साइड वालों का निर्माण घटिया गुणवत्ता के साथ किया गया है। जिसका वास्तविक मूल्यांकन ₹50000 से अधिक संभव नहीं है। यदि कार्य की गुणवत्ता को देखा जाए तो किया गया निर्माण कार्य भी तकनीकी आधार पर रद्द करने की स्थिति में है। मैटेरियल सप्लायर को 40mm मेटल का भुगतान किया गया है जो कि फर्जी बिल प्रतीत होते हैं। क्योंकि कार्यस्थल पर निर्मित साइड वाल में हैंड ब्रोकन 80 से 90 एमएम मेटल का उपयोग किया गया साफ नज़र आता है। साथ ही कार्यस्थल पर अभी भी ओवरसाइज गिट्टी का स्टॉक उपलब्ध है। उक्त निर्माण कार्य उपयंत्री जान अनुग्रह देवड़ा के कार्यकाल में प्रारंभ किया गया था। जिनके द्वारा घर बैठे सत्यापन करते हुए 23/5 /2019 को 79729 रू. और 11/3/ 2019 को 142194 रू. 40 एमएम गिट्टी का भुगतान उपयंत्री के मूल्यांकन और सत्यापन के आधार पर किया गया जबकि साइट यह सामग्री न उपलब्ध है न उपयोग की गई है। जिससे फर्जी बिलों का भुगतान किया जाना उजागर होता है। साथ ही जितनी मात्रा में गिट्टी का भुगतान किया गया है उतनी मात्रा में मेटल की आपूर्ति की गई न ही सीमेंट की। वही लगभग ₹60000 का भुगतान एसी पाइप का किया गया है। जिसका न तो उपयोग पुलिया में अब तक हुआ है न ही यह पाइप साइट पर उपलब्ध है, जो कि उपयंत्री द्वारा बगैर मूल्यांकन के सरपंच सचिव के साथ साठगांठ कर मनमाने तरीके से सप्लायर को किए गए भुगतान को उजागर करता है।

प्राप्त जानकारी में बताया जा रहा है कि इस अधूरे पुलिया निर्माण कार्य की सीसी जारी कर दी गई है। मनमाने ढंग से अधूरे और गुणवत्ता ही निर्माण कार्य पर लगभग ₹400000 का भुगतान किए जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है जिससे साफ तौर पर स्पष्ट है कि उपयंत्री और सरपंच सचिव की मिलीभगत से लाखों रुपए का भ्रष्टाचार इस निर्माण कार्य में किया गया और फिर अधूरे कार्य का उपयोगिता प्रमाण पत्र भी बिना देखे सुने अधिकारियों द्वारा जारी कर दिया गया है। लाखों रुपए की शासकीय राशि का दुरुपयोग ग्राम पंचायत और अधिकारियों की मनमानी से किया गया जिसकी जांच कर जिम्मेदारों की विरुद्ध कार्यवाही आवश्यक है।

निर्माण हेतु स्थल चयन में मनमानी

प्राप्त जानकारी के अनुसार मनरेगा अंतर्गत 10 लाख रुपए की लागत से स्वीकृत उक्त पुलिया निर्माण कार्य स्थल तक पहुंचने के लिए एक बड़े नाले को पार कर पगडंडियों से गुजरते हुए जाना पड़ता है यहां आगे कोई बसाहट नहीं है। उपयंत्री का कहना है कि यह पुलिया सुदूर संपर्क मार्ग पर होने के कारण जरूरी है। ग्राम की बसाहट से इस पुलिया निर्माण स्थल तक पहुंचने के पहले एक बड़ा नाला है जिस पर पुलिया निर्माण अधिक आवश्यक था जिसे पार किए बिना इस स्थल पर लोगों का आना जाना ही संभव नहीं । कार्यस्थल तक पगडंडियों से होकर पहुंचना होता है किन्तु उपयंत्री के अनुसार यह सुदूर मार्ग है और यदि यह सही में सुदूर संपर्क मार्ग है तो इसके निर्माण में भी भारी भ्रष्टाचार कर राशि हड़पे जाने अंदेशा है। क्योंकि यहां तक पहुंचने में किसी मार्ग का अस्तित्व ही नज़र नहीं आता। ग्राम पंचायत के सचिव के अनुसार यहां सुदूर संपर्क मार्ग का निर्माण मेरे कार्यकाल से पूर्व किया गया था।

अधूरे  निर्माण कार्य पर लाखों का भुगतान 

अधूरे निर्माण कार्य में लाखों रुपए का भुगतान आंख मूंद कर किया गया या सरपंच सचिव और अधिकारियों की मिलीभगत से खुला भ्रष्टाचार हुआ यह जांच में स्पष्ट होगा। किंतु शासन को चूना लगाने वाले जिम्मेदार हर हाल में कार्यवाही के पात्र हैं जिस पर जिला प्रशासन को जांच करवा कर कठोर से कठोर कार्यवाही करना चाहिए।

 

जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं जानकारी !!

ग्राम विकास के नाम पर प्रति वर्ष शासन के द्वारा करोड़ों करोड़ों रुपए की राशि खर्च की जा रही है। जिसका लाभ ग्रामीणों को मिलता तो दिखाई नहीं देता बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते शासकीय धन का खुला बंदरबांट आसानी से किया जा रहा है और अब तक जिला प्रशासन इसे रोकने में अक्षम ही साबित हुआ है। ग्राम पंचायत भानपुर में इस पुलिया निर्माण के नाम पर लाखों रुपए व्यय किए गए तब भी एक साल बाद भी न तो कार्य पूर्ण हुआ और न ही भुगतान की गई राशि की सामग्री स्थल पर उपलब्ध है। इस निर्माण कार्य की स्थिति, किए गए भुगतान और जारी किए गए उपयोगिता प्रमाण पत्र को लेकर न तो जानकारी उपयंत्री को जानकारी है न जनपद सीईओ को और न ही एसडीओ को! सचिव का कहना है कि हमारे द्वारा सीसी जारी किए जाने की कोई कार्यवाही नहीं की गई है। अधिकारी वास्तविक स्थिति की जानकारी विगत 2 दिनों से हमारे प्रतिनिधि को प्राप्त नहीं कर पा रहे जो अधिकारियों की लापरवाही का एक नमूना मात्र है।

पंचायत पर लाखों की वसूली पहले से लंबित

ग्राम पंचायत भानपुर का गड़बड़ियों और घोटालों से पुराना नाता रहा है। निर्माण कार्य में गड़बड़ी किए जाने कि तमाम शिकायते ग्रामीण करते रहे है जिनके आधार पर जांच में आरोप सिद्ध पाए जाने पर सरपंच कृष्ण कुमार से शासकीय राशि की वसूली का प्रकरण लगभग 2 वर्षों से तहसील न्यायालय बजाग में लंबित है। जिसमें 16,91,484 रुपए की वसूली कि जाना है शेष है।

भ्रष्टाचार चरम पर, रोक लगाने में नहीं किसी की रुचि

जिले में खुलेआम लाखों रुपए का भ्रष्टाचार, गड़बड़ी और घोटालों के बाद भी ग्राम पंचायत, उपयंत्री, अधिकारीयो की न तो प्रशासन जवाबदेही तय कर पाया है और न ही कार्यवाही और वसूली हो पा रही है। जिससे भ्रष्टाचार और बंदरबाट में लिप्त सरपंच सचिव और अमला बिल्कुल निश्चिंत है कि उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा। वहीं गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के इन मामलों में फर्जी बिल देने वाले सप्लायरों और गुणवत्ताहीन निर्माणों और फर्जी मूल्यांकन, सत्यापन के लिए जिम्मेदार उपयंत्रीओं के खिलाफ प्रशासन कार्यवाही नहीं करता और सिर्फ सरपंचों के सिर पूरा आरोप मढ़ा जाता है जबकि यह बात जाहिर है कि पंचायतों में व्याप्त भ्रष्टाचार का बंदरबांट नीचे से ऊपर तक तय अनुपात में हो रहा है और निर्धारित परसेंटेज सर्वविदित है। तहसीलों में दर्जनों वसूली के प्रकरण लंबित है।

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